कंप्यूटर जासूसी पर राहुल ने PM मोदी को कहा- इनसिक्योर तानाशाह, BJP के शाह ने किया पलटवार
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : देश के सभी कंप्यूटर और अन्य संचार उपकरणों को 10 केंद्रीय एजेंसियों की निगरानी के दायरे में लाने संबंधी आदेश को लेकर कांग्रेस और भाजपा में घमासान छिड़ गया है। केंद्र सरकार जहां इसे यूपीए के दौर का आदेश बताते हुए कह रही है कि इसमें कुछ भी नया नहीं है, वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र नरेंद्र मोदी को 'इनसिक्योर तानाशाह' करार दिया है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कंप्यूटर निगरानी मुद्दे को लेकर सीधे-सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट कर प्रधानमंत्री मोदी पर भारत को एक पुलिस स्टेट में तब्दील करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने पीएम को इनसिक्योर तानाशाह बताते हुए कहा कि इससे साबित होता है कि पीएम खुद को कितना असुरक्षित महसूस करते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने ट्वीट में कहा, 'मोदीजी, भारत को एक पुलिस स्टेट में तब्दील करने से आपकी समस्याएं हल नहीं होंगी। एक अरब भारतीयों के सामने सिर्फ यही साबित हो रहा है कि आप कितने इनसिक्योर तानाशाह हैं।'
कांग्रेस अध्यक्ष के पीएम मोदी पर पर हमले के जवाब में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी राहुल पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी और राजीव गांधी का बिना नाम लिए ट्वीट कर कहा कि भारत के इतिहास में दो ही इनसिक्योर तानाशाह रहे हैं- एक ने देश में आपातकाल लगाया और दूसरे ने जबरदस्ती आम लोगों की चिट्ठियां पढ़ने की कोशिश की थी। उन्होंने राहुल पर देश की सुरक्षा के साथ राजनीति करने का आरोप लगाया। शाह का इशारा 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाने और 1986 में उनके पुत्र तत्कालीन पीएम राजीव गांधी द्वारा लाए गए इंडियन पोस्ट ऑफिस (अमेंडमेंट) बिल की तरफ है।
एक अन्य ट्वीट में शाह ने निगरानी विवाद पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल पर राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ राजनीति का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा, 'यूपीए ने गैरकानूनी निगरानी पर कोई बैरियर नहीं लगाया था लेकिन जब मोदी सरकार आम नागरिकों के लिए सेफगार्ड ला रही है तो राहुल षड्यंत्र का आरोप लगा रहे हैं। तुम इतना क्यों झुठला रहे हो, क्या डर है जिसको छुपा रहे हो!'
इस पूरे विवाद पर गृह मंत्रालय ने अपनी सफाई दी है। गृह मंत्रालय ने कहा है कि ये प्रावधान पहले से ही आईटी ऐक्ट में मौजूद हैं और मंत्रालय की तरफ से 20 दिसंबर 2018 को जारी आदेश में सिक्यॉरिटी और लॉ एन्फोर्समेंट एजेंसियों को किसी भी तरह का नया अधिकार नहीं दिया गया है। शुक्रवार को यह मामला संसद में भी उठा, जिस पर सरकार ने बताया कि एजेंसियों को कंप्यूटरों और संचार उपकरणों की निगरानी का अधिकार 2009 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने दिया था। ताजा आदेश में कुछ भी नया नहीं है।
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एजेंसियों को कंप्यूटरों और संचार उपकरणों की निगरानी की इजाजत देने संबंधी गृह मंत्रालय के आदेश पर कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर किया गया है। प्रसाद ने कहा कि 2009 में मनमोहन सिंह सरकार द्वारा बनाए कानून के तहत यह किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि इंटरसेप्शन के लिए केंद्रीय गृह सचिव की मंजूरी जरूरी है। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को राज्यसभा में आक्रामक ढंग से उठाया। इसके जवाब में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि इस आदेश में कुछ भी नया नहीं है और कांग्रेस इसे राई के बिना ही पहाड़ बना रही है।
मुद्दा उठाने से पहले पूरी जानकारी तो कर लेता विपक्ष : जेटली
उच्च सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद एवं कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा द्वारा यह मुद्दा उठाये जाने पर अरूण जेटली ने कहा कि बेहतर होता कि विपक्ष इस मुद्दे को उठाने से पहले पूरी जानकारी प्राप्त कर लेता। उन्होंने कहा, 'विपक्ष के नेता जो भी विषय उठाते हैं, उसका एक मूल्य होता है, वह काफी मूल्यवान होता है।' उन्होंने कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा की इस बात को सिरे से गलत बताया कि इस आदेश के तहत हर कंप्यूटर एवं टेलिफोन की निगरानी की जाएगी।
जेटली ने कहा कि आज से करीब 100-150 साल पहले एक कानून बना था, टेलीग्राफ अधिनियम। यह कानून पिछली कई सरकारों के कार्यकाल में चलता रहा। जहां-जहां राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले आते हैं इस कानून के तहत कुछ एजेंसियों को निगरानी रखने का अधिकार रहा है। इसके लिए एजेंसियां अधिसूचित होती हैं। उन्होंने कहा कि इस बीच काफी प्रगति हुई। कंप्यूटर आदि आए। आतंकवादी कंप्यूटर आदि के माध्यम से भी काम कर सकते हैं। जेटली ने कहा कि 18 साल पहले आईटी ऐक्ट आया। संविधान के अनुच्छेद 19 (2) के अंतर्गत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर जो पाबंदियां लगायी गईं हैं, उन्हें आईटी कानून की धारा 69 में पूरी तरह शामिल कर लिया गया। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा आदि शामिल हैं।
जेटली ने कहा कि जब कोई भी व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा आदि के साथ खिलवाड़ कर रहा होगा तो इन एजेंसियों को अधिकार दिया गया है कि वे उस व्यक्ति की निगरानी कर सकती हैं। जेटली ने कहा, 'आईटी कानून के तहत यह अधिकार एजेंसियों को ठीक वैसे ही दिया गया है जैसे टेलीग्राफ कानून में है। उसके नियम जब आनंद शर्मा जी सरकार में थे तब बनाए गए कि किन एजेंसियों को इसके लिए अधिकृत किया जाए। 2009 में इसके नियम बने। एजेंसियां वही हैं..आईबी, रॉ, डीआरआई आदि।' उन्होंने स्पष्ट किया कि निगरानी का काम कोई भी व्यक्ति नहीं कर सकता। किसी भी व्यक्ति या कंप्यूटर की निगरानी नहीं की जा सकती है। यदि आतंकवादी गतिविधि, कानून व्यवस्था, देश की अखंडता से जुड़ा मामला हो तो अधिसूचित एजेंसियां संबंधित व्यक्ति के उपकरणों की निगरानी कर सकती हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि इन एजेंसियों के बारे में वही आदेश बार-बार जारी किया जाता है जो 2009 में बना था। उन्होंने कहा कि 20 दिसंबर को भी वही आदेश जारी किया गया। उन्होंने कहा कि इसमें लोगों की निजता के साथ कोई खिलवाड़ नहीं किया गया है। जेटली ने कहा, 'आनंद शर्मा, आप वहां पहाड़ बनाने का प्रयास कर रहे हैं, जहां राई भी नहीं है।' उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रही है।