'पद्मावत' पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, कहा- राज्य सरकारें आदेश का पालन करें
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने निरंतर जारी विरोध के बीच संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावत' के रिलीज होने का रास्ता साफ कर दिया। फिल्म 25 जनवरी को रिलीज हो रही है लेकिन कई सिनेमाघर इस ऐतिहासिक फिल्म को दिखाने को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म 'पद्मावत' पर रोक लगाने के राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकारों के अंतिम प्रयास को मंगलवार को खारिज कर दिया और सभी राज्यों को फिल्म रिलीज के रास्ते में न आने के अपने आदेश का पालन करने का साफ शब्दों में निर्देश दिया। फिल्म के विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाली करणी सेना ने सुप्रीम कोर्ट के इस सख्त आदेश पर अपनी नाखुशी जताई है।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, लोगों को समझना चाहिए कि सर्वोच्च न्यायालय ने एक आदेश पारित किया है और उसका पालन हर हाल में किया जाना चाहिए। मिश्रा ने कहा, हमारे आदेश का पालन प्रत्येक व्यक्ति द्वारा किया जाना चाहिए। कुछ सौ लोग सड़कों पर उतरकर प्रतिबंध की मांग करते हुए कानून व्यवस्था को खराब करने के हालात पैदा करते हैं। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
प्रधान न्यायाधीश ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, आप सलाह दे सकते हैं कि जिन्हें यह फिल्म देखना पसंद नहीं है, वे इसे न देखें। हम अपने आदेश में बदलाव नहीं करेंगे। मेहता जमीनी स्तर पर कानून व्यवस्था बिगड़ने का हवाला देकर फिल्म के रिलीज पर रोक लगाने की गुहार लगा रहे थे।
अदालत ने अखिल भारतीय करणी महासंघ की याचिका भी खारिज कर दी और कहा, हम अपने आदेश को बदलने के लिए तैयार नहीं हैं। यह कहकर अदालत ने संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी फिल्म की रिलीज के लिए रास्ता साफ कर दिया। राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से पेश हुए मेहता ने अदालत से आग्रह किया कि वह जमीनी हालात और शांति का उल्लंघन होने के खतरे को समझें। इस पर अदालत ने कहा कि ऐसा कहकर राज्य सरकारें अपनी कमजोरी खुद बता रही हैं। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य का दायित्व है।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने करणी सेना द्वारा मचाए गए बवाल के संदर्भ में कहा, आप संकट पैदा कर फिर इसी की दुहाई नहीं दे सकते। यह नहीं हो सकता कि आप पहले समस्या पैदा करें और फिर इसी का हवाला दें। यह स्पष्ट करते हुए कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की ओर से प्रमाणपत्र दिए जाने के बाद कोई भी राज्य फिल्म को प्रतिबंधित नहीं कर सकता, न्यायालय ने कहा, रचनात्मक कला का सिर नहीं काटा जा सकता।
कुछ राजपूत समूहों का दावा है कि यह फिल्म समुदाय के इतिहास को सही तरीके से प्रदर्शित नहीं करती है। जबकि, फिल्म निर्माताओं का कहना है कि यह फिल्म राजपूतों की आन-बान और शान को दिखाती है। राजस्थान के कई हिस्सों में फिल्म को लेकर विरोध हो रहा है लेकिन यहां के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि वह फिल्म की 'सुरक्षित रिलीज' को सुनिश्चित करने के लिए कानून व्यवस्था बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
पुलिस का कहना है कि वह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी अप्रिय घटना न हो और करणी सेना के अध्यक्ष पर करीब से नजर रखी जाएगी। करणी सेना के पदाधिकारियों के मुताबिक, राजस्थान और गुजरात के सिनेमाघरों के मालिकों ने एक लिखित बयान दिया है जिसमें उन्होंने फिल्म को रिलीज नहीं करने की बात कही है जबकि पंजाब और हरियाणा से उन्हें जुबानी आश्वासन मिला है।
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में कुछ लोगों ने पोस्टर और भंसाली का पुतला जलाकर विरोध दर्ज कराया। वहीं इलाहाबाद में कुछ सार्वजनिक संपत्तियों को तोड़ने के अलावा एक हॉल के पास खड़ी बस में आग लगा दी गई। इसके अलावा आगरा, हाथरस और राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन देखे गए। लखनऊ में कुछ सिनेमाघरों ने पुलिस सुरक्षा मांगी है लेकिन वे सामने आकर अपनी पहचान बताने के लिए तैयार नहीं हुए। मध्य प्रदेश के कानून मंत्री रामपाल सिंह ने कहा कि वे जनता की भावनाओं को आहत किए बिना सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान करने के लिए एक रास्ते की तलाश करेंगे।