भाजपा सांसद वरुण गांधी का देश की जनता के नाम खुला खत
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: अपने ऊपर लगे हनीट्रैप और संवेदनशील जानकारी लीक करने के मामले में वरुण गांधी ने देश की जनता के नाम खुला खत लिखा है। उन्होंने व्हिसल ब्लोअर एडमंड एलन द्वारा लगाये गए सभी आरोपों को बेबुनियाद करार दिया है। अपने लेटर हेड पर वरुण ने अपनी बात रखी है। वरुण ने ट्विटर के जरिए अंग्रेजी और हिन्दी दोनों भाषाओं में अपनी बात रखी है।
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वरुण ने अपने पहले के बयान पर कायम रहते हुए इन आरोपों को बबुनियाद और मिथ्या करार दिया है। उन्होंने कहा है कि वो 2009 में रक्षा सलाहकार समिति के सदस्य रहें हैं लेकिन इस दौरान उन्होंने एक भी बैठक में हिस्सा नहीं लिया। साथ ही 2009 में ही वो पार्लियामेंट की रक्षा कार्यवाहक समिति के भी सदस्य थे और उन्होंने बहुत कम बैठकों में हिस्सा लिया। मैं ये भी स्पष्ट करना चाहूंगी कि अति संवेदनशील जानकारियां इस समिति को नही बताई जातीं। ऐसे में संवेदनशील जानकारी को लीक करने का सवाल ही पैदा नहीं होता है।
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उन्होंने ये भी कहा कि एलन की जानकारी के आधार पर CBI और ED इस पर जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि लेकिन अब तक की जांच में मेरा नाम कभी भी नहीं आया है। उन्होंने कहा ये चिंता की बात है कि ऐसे आधारहीन आरोपों को उछाला जा रहा है जब पूरी जनता हमारी सेना के साथ खड़ी दिख रही है।
गौरतलब है कि ये खत ऐसे समय में आया है जब उनकी पार्टी के भीतर से ही विरोध के सुर उठने लगे हैं। और पार्टी ने एक तरह से उन्हें अपने जवाबों के साथ अकेला छोड़ दिया है। वरुण पहले भी इस मसले को अपने खिलाफ साजिश भी करार दे चुके हैं। उन्होंने कहा था कि यूपी में मेरी ताकत को कमजोर करने के लिए रचा गया षड्यंत्र है।
ये लिखा है वरुण गांधी ने :
मेरे प्रिय देशवासियों, 22 अक्तूबर, 2016
मैं आज आप सभी को एक अत्यधिक व्यथित कर देने वाली मीडिया जानकारी के सार्वजनिक किए जाने के पश्चात लिख रहा हूं, जो तथाकथित रूप से मेरे विरुद्ध लगाए गए निराधार तथा मनगढ़ंत आरोप शामिल होने वाले एक पत्र पर आधारित है।
मैं इन आरोपों की मिथ्या एवं तुच्छ प्रवृत्ति और साथ ही इनकी असंभाव्यता के बारे में अपने विचार रखना चाहूंगा।
पत्र का विषय रक्षा परामर्शदात्री समिति से संबंधित है और पत्र की प्रथम पंक्ति यह दावा करती है के मेरे संबंध में रक्षा परामर्शदात्री समिति के एक सदस्य के रूप में मुझे बहकाकर "संसदीय रक्षा समिति, जिसका मैं वर्ष 2010 से सदस्य हूं के कार्यकरण संबंधी जानकारी प्राप्त की गई थी।"
तथ्य यह है कि जहां मैं वर्ष 2009 से रक्षा संबंधी स्थायी समिति और रक्षा परामर्शदात्री समिति दोनों का सदस्य हूं, रिकॉर्डों से यह पुष्टि हो जाएगी कि मैंने रक्षा परामर्शदात्री समिति की किसी बैठक में भाग नहीं लिया है। और स्थायी समिति की भी बहुत कम बैठकों में भाग लिया है। स्पष्टतः मैं न तो कोई सूचना प्राप्त कर रहा था और न ही इसे आगे किसी को दे रहा था. यदि कोई गुप्त एजेंडा अथवा लालच होता, जैसा कि पत्र में दावा किया गया है, तो वह मेरी उपस्थिति में झलक जाता।
फिर भी जैसा कि कोई भी संसदविद जानता है कि स्थापित संसदीय प्रक्रिया के अनुसार ऐसे संसदीय पैनलों को कभी भी कोई 'गोपनीय या अति गुप्त' जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई जाती। पहली बार निर्वाचित विपक्षी दल के सांसद के रूप में मेरी संवेदनशील रक्षा जानकारी पर कोई पहुंच नहीं हो सकती थी और थी भी नहीं, अतः तथाकथित रूप से कोई जानकारी देने के लिए मनाए जाने का प्रश्न ही नहीं उठता।
