बिहार के कद्दावर नेता तारिक अनवर की 19 साल बाद घर वापसी, राहुल ने दिलाई कांग्रेस की सदस्यता
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) छोड़ने के करीब एक महीने बाद बिहार के कद्दावर नेता तारिक अनवर शनिवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उनकी घर वापसी कराते हुए पार्टी की सदस्यता दिलाई। तारिक ने 19 साल पहले कांग्रेस छोड़ी थी। हाल ही में शरद पवार का राफेल डील पर पीएम मोदी का साथ देने से तारिक नाराज हो गए थे और उन्होंने एनसीपी की सदस्यता के साथ-साथ लोकसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तारिक अनवर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के उस बयान से काफी नाराज थे जिसमें उन्होंने राफेल विमान सौदे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी थी। राफेल विमान सौदे में गड़बड़झाला की खबर जब सामने आई तो तारिक अनवर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी तरह से राफेल विमान सौदे में शामिल हैं। वे अभी तक अपने को पाक-साफ साबित करने में विफल रहे हैं। फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति (फ्रांसुआ ओलांद) के खुलासे से इस घोटाले की पुष्टि होती है। ऐसे में शरद पवार का बयान पीएम मोदी के बचाव में है, जिससे मैं पूरी तरह से असहमत हूं। लिहाजा मैं पार्टी और लोकसभा सीट से अपना इस्तीफा दे रहा हूं।
कौन हैं तारिक अनवर?
तारिक अनवर बिहार के कटिहार से पांच बार सांसद रह चुके हैं। ऐसा माना जा रहा है कि वे 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ सकते हैं। मालूम हो कि सोनिया गांधी को 1999 में कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने के विरोध में शरद पवार समेत जिन अन्य नेताओं ने पार्टी छोड़ दी थी उसमें तारिक अनवर और पीए संगमा भी शामिल थे। इन दोनों कद्दावर नेताओं ने तब शरद पवार का साथ दिया था। इनका कहना था कि किसी विदेशी मूल के व्यक्ति को इस पद की जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती।
16 जनवरी 1951 को पटना में जन्मे तारिक अनवर ने राजनीति में आने से पहले कुछ समय तक पत्रकारिता भी की। उनकी प्रारंभिक शिक्षा पटना में हुई। इसके बाद उन्होंने पटना कॉमर्स कॉलेज से बीएससी की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने बोधगया के मगध विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में एमए की उपाधि हासिल की। कॉलेज के दिनों से ही तारिक अनवर ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कर दी थी। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस छात्र संघ का दामन थाम रखा था। पूरी तरह से राजनीति में आने से ठीक पहले तारिक अनवर ने कुछ वक्त तक पटना में ही पत्रकारिता की। उन्होंने 1972 में पटना से 'छात्र' नामक हिन्दी टैब्लॉयड साप्ताहिक समाचार-पत्र शुरू किया। 1974 में वे ‘युवक धारा’ और साप्ताहिक टैब्लॉयड पत्रिका ‘पटना’ के संपादक बने।
1977 में तारिक अनवर कटिहार लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन वो जीत नहीं पाए। तीन साल के बाद 1980 में जीतकर वह संसद पहुंचे। इसके बाद 1985 में दोबारा जीत हासिल की। सांसद बनते ही यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। 1988 में वे कांग्रेस सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। 1989 में वे बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने और 1993 में कांग्रेस के अल्पसंख्यक सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। तारिक अनवर 1996 में तीसरी बार सांसद चुने गए और कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष पीवी नरसिंहा राव के राजनीतिक सचिव बने। इसके बाद सीताराम केसरी कांग्रेस के अध्यक्ष बने तो तारिक अनवर को 1997 में कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य चुना गया। तारिक अनवर 1998 में एक बार फिर लोकसभा चुनाव जीते थे। साल 1999 में तारिक अनवर ने कांग्रेस छोड़ शरद पवार, पीए संगमा के साथ मिलकर एनसीपी की नींव रखी थी।