राज्यसभा चुनाव में NOTA विकल्प पर भड़की कांग्रेस, EC से की शिकायत
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : राज्यसभा चुनाव में चुनाव आयोग द्वारा नोटा के विकल्प को शामिल करने को लेकर संसद के उच्च सदन में कांग्रेस पार्टी ने सोमवार को खूब हंगामा किया। उन्होंने इस पर कई सवाल खड़े किए। प्रश्नकाल में कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने इस मसले को उठाते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी को इसके बारे में पता ही नहीं था और चुनाव आयोग ने नोटिफिकेशन के दौरान भी कोई जिक्र नहीं किया। इस संबंध में कांग्रेस ने चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है।
राज्यसभा के नेता अरुण जेटली ने इस मसले को यह कहकर खारिज कर दिया कि यह तो चुनाव आयोग का विशेष अधिकार है। जाहिर है राज्य सभा चुनाव में गुजरात को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच तलवारें खिंची हुई हैं। राज्यसभा की तीसरी सीट से कांग्रेस सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल की वापसी की पुरजोर कोशिश कर रही है। वहीं भाजपा भी इस सीट पर सेंधमारी में जुटी है।
नोटा के ऑप्शन पर कांग्रेस पार्टी को सब कुछ ठीक नहीं लग रहा है। इस पर अहमद पटेल ने ट्वीट करते हुए कहा कि पहले तो राज्यसभा के चुनाव की तारीख आगे बढ़ा दी गई और फिर नोटिफिकेशन के बाद नोटा लाने की वजह क्या है, यह चुनाव आयोग को ही मालूम है।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी चुनाव आयोग की टाइमिंग पर सवाल खड़े किए। उनका मानना है कि यह फैसला कानून की किताब में खरा नहीं बैठता। ये नोटा हो रहा है कि पोटा हो रहा है। उन्होंने कहा कि जो फैसला चुनाव आयोग ने लिया है मुझे लगता है कहीं न कहीं मसला गुजरात का है। क्योंकि पश्चिम बंगाल में तृणमूल के पास इस वक्त संख्या है। चुनाव आयोग ने क्यों ऐसा फैसला लिया है? अगर आप कानून की किताब को देखो तो कोई ऐसी प्रक्रिया नियम में नहीं है न ही रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट में है।
उन्होंने कहा कि यह तो खुली वोटिंग है। इनडायरेक्ट वोटिंग है, इसमें कोई डायरेक्ट वोटिंग नहीं है। इसमें तो आप अपनी प्राथमिकता देंगे तो यह फैसला कहां से आ गया? साथ ही उन्होंने कहा कि मैं कोई आरोप नहीं लगाना चाहता। अगर चुनाव आयोग ने फैसला लिया है तो जरूर सोच-समझ कर लिया होगा, लेकिन इसकी टाइमिंग ठीक नहीं है।