केंद्रशासित प्रदेश बनेगा जम्मू कश्मीर और लद्दाख, राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद छिन जाएगा विशेष राज्य का दर्जा
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में इमरजेंसी जैसी हालात के बीच सोमवार सुबह 11.00 बजे जैसे ही राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई, भारी गहमागहमी के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से संबंधित अनुच्छेद 370 को हटाने का ऐलान कर दिया। राज्यसभा में भारी हंगामे के बीच उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के कई खंड लागू नहीं होंगे। सिर्फ खंड एक बचा रहेगा। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्जा खत्म हो गया है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर अलग केंद्र शासित प्रदेश बनेगा और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा। जम्मू-कश्मीर विधानसभा के साथ केंद्र शासित प्रदेश बनेगा। प्रस्ताव पेश करने के बाद राज्यसभा में विपक्ष का जोरदार हंगामा शुरू हो गया। राज्यसभा सभापति वैंकेया नायडू के अनुसार हंगामा करने वाले पीडीपी सांसदों नजीर अहमद और एमएम फैयाज को मार्शल बुलाकर बाहर भेजा गया। उन्होंने सदन में संविधान को फाड़ने की कोशिश की थी।
इससे पहले जम्मू कश्मीर राज्य में धारा 144 लागू कर दिया गया था। घाटी में इंटरनेट सेवा ठप्प कर दी गई और शिक्षण संस्थानों में अवकाश घोषित कर दिया गया। महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला समेत विपक्ष के कई बड़े नेताओं को नजरबंद कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने कई राज्यों के लिए अलर्ट जारी किया है। उत्तर प्रदेश को हाई अलर्ट पर रखा गया है। सुरक्षा के मुद्दे पर राज्यों के लिए एडवाइजरी जारी की है। कश्मीर से जुड़ी यह एडवाइजरी सभी राज्यों पर लागू होगी।
राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हम जो चारों संकल्प और बिल लेकर आए हैं, वह कश्मीर मुद्दे पर ही है। संकल्प प्रस्तुत करते हुए शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 (1) के अलावा सभी खंड राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद खत्म हो जाएंगे। इस प्रकार से मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की सिफारिश कर दी। शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 का सहारा लेकर तीन परिवारों ने सालों-साल तक जम्मू-कश्मीर को लूटा है। नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद जी कहते हैं कि अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को भारत से जोड़ता है यह सही नहीं है। महाराजा हरि सिंह ने 27 अक्टूबर 1947 को भारत के साथ विलय पर दस्तखत किए थे लेकिन अनुच्छेद 370 को 1954 में लाया गया था। शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने में एक सेकेंड भी नहीं लगना चाहिए।
शाह ने कहा कि संविधान जब से बना तब से धारा 370 को अस्थाई माना गया। क्यों अस्थाई माना गया? इसलिए माना गया क्योंकि कभी न कभी इसको हटना था। बहुत पहले हटना था, लेकिन किसी में राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं थी। वोट बैंक की पॉलिटिक्स करनी थी। हममें न राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है, न हमें वोट बैंक बनानी है। नरेंद्र मोदी दृढ़ इच्छाशक्ति के धनी हैं, इसलिए आज कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को पारित किया है। मैं विपक्ष से कहना चाहता हूं कि इस पर चर्चा कीजिए। देश जानना चाहता है कि इतने समय तक धारा 370 लागू कैसे रहा। देश जानना चाहता है कि इतने समय तक कश्मीर में भ्रष्टाचार क्यों होता रहा। देश जानना चाहता है कि कश्मीर के दलितों को रिजर्वेशन का फायदा क्यों नहीं मिला। कश्मीर के ट्राइबल को पॉलिटिकल रिजर्वेशन क्यों नहीं मिला। देश जानना चाहता है कि कश्मीर की माताओं-बहनों को अपने बच्चों के कश्मीरी कहलाने का हक क्यों नहीं मिला। देश जानना चाहता है कि कश्मीर को सबसे ज्यादा पैसा जाने के बाद भी वहां के लोग आज गरीब क्यों हैं। हम चाहते हैं कि आप चर्चा कीजिए, हम आपके एक-एक सवाल का जवाब दूंगा।
