जवाब से असंतुष्ट, करें अर्पण अपना सिर: माया
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : 'सिर अर्पण' का मसला राज्यसभा में स्मृति ईरानी और बसपा सुप्रीमो मायावती की बीच तीखी तकरार की वजह बना। रोहित वेमुला खुदकुशी मसले पर मायावती ने स्मृति को घेरते हुए कहा, 'मैं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के जवाब से संतुष्ट नहीं हूं, अब क्या आप अपना वादा निभाएंगी?' इस पर स्मृति ने उन्हें जवाब देते हुए कहा कि मैंने तो आपके कार्यकर्ताओं से कहा था कि आएं और सिर काट कर ले जाएं।'
राज्यसभा में मायावती ने कहा कि रोहित मामले पर सरकार चुप्पी साधे हुए है। इस केस में गठित कमेटी में एक भी दलित शामिल नहीं है। मैं आपके जवाब से संतुष्ट नहीं हूं। क्या अब आप सिर कलम करने का अपना वादा निभाएंगी?
मायावती ने अपना भाषण जारी रखते हुए कहा कि आरएसