जरा सोचिए! सत्ता पक्ष का कोई सांसद 'बैजयंत जय पांडा' क्यों नहीं बनता?
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : संसद का पूरा शीतकालीन सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के आंकड़ों पर गौर करें तो 16 नवंबर से 9 दिसंबर के बीच लोकसभा में 15 प्रतिशत तो राज्यसभा में 19 प्रतिशत ही काम हुआ। यह मोदी सरकार के ढाई साल के कार्यकाल में लोकसभा के 8 सत्रों में सबसे कम कामकाज का आंकड़ा है। इन आंकड़ो के बीच अगर इसी संसद का कोई सांसद यह कहे कि संसद में कामकाज ना होने की वजह से वह इस बेकार गए सत्र का वेतन और दैनिक भत्ता सरकार को वापस कर दिया तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। इतना ही नहीं बीजू जनता दल का यह सांसद यह काम पिछले चार साल से करता आ रहा है। देखा-देखी ही सही, यह नेक काम सत्ता पक्ष के सांसद जो गरीबों की सरकार होने का ढिंढोरा पीटते थकते नहीं, ऐसा नहीं कर सकते?
संसद के शीतकालीन सत्र 2016 में कामकाज ना होने के बाद ओडिशा से बीजू जनता दल के सांसद बैजयंत 'जय' पांडा ने वेतन और दैनिक भत्ता लौटा दिया। रविवार को पांडा ने कहा, संसद में जितने दिन काम नहीं होता मैं उतने दिन का वेतन और भत्ता सरकार को लौटा देता हूं और ये काम चार साल से करता आ रहा हूं। बीजेडी सांसद ने कहा, 'यह सिर्फ एक इशारा है, संसद की कार्रवाई में खर्चे की भरपाई का तरीका नहीं। हंगामे के चलते देश की भारी-भरकम रकम बर्बाद हो जाती है।'
पांडा ने कहा, 'मेरा मन कहता है कि हम सांसद सभी तरह की सुविधाएं लेते हैं और जिस काम की उम्मीद हमसे होती है वो ठीक से नहीं करते हैं। मैंने 16 साल में कभी हंगामा कर कार्रवाई नहीं रुकवाई। संसद में बेहतर तरीके से काम हो, इसके लिए मैं नियमों में बदलाव की वकालत करता हूं। ये बड़ा उद्देश्य है, फिलहाल वेतन लौटाकर कम वक्त में जितना बन सकता है, करता हूं।'
Winter session of Parlmt ends after passing the disabilities bill. Phew! As usual, i'll be returning salary proportional to time wasted/lost
— Baijayant Jay Panda (@PandaJay) December 16, 2016
यह पूछने पर कि क्या दूसरे सांसदों को भी ऐसा करना चाहिए? पांडा ने कहा- 'मैं दूसरों को ऐसा करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। हर सांसद को खुद इसका फैसला लेना चाहिए। लोकसभा में हंगामे के लिए ज्यादा सांसद जिम्मेदार नहीं होते। मेरा यह फैसला व्यक्तिगत है, हर किसी पर इसे लागू नहीं किया जा सकता है।'
इस बीच केंद्रीय खेल मंत्री विजय गोयल ने बीजेडी सांसद के समर्थन में कहा, 'सांसद ने सकारात्मक कदम उठाया है। इससे जनता को थोड़ी शांति मिलेगी जो शीतकालीन सत्र के ऐसे खत्म होने से आहत हुए हैं। राजनेताओं को जनता के बीच बन रही अपनी छवि के बारे में सोचना होगा। सर्वदलीय बैठक बुलाकर सत्र के हंगामे की भेंट चढ़ने लिए वेतन लौटाने पर विचार करनी चाहिए।'
मालूम हो कि 16 नवंबर को संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से ही विपक्ष नोटबंदी पर चर्चा को लेकर हंगामा करता रहा। इसके बाद किरण रिजिजू पर कथित घोटाले के आरोप को लेकर हंगामे का दौर जारी रहा। सत्र के 16 दिसंबर को हंगामे के साथ खत्म हो जाने की वजह से जरूरी काम पर काफी असर पड़ा। इससे पहले मानसून सत्र में भी लोकसभा में 48 प्रतिशत कामकाज हुआ था। मानसून सत्र-2015 में राज्यसभा में बहुत कम कामकाज हुआ था जो 9 प्रतिशत था। हालांकि, इस सत्र में दोनों सदनों की औसत प्रोडक्टविटी 28.5 फीसदी रही थी।