कटघरे में CAG ; नोटबंदी, राफेल डील के ऑडिट में देरी पर पूर्व नौकरशाहों ने कैग को लिखी चिट्ठी
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग या सीएजी) एक बार फिर कटघरे में है। वो भी मोदी सरकार के करतूतों पर परदा डालने के लिए। 60 सेवानिवृत्त अधिकारियों ने कैग को पत्र लिखकर उस पर नोटबंदी और राफेल सौदे पर ऑडिट रिपोर्ट को जान-बूझकर टालने का आरोप लगाया है ताकि अगले साल चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार की किरकिरी नहीं हो।
पूर्व अधिकारियों ने पत्र में कहा है कि नोटबंदी और राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर ऑडिट रिपोर्ट लाने में अस्वाभाविक और अकारण देरी पर चिंता पैदा हो रही है और रिपोर्ट संसद के शीत सत्र में पटल पर रखी जानी चाहिए। पत्र में कहा गया है कि समय पर नोटबंदी और राफेल सौदे को लेकर ऑडिट रिपोर्ट जारी करने में देरी को पक्षपातपूर्ण क़दम कहा जाएगा और इससे संस्थान की साख पर संकट पैदा हो सकता है। नोटबंदी पर मीडिया की ख़बरों का संदर्भ देते हुए पूर्व नौकरशाहों ने कहा है कि तत्कालीन नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक शशिकांत शर्मा ने कहा था कि ऑडिट में नोटों की छपाई पर ख़र्च, रिज़र्व बैंक के लाभांश भुगतान तथा बैंकिंग लेन-देन के आंकड़ों को शामिल किया जाएगा।
पत्र में कहा गया है, इस तरह की ऑडिट रिपोर्ट पर पिछला बयान 20 महीने पहले आया था लेकिन नोटबंदी पर वादे के मुताबिक ऑडिट रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले सेवानिवृत्त अधिकारियों में पंजाब के पूर्व डीजीपी जूलियो रिबेरो, पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी से सोशल एक्टिविस्ट बनीं अरुणा रॉय, पुणे के पूर्व पुलिस आयुक्त मीरन बोरवंकर, प्रसार भारती के पूर्व सीईओ जवाहर सरकार, इटली में पूर्व दूत केपी फेबियन समेत अन्य पूर्व अधिकारी हैं। पत्र में दावा किया गया है कि ऐसी ख़बरें थीं कि राफेल सौदे पर ऑडिट सितंबर 2018 तक हो जाएगा लेकिन संबंधित फाइलों का कैग ने अब तक परीक्षण नहीं किया है।
पूर्व नौकरशाहों ने कहा है कि टू जी, कोयला, आदर्श, राष्ट्रमंडल खेल घोटाले पर कैग की ऑडिट रिपोर्ट से तत्कालीन संप्रग सरकार के कार्यों के बारे में जनधारणा प्रभावित हुई थी और विभिन्न हलकों से इसे सराहना मिली थी। उन्होंने कहा, लेकिन, ऐसी धारणा बनाने का आधार बढ़ रहा है कि कैग मई 2019 के चुनाव के पहले नोटबंदी और राफेल सौदे पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट में जान-बूझकर देरी कर रहा है ताकि मौजूदा सरकार की किरकिरी न हो। पत्र में कहा गया है, नोटबंदी और राफेल सौदे को लेकर समय पर ऑडिट रिपोर्ट पेश करने में कैग की नाकामी को पक्षपातपूर्ण क़दम के तौर पर देखा जा सकता है और इस महत्वपूर्ण संस्था की साख पर संकट पैदा हो सकता है।