जैसा कि एलेन ने स्वयं अपने पत्र में कहा है कि ये सभी आरोप उसके द्वारा काफी समय पहले ही सीबीआई को प्रस्तुत किए जा चुके हैं। इस मामले की पिछले कई वर्षों से सीबीआई तथा प्रवर्तन निदेशालय द्वारा व्यापक तथा विस्तृत जांच की गई है, जिसके आधार पर पहले ही आरोप-पत्र दायर किए जा चुके हैं. किसी भी कार्यवाही में मेरा नाम नहीं आया है, न ही किसी भी क्षमता में मेरे लिप्त होने का कोई संकेत मिलता है। यदि इतने वर्षों में इन शीर्ष जांच एजेंसियों को मेरे शामिल होने का कोई संदेह अथवा प्रमाण होता, तो इसकी जानकारी अब तक दे दी गई होती।
जहां मैं आश्वस्त हूं कि न तो आप और न ही कोई सही सोच रखने वाला व्यक्ति इन आरोपों पर विश्वास करेगा, मुझे चिंताजनक यह लगता है कि ऐसे आधारहीन आरोप उस समय लगाए जा रहे हैं जब समूचा राष्ट्र हमारे बहादुर सैन्यबलों के साथ एकजुट खड़ा है।
मैं आपके सामने कुछ तथ्य रखना चाहूंगा ताकि आप इन दुर्भावनापूर्ण अफवाहों को निसंदेह खारिज कर सकें:
1. मैं कभी भी श्री एडमंड एलेन से नहीं मिला हूं जिन्होंने आरोप लगाता हुए यह पत्र लिखा है। न ही मेरे पास इसकी जानकारी है कि वह कौन है, न ही वह क्या काम करते हैं सिवाय इसके कि प्रेस में उन्हें श्री अभिषेक वर्मा का एक पूर्व सहयोगी बताया जा रहा है।
2. वर्मा के साथ मेरी पहली मुलाकात इंग्लैंड में हुई जब मैं वहां एक विद्यार्थी के रूप में रह रहा था। उसने अपना परिचय स्वर्गीय श्रीमती वीना और श्री श्रीकांत वर्मा के पुत्र के रूप में दिया, जो दोनों सांसद थे तथा एक सम्मानित परिवार से ताल्लुक रखते थे। थोड़े समय अंतराल में हमारी मुलाकातें सामाजिक कार्यक्रमों आदि में हुईं। हमें आपस में मिले अब कई वर्ष बीत चुके हैं। किसी भी समय हमने अपने काम की चर्चा नहीं की, न तो मेरे तथा न ही उसके।
3. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार एलेन और वर्मा के कुछ व्यापारिक लेन-देन संबंध थे जो बिगड़ गए. ऐसा प्रतीत होता है कि अब एलेन अपने पूर्व सहयोगी के प्रति अपने आरोपों के लिए अधिकतम प्रचार चाहते हैं। अतः वह मेरी जैसी सार्वजनिक हस्तियों के नाम ले रहे हैं जिससे उनकी शिकायतों पर अधिक जनता का ध्यान जाए, फिर शिकायत चाहे वास्तविक हो या काल्पनिक. मुझे बेवजह ही एक ऐसे विवाद में फंसाया जा रहा है जिससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है।
4. एलेन द्वारा वर्मा के विरुद्ध लगाए गए आरोप काफी समय से सीबीआई तथा प्रवर्तन निदेशालय दोनों द्वारा विस्तृत जांच के अधीन है, और उक्त में कार्यवाही चालू है जिसमें आरोप-पत्र तक दायर किए जा चुके हैं।
5. यह सुझाना हास्यास्पद होगा कि मुझे 'ब्लैकमेल' किया गया था, क्योंकि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है। यह और भी बेतुकी बात है कि मैंने रक्षा संबंधी संसदीय समिति से अत्यधिक गोपनीय सुरक्षा जानकारी को 'लीक' किया जबकि प्रत्येक संसदविद जानता है कि ऐसे संसदीय पैनल के साथ कभी भी कोई संवेदनशील रक्षा जानकारी साझा नहीं की जाती है।
6. पहली बार निर्वाचित विपक्षी दल के सांसद के रूप में मेरी गोपनीय जानकारी पर कोई पहुंच ही नहीं थी, इसे लीक करने की तो बात ही छोड़िए।
7. इस पत्र में बिना किसी तथ्य, साक्ष्य या औचित्य के मेरे विरुद्ध अत्यधिक आरोप लगाए गए हैं. यह पूर्णतः अनैतिक है कि ऐसे क्षति पहुंचाने वाले आरोपों को बिना किसी जांच, सत्यापन या यहां तक कि स्पष्टीकरण के बिना ही सार्वजनिक कर दिया गया है।
सार्वजनिक जीवन में व्यक्ति आलोचना और आलोचकों का सामना करना सीखता है। तथापि, सारी आलोचनाएं किसी तथ्य पर आधारित होनी चाहिए। इस मामले में सत्य का अंश मात्र या साक्ष्य की लेश मात्र गुंजाइश भी नहीं है। मेरा परिवार और मैं ऐसे झूठों से अत्यधिक व्यथित हुए हैं। मैं उन लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने जा रहा हूं जिन्होंने जान-बूझकर मेरी छवि तथा सार्वजनिक प्रतिष्ठा को खराब करने का प्रयास किया है। यहां मैं बिना किसी विलंब के सत्य को साझा मात्र करना चाहता हूं ताकि ऐसी किसी शरारत को सफल होने से पहले ही रोका जा सके।
मेरा सर्वस्व इस महान राष्ट्र की देन है और मैं सदैव ही मुझ पर किए गए भरोसे तथा विश्वास पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा।
आपका,
वरुण गांधी