इससे पहले सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वह 2-3 सांसदों द्वारा संविधान की कॉपी फाड़ने के फैसले की निंदा करते हैं। हम भारत के संविधान के साथ खड़े हैं। हम हिन्दुस्तान की रक्षा के लिए जान की बाजी लगा देंगे। लेकिन आज भाजपा ने संविधान की हत्या कर दी है। दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी यानी बसपा ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले का समर्थन किया है। बसपा के राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि उनकी पार्टी अनुच्छेद 370 हटाने का पूरा समर्थन करती है। हम चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर से जुड़े बिल पास हों। पीडीपी नेता मेहबूबा मुफ्ती ने ट्वीट के जरिये अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि आज भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला दिन है। जम्मू कश्मीर के नेतृत्व का 1947 में 2-नेशन थ्योरी को खारिज कर भारत में शामिल होने का निर्णय उल्टा साबित हुआ। भारत सरकार का अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला असंवैधानिक और अवैध है।
फैसले से पहले की गई ये सब तैयारियां
सीसीएस और फिर कैबिनेट की बैठक
कैबिनेट बैठक से पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से मुलाकात की। इसके बाद वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ पीएम मोदी के आवास पर पहुंचे। यह मुलाकात करीब 20 मिनट तक चली। इसके बाद कैबिनेट के चार मंत्रियों वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की बैठक हुई। कमेटी में शामिल गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ पीएम मोदी ने सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की। इसके बाद केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई। बैठक का कोई भी ब्यौरा मीडिया में जारी नहीं करने का फैसला लिया गया।
राज्यों को जारी की गई एडवाइजरी
आज सुबह कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्यॉरिटी (सीसीएस) की भी बैठक हुई जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल समेत तमाम शीर्ष सुरक्षा अधिकारी शामिल थे। इस बैठक में राज्यों को अडवाइजरी जारी करने का फैसला लिया गया। राज्यों से कहा गया है कि वे पुलिस-प्रशासन को चौकन्ना रखें ताकि किसी भी तरह के दंगे-फसाद की स्थिति उत्पन्न नहीं होने पाए।
विपक्षी दलों की बैठक, नेता नजरबंद
श्रीनगर में रविवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपल्स डेमोक्रैटिक पार्टी सहित क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने बैठक कर केंद्र सरकार की ओर से मौजूदा स्थिति को लेकर चुप्पी बरतने पर विचार-विमर्श किया। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के निवास पर हुई इस बैठक में उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, सज्जाद लोन, मोहम्मद युसुफ तारिगामी, शाह फैजल और कुछ अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए। इसके बाद आधी रात को महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला समेत कई नेताओं को नजरबंद कर दिया गया।
जम्मू-कश्मीर में धारा 144 लागू
किसी अहम फैसले की संभावना के बीच जम्मू में भी सोमवार सुबह 6.00 बजे से धारा 144 लागू करने का फैसला लिया गया। जम्मू जिले की उपायुक्त सुषमा चौहान ने कहा है कि 5 अगस्त सुबह 6 बजे से धारा 144 लागू हो जाएगी जो अगले आदेश तक जारी रहेगी। धारा 144 लगने के बाद चार से अधिक व्यक्ति एक जगह एकत्रित नहीं हो सकते हैं। जम्मू में मोबाइल इंटरनेट बंद रखने का भी आदेश जारी किया गया है।
मोबाइल, इंटरनेट और स्कूल-कॉलेज बंद
राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को आंशिक रूप से बंद कर दिया गया है। इसके अलावा राज्य के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों को एहतियातन बंद रखने की अडवाइजरी जारी की गई है। इसके अलावा श्रीनगर में सोमवार आधी रात से धारा 144 लागू कर दी गई है, जो अगले आदेश तक जारी रहेगी। इस दौरान किसी भी तरह की रैली या सार्वजनिक सभा की अनुमति नहीं होगी। साथ ही, जिले के सभी स्कूल बंद रहेंगे।
अमरनाथ यात्रियों को एडवाइजरी
अमरनाथ यात्रा पर आतंकी खतरे की खुफिया सूचना के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार ने शुक्रवार को अमरनाथ यात्रियों और पर्यटकों के लिए अडवाइजरी जारी की थी। सरकार ने तीर्थयात्रियों और पर्यटकों से कश्मीर घाटी में अपने ठहराव और यात्रा की अवधि कम करने का आदेश दिया था। अमरनाथ यात्रियों और पर्यटकों से जितना जल्दी हो सके, उतना जल्दी कश्मीर घाटी से लौटने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा गया था। सरकार की इस अडवाइजरी के बाद राज्य से श्रद्धालु और पर्यटक लौटने लगे थे।