जेटली के वार पर यशवंत सिन्हा का पटलवार, बोले- नौकरी मांगने जाता तो वो वहां नहीं होते
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने देश की खस्ता आर्थिक हालात पर लेख लिखकर भाजपा और मोदी सरकार में भूचाल ला दिया है। पहले लेख और फिर मीडिया के सामने आकर देश की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को आड़े हाथों लिया। फिर जेटली ने यशवंत सिन्हा पर पलटवार किया। नाम लिए बगैर जेटली ने कहा कि वह 80 की उम्र में नौकरी ढूंढ रहे हैं। इसके बाद यशवंत सिन्हा ने एक बार फिर जेटली के इस वार पर पलटवार किया और कहा कि अगर मैं नौकरी मांगता तो वो आज वित्त मंत्री नहीं होते। यानी अगर मैं आवेदक होता तो शायद वह पहले नंबर पर ना होते। मुझ पर निजी हमले का आरोप लगाया जबकि खुद आडवाणी जी के मशविरों को दरकिनार कर निजी हमले कर रहे हैं।
यशवंत सिन्हा ने कहा कि अरुण जेटली मेरी पृष्ठभूमि भूल गए हैं। नौकरी मांगने वाला नौकरी छोड़ता नहीं है। मैं 12 साल की आईएएस की नौकरी छोड़ राजनीति में आया था। 80 साल की उम्र में नौकरी मांगने वाला मजाक अच्छा था, मुझे पसंद आया। स्पीच के लिए उन्होंने काफी रिसर्च की थी। यशवंत ने सवाल किया कि जो तथ्य मैंने दिए हैं उसका जवाब कोई क्यों नहीं दे रहा है। पनामा पेपर लीक में किसे बचाने की कोशिश हो रही है? विदेशों में कालाधन को लेकर किसे बचाने की कोशिश हो रही है? दिल्ली में बैठे हवाई नेता ऐसी ही बातें करेंगे, जिसके पास निर्वाचन क्षेत्र है, जो जमीनी नेता है, वह ऐसी बातें नहीं करेगा।
यशवंत सिन्हा ने कहा- ये भी गलत तथ्य है कि वाजपेयी ने मुझसे वित्त मंत्रालय का पद छीन लिया था। तथ्य यह है कि एक मंत्रालय लेकर दूसरा मंत्रालय दिया गया था। उन्होंने मुझसे यह नहीं कहा था कि आप सरकार छोड़कर अलग हो जाइए। मुझे विदेश मंत्रालय दिया गया था। जो लोग आज ये आरोप लगा रहे हैं कि मैं बेकार था, तो उस बेकार मंत्री को तब इतनी बड़ी जिम्मेदारी क्यों दी गई थी। जब मैं विदेश मंत्री बना, तब भारत-पाकिस्तान की फौज आमने-सामने थी। उस परिस्थिति में मैं विदेश मंत्री बना। तो क्या मैं बेकार था?
इससे पहले गुरुवार को एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यशवंत सिन्हा के आरोपों पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए यशवंत सिन्हा को 80 साल की उम्र में नौकरी चाहने वाला करार देते हुए कहा कि वह वित्त मंत्री के रूप में अपने रिकॉर्ड को भूल गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि वह वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के पीछे-पीछे चल रहे हैं। वह भूल चुके हैं कि कैसे कभी दोनों एक दूसरे के खिलाफ कड़वे बोल का इस्तेमाल करते थे।
हालांकि, अरुण जेटली ने सीधे-सीधे यशवंत सिन्हा का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि उनके पास न तो पूर्व वित्त मंत्री होने का सौभाग्य नहीं है और न ही उनके पास ऐसा पूर्व वित्त मंत्री होने का सौभाग्य है जो आज स्तंभकार बन चुका है। इसमें जेटली का पहला उल्लेख यशवंत सिन्हा के लिए और दूसरा पी. चिदंबरम के लिए था।
अरुण जेटली कहा कि पूर्व वित्त मंत्री होने पर मैं आसानी से यूपीए-2 में नीतिगत शिथिलता को भूल जाता। मैं आसानी से 1998 से 2002 के एनपीए को भूल जाता। उस समय यशवंत सिन्हा वित्त मंत्री थे। मैं आसानी से 1991 में बचे 4 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार को भूल जाता। मैं पाला बदलकर इसकी व्याख्या बदल देता। जेटली ने सिन्हा पर तंज कसते हुए कहा कि वह इस तरह की टिप्पणियों के जरिये नौकरी ढूंढ रहे हैं। सिर्फ पीछे-पीछे चलने से तथ्य नहीं बदल जाएंगे।