नोटबंदी; सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को लगाई फटकार, मांगा जवाब
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने पुराने नोट बदलने की तारीख को लेकर केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट का कहना है कि लोगों को पुराने नोट बदलने के लिए दोबारा मौका क्यों नहीं दिया गया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को दो हफ्ते के अंदर जवाब देने के लिए कहा है।
दरअसल, केंद्र सरकार की ओर से देश में लोगों को पुराने नोट बदलने के लिए 30 दिसंबर 2016 तक की डेडलाइन दी हुई थी, वहीं एनआरआई के लिए इसकी आखिरी तारीख 30 जुलाई तक है। इसी संदर्भ में कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि जिस व्यक्ति के पास इसको लेकर कोई जायज वजह है उन लोगों का क्या हुआ। कोर्ट का कहना है कि जो लोग सही वजहों के चलते रुपये बैंक में जमा नहीं करा पाए उनकी संपत्ति सरकार इस तरह नहीं छीन सकती है। प्रधान न्यायाधीश जे.एस. खेहर ने कहा कि अगर कोई जेल में है तो वो कैसे रुपये जमा कराएगा।
केंद्र सरकार ने इसके लिए दो हफ्ते का वक्त मांगा है। केंद्र सरकार ने कहा कि ये आरबीआई को तय करना है कि वो कैस-टू- केस के आधार पर पुराने नोट जमा करे या नहीं। इससे पहले 21 मार्च को कोर्ट ने कहा था कि जिन लोगों ने 30 दिसंबर तक पुराने नोट जमा नहीं कराये उनको एक विंडो देना चाहिए। केन्द्र सरकार ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा के वक्त 30 दिसंबर 2016 तक प्रतिबंधित की गई करेंसी को बैंक में जमा कराने की डेडलाइन तय की थी। उसके बाद रिजर्व बैंक ने कहा था कि पुरानी करेंसी को 31 मार्च तक रिजर्व बैंक में जमा किया जा सकेगा। हालांकि उसने रिजर्व बैंक में जमा कराने वालों को यह वजह बताने की शर्त रख दी थी कि क्यों उक्त करेंसी को 30 दिसंबर 2016 तक नहीं जमा कराया गया।
दरअसल, 30 दिसंबर 2016 से पहले नोट जमा नहीं कराने के मामले में दर्जनभर से अधिक याचिकाएं कोर्ट के सामने आई हैं। एक याचिका में तो याचिकाकर्ता ने कहा कि वह अपनी 66.80 लाख रुपए की रकम बैंक में केवाईसी नहीं होने से जमा नहीं करा सका है। सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला की उस याचिका पर भी सुनवाई कर रहा है जिसमें उसने कहा था कि वह नोटबंदी के वक्त अस्पताल में थी और उसने बच्चे को जन्म दिया था इस वजह से वह तय समय सीमा में पुराने नोट जमा नहीं करा सकी। इसलिए कोर्ट अब इस संदर्भ में लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए फैसला ले सकता है।