महाभियोग प्रस्ताव खारिज होने को लेकर कांग्रेस-भाजपा में रार
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने दस पन्ने में विपक्ष के महाभियोग प्रस्ताव को खारिज करने की वजह तफ्सील से बताई। इसके बाद कांग्रेस- भारतीय जनता पार्टी के बीच जुबानी जंग छिड़नी थी और वो छिड़ गई। एक तरफ कांग्रेस इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का पूरा मन बना चुकी है तो भाजपा ने इसे कांग्रेस के गिरते स्तर से जोड़ा है।
उप-राष्ट्रपति द्वारा प्रस्ताव खारिज करने के बाद से ही आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था। कांग्रेस ने एक प्रेस कांफ्रेंस की और फैसले को गैर संवैधानिक करार दिया। वार्ता की कमान वरिष्ठ कांग्रेसी और पेशे से वकील कपिल सिब्बल ने संभाली थी। सिब्बल ने कहा कि राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने महाभियोग नोटिस पर कहा कि कोई केस बनता ही नहीं है। उनका यह ऐसा कदम है जो पहले किसी चेयरमैन या स्पीकर ने नहीं लिया। अब तक के इतिहास में पहली बार महाभियोग नोटिस आगे बढ़ने से पहले ही खारिज हो गया। यह फैसला गैरकानूनी और असंवैधानिक है। ऐसा फैसला नहीं लेना चाहिए था।
कपिल सिब्बल ने कहा कि राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने मामले पर जल्दबाजी दिखाई है। हम उस पर भी चिंतित है। जांच के बाद ही आरोपों की सत्यता का पता लग सकता था। हम लोग सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती देंगे। मुझे पूरा पूरा भरोसा है कि प्रधान न्यायाधीश का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। ताकि पारदर्शी तरीके से सुनवाई हो सके ।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार नहीं चाहती कि इसकी जांच हो। सरकार जांच को दबाना चाहती है। सरकार का रुख न्यायपालिका को नुकसान पहुंचाने वाला है। उन्होंने कहा कि सभापति नायडू के फैसले से लोगों का विश्वास चकनाचूर हुआ है। उन्होंने कहा, 'हम उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करेंगे। हमें भरोसा है कि जब याचिका दायर होगी तो इससे प्रधान न्यायाधीश का कुछ लेनादेना नहीं होगा।'
सिब्बल ने कहा कि 64 सांसदों ने सोच-विचार करके महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस दिया था और इसमें प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ जिन आरोपों का उल्लेख किया गया था वो बहुत गंभीर है। ऐसे में राज्यसभा के सभापति को जांच समिति गठित करनी चाहिए थी और जांच पूरी होने के बाद कोई फैसला करते। कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि यह महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस किसी पार्टी की तरफ से नहीं, राज्यसभा के 64 सदस्यों की ओर से दिया गया था। आगे इन सदस्यों की ओर से ही शीर्ष अदालत में अपील दायर की जाएगी।
इससे पहले कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने नायडू के फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए कहा, 'महाभियोग की संवैधानिक प्रक्रिया 50 सांसदों (राज्यसभा में) की ओर से प्रस्ताव (नोटिस) दिये जाने के साथ ही शुरू हो जाती है। राज्यसभा के सभापति प्रस्ताव पर निर्णय नहीं ले सकते, उन्हें प्रस्ताव के गुण-दोष पर फैसला करने का अधिकार नहीं है। यह वास्तव में 'लोकतंत्र को खारिज' करने वालों और 'लोकतंत्र को बचाने वालों' के बीच की लड़ाई है।'
भाजपा ने उप-राष्ट्रपति का जताया आभार
भाजपा ने उप-राष्ट्रपति के इस कदम की तारिफ की और उनका आभार जताया। भाजपा प्रवक्ता मिनाक्षी लेखी ने कहा कि उप-राष्ट्रपति ने एकदम सही फैसला लिया। उन्होंने अपने तर्कों और बुद्धि का भली भांति प्रयोग किया जिसके लिए हम उनके आभारी हैं। जहां तक शिकायत की बात है तो वो सिरे से ही गलत था। गलत भाषा का चयन इसके लिए किया गया था। वहीं खुद कांग्रेस में ही इसे लेकर एक राय नहीं थी जिससे पता चलता है कि व्यक्तिगत रुचि के आधार पर इसे प्रस्तुत किया गया था। वहीं सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी कहा है कि प्रस्ताव तो जिस दिन भेजा गया उसी दिन खारिज कर दिया जाना चाहिए था क्योंकि संबंधित पक्ष ने इसे सार्वजनिक कर दिया था।
कांग्रेस पर चल रहा है महाभियोग
पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेस कांफ्रेंस की और इसे कर्नाटक चुनावों से जोड़ दिया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के विफल नेतृत्व में कांग्रेस का महाभियोग 2014 से शुरू हो गया था और कर्नाटक चुनावों में हार के साथ इनका खात्मा हो जाएगा। पात्रा ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस की लड़ाई लोकतंत्र बनाम वंशवाद की है। जिसमें जीत लोकतंत्र की होगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस तरह लगातार अपना स्तर गिरा रही है।