ICJ पर थरूर के सात ट्विट जिसने UN की वैधता को लेकर उठाए सवाल!
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: ICJ मसले को लेकर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने यूके को लताड़ लगाई है। केरल के तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद और संयुक्त राष्ट्र के पूर्व राजनयिक थरूर ने ताबड़तोड़ ट्विट कर भारत की दावेदारी के मायने समझाने के साथ ही यूके को आईना दिखाने का काम किया है। दरअसल, इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में जज चुने जाने के लिए वोटिंग चल रही है, जिसमें यूके और भारत के जज आमने-सामने हैं। भारत को जनरल एसेंबली में ज्यादा वोट मिले हैं लेकिन सिक्योरिटी काउंसिल में यूके की स्थिति मजबूत है। शशि थरूर का कहना है कि यूके ऐसा करके बहुमत की आवाज को अनसुना कर रहा है। ICJ का जज बनने के लिए भारत के जस्टिस दलवीर भंडारी और यूके के क्रिस्टिफर ग्रीनवुड के बीच मुकाबला है।
गौरतलब है कि ICJ का जज बनाने के लिए जनरल काउंसिल और सिक्योरिटी काउंसिल दोनों के सदस्य वोट करते हैं। भारत के उम्मीदवार जस्टिस दलवीर भंडारी को जनरल एसेंबली में 115 वोट मिले थे वहीं यूके ने 74 वोट हासिल किए। 15 सदस्यों की सुरक्षा परिषद में भारत को छह और यूके को नौ वोट मिले। नियम के हिसाब से उम्मीदवार को जनरल एसेंबली में 97 वोट और सिक्योरिटी काउंसिल में 8 वोट मिलने चाहिए। वोटिंग का पहला राउंड शुक्रवार को हो चुका है, आगे का प्रोसेस सोमवार को होगा।
शशि थरूर ने कुल सात ट्वीट करके पूरे मामले को समझाया और बताया कि यूएन में क्या-क्या हुआ। भंडारी का जीतना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि ICJ ही कुलभूषण जाधव के मामले की सुनवाई कर रहा है। भारतीय नागरिक जाधव को पाकिस्तान ने जासूस बताकर कैद कर रखा है।
अब तक की प्रक्रिया से नाराज थरूर ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर ब्रिटेन और संयुक्त राष्ट्र के ढांचे पर सवाल उठाए। थरूर ने लिखा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और महासभा जब अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के जज के लिए भारत और ब्रिटेन के उम्मीदवारों के बीच चुनाव हो रहे हैं, ऐसे वक्त में संयुक्त राष्ट्र की वैधता और प्रभावशीलता दांव पर लगी है। महासभा की आवाज लंबे समय से अनसुनी की जाती रही है।
[Thread starts here] As the @UN SecurityCouncil (SC) & GeneralAssembly (GA) vote to choose a judge for the InternationalCourtOfJustice (#ICJ) between Indian& UK candidates, the legitimacy & effectiveness of the UN are at stake. The voice of the GA has been ignored too long.
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) November 13, 2017
इसके साथ ही उन्होंने ब्रिटेन पर प्रहार किया है, 'इस बार संयुक्त राष्ट्र के स्थायी सदस्य का उम्मीदवार महासभा में स्पष्ट बहुमत हासिल करने में नाकाम रहा। महासभा का वोट बीते 70 से अधिक वर्षों से विशेषाधिकारों को अनुचित बढ़ावा देने का विरोध था। पी5 (5 महाशक्तियां) 40 वोटों से हार गईं!'
2. This time a nominee of a Permanent member of the SC has failed to get an absolute majority of the GA, for the first time in a direct contest to a major @UN organ. GA vote has turned into a protest against an unwarranted extension of privilege for 70+ years. P5 lost by 40votes! https://t.co/hG3HRdFhWP
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) November 13, 2017
इसके साथ ही उन्होंने लिखा, यह चुनाव किसी न्यायाधीश या जिस देश से वह संबंध रखता है, उसके बारे में नहीं है, बल्कि यह चुनाव महासभा के विशेषाधिकार प्राप्त देशों के एक सदस्य के खिलाफ खड़ा होना है, जो महासभा में बड़े स्तर पर हार गया, लेकिन सुरक्षा परिषद में उसे छह के मुकाबले नौ सदस्यों से बढ़त मिल गई। ब्रिटेन महासभा के बहुमत की इच्छा को बाधित करने की कोशिश कर रहा है।
थरूर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के निर्णय को अधिकतर सदस्यों की आवाज को प्रतिबिम्बित करना चाहिए, ना कि लंबे समय से विशेषाधिकार प्राप्त कुछ देशों के निर्णय को। उन्होंने कहा, 'केवल इसी प्रकार का बहुपक्षवाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय खासकर युवा पीढ़ी के बीच विश्वास को प्रेरित करेगा।' उन्होंने कहा कि यह भारत या किसी एक देश के बारे में नहीं है। यह न्याय, समता और निष्पक्षता के विचार के बारे में है।
5. Decisions at the UN must reflect the voice of the majority of Members & cannot continue to be decided by a few states with long-held privileges. Only that kind of multilateralism will inspire confidence among the international community, especially the younger generation. https://t.co/dvet1sC0EH
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) November 13, 2017
ICJ में कुल 15 जज होते हैं जिनका कार्यकाल नौ साल होता है, इसमें से पांच पोस्ट खाली हैं। फ्रांस, ब्राजील, लेबनान से जजों को चुन लिया गया है, अब भारत और यूके के बीच मुकाबला है।