संतों की परम धर्मसंसद के बाद अब VHP की धर्मसंसद शुरू, राम मंदिर पर लिया जाएगा फैसला
सत्ता विमर्श ब्यूरो
प्रयागराज : स्वामी स्वरूपानंद के नेतृत्व में 30 जनवरी को संपन्न हुई संतों की तीन दिवसीय परम धर्मसंसद के बाद आज से विश्व हिंदू परिषद का कुंभ मेला परिसर में ही दो दिवसीय धर्मसंसद शुरू हो गया है। इससे पहले शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद ने घोषणा की कि संत समाज 21 फरवरी से अयोध्या में मंदिर निर्माण शुरू कर देगा। इस दिन मंदिर परिसर की पहली ईंट रखी जाएगी।
प्रयागराज में संगम तट पर विश्व हिंदू परिषद की धर्म संसद गुरुवार दोपहर एक बजे शुरू हो गई। धर्म संसद से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के बीच मुलाकात हुई। माना जा रहा है कि एक फरवरी को इस धर्म संसद में राम मंदिर मुद्दे पर प्रस्ताव आ सकता है।
दो दिन तक चलने वाली धर्म संसद में देशभर के तकरीबन 5,000 साधु-संत जुट रहे हैं। विहिप ने इसके लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां की हैं। इस आयोजन में विहिप और संघ के बड़े पदाधिकारी भी पहुंच रहे हैं। विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार और अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे समेत वीएचपी की पूरी कार्यकारिणी अर्धकुंभ में हो रहे इस आयोजन में मौजूद हैं।
आरएसएस प्रमुख के अलावा भैयाजी जोशी और दत्तात्रेय होसबोले भी धर्म संसद में शिरकत कर रहे हैं। इस बीच इलाहाबाद में झूंसी स्थित आरएसएस के कार्यालय में सरसंघचालक मोहन भागवत और सीएम योगी आदित्यनाथ के बीच मुलाकात हुई है। सीएम योगी कुंभ क्षेत्र के सेक्टर-15 में पुरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती से भी मिलने पहुंचे। सेक्टर-15 में ही जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी और राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास से मुलाकात करने के बाद सीएम योगी गोरखपुर के लिए रवाना हो गए।
विहिप सूत्रों के मुताबिक, शाम पांच बजे तक धर्म संसद के पहले दिन की कार्यवाही चलेगी। धर्म संसद के पहले दिन केरल के सबरीमाला मंदिर विवाद, धर्मांतरण का मुद्दा और हिंदुओं की संस्कृति पर हो रहे हमले जैसे मसलों पर मंथन होगा। वहीं, दूसरे दिन यानी 1 फरवरी को राम मंदिर का मुद्दा रखा जाएगा। इस दौरान मंदिर मुद्दे पर एक प्रस्ताव भी पास किया जा सकता है। विहिप की कोशिश राम मंदिर के मुद्दे पर पूरे देश के संतों को एक मंच पर लाना है ताकि उनसे ऐसा मार्गदर्शन मिले जो आगामी आंदोलन का रास्ता तय कर सके।
धर्मसंसद में मोहन भागवत और योगी आदित्यनाथ के अलावा राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास महाराज, न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. रामविलास वेदांती, विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष वीएस कोकजे और बाबा रामदेव भी शामिल होंगे। हालांकि, अखाड़ा परिषद ने इस धर्मसंसद का बहिष्कार किया है।
हालांकि लोकसभा चुनाव के पहले मोदी सरकार ने मंदिर को लेकर बड़ा दांव खेला है। सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है कि राम मंदिर परिसर में जो जमीन विवादित नहीं है, वो उनके मालिकों को लौटा दी जाए। सरकार यह दिखाना चाहती है कि वह गैरविवादित जमीन पर मंदिर निर्माण शुरू करवा सकती है। लेकिन उसकी इस अर्जी पर निर्मोही अखाड़ा और रामलला के पक्षकार महंत धर्मदास ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि सरकार पहले इसपर अपनी मंशा जाहिर करे।