HSGPC पर हरियाणा और पंजाब सरकार में बढ़ी तकरार
सत्ता विमर्श ब्यूरो
चंडीगढ़: हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के गठन को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच तकरार बढ़ती जा रही है। हरियाणा के कदम का विरोध करने वाली पंजाब की सत्ताधारी दल ने जहां 27 जुलाई को पंथिक सम्मेलन बुलाने का फैसला लिया है, वहीं हरियाणा सरकार ने शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर मंत्रालय द्वारा भेजा गया पत्र वापस लेने के लिए कहा है।
हरियाणा सरकार ने पंजाब सरकार पर उनके मामलों में दखल देने का भी आरोप लगाया है। इसके साथ ही राज्य में स्थित गुरुद्वारों की देखरेख करने के लिए पृथक बोर्ड गठित करने पर अपना रुख कड़ा करते हुए शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मंत्रालय की ओर से राज्यपाल को भेजे गया पत्र वापस लेने की अपील की। पत्र में केंद्र ने राज्यपाल से अपनी मंजूरी वापस लेने के लिए कहा है।
गृह मंत्रालय को भेजे गए एक आधिकारिक पत्र में हरियाणा के संसदीय कार्य मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला ने राजनाथ सिंह से गृह सचिव अनिल गोस्वामी द्वारा 18 जुलाई को राज्य के मुख्य सचिव को भेजा गया पत्र वापस लेने की अपील की है। इस पत्र में कहा गया है कि राज्यपाल हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) विधेयक 2014 को दी गई मंजूरी वापस लें।
अपने पत्र में सुरजेवाला ने कहा है, ''मैं अत्यंत आदर के साथ उल्लेख करना चाहूंगा कि मुद्दे पर निर्णय लेने की क्षमता रखने वाली भारत सरकार के फैसले पर अकाली दल या किसी अन्य राजनीतिक दल/संगठन की छाप कतई नहीं होनी चाहिए।''
पंजाब सरकार पर हरियाणा के मामले में हस्तक्षेप करने का आरोप और यहां तक कि भड़काऊ बयान एवं गतिविधि से राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब करने का आरोप लगाते हुए सुरजेवाला ने राजनाथ सिंह से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय पंजाब एवं हरियाणा के राज्यपालों से इस संबंध में रिपोर्ट तलब करे।
सुरजेवाला ने अपने पत्र में कहा है कि पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने पंजाब के मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और अन्य नेताओं को हरियाण के गुरुद्वारों में गठित होने जा रही हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एचएसजीपीसी) को प्रभार लेने से रोकने में शारीरिक बल तक लगाने को कहा है।
ऐसे कुछ नेताओं द्वारा पंजाब पुलिस की छत्रछाया में कुछ गुरुद्वारों में प्रवेश करने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा है कि बादल एवं अन्य अनावश्यक दबाव बना रहे हैं और हरियाणा के गुरुद्वारों पर राजनीतिक खेल खेल रहे हैं।
उधर, पंजाब में सत्ताधारी शिरोमणि अकाली दल ने शनिवार को घोषणा की कि वह 27 जुलाई को विशाल पंथिक महासम्मेलन का आयोजन करेगा। अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर में आयोजित इस सम्मेलन के निशाने पर हरियाणा सरकार द्वारा राज्य के गुरुद्वारों के लिए पृथक समिति के गठन का विरोध करना है।
मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के यहां स्थित आवास पर अकाली दल की कोर समिति की पांच घंटे तक चली बैठक में इस आशय का फैसला लिया गया।
अकाली दल के महासचिव हरचरण सिंह बैंस ने यहां कहा, ''सम्मेलन में सिख धर्म, धार्मिक संस्थानों और सिख गुरुद्वारा अधिनियम 125 पर हरियाणा की भूपेंद्र सिंह हुड्डा नीत कांग्रेस सरकार के हमले से लड़ने के लिए कार्यक्रम तय किया जाएगा।''
गौरतलब है कि हरियाणा विधानसभा ने शुक्रवार को मानसून सत्र के पहले ही दिन हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) विधेयक 2014 पारित कर दिया। इसके तहत हरियाणा शिरोमणि गुरुद्वारा का गठन किया जाएगा जो रज्य के गुरुद्वारों की देखरेख करेगा। विधेयक पर सोमवार को राज्यपाल की मंजूरी भी मिल चुकी है।
पंजाब के अमृतसर स्थित और सिख समुदाय की मिनी संसद कहे जाने वाले शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) का पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश के सभी गुरुद्वारों पर नियंत्रण है। एसजीपीसी पर भी अकाली दल का कब्जा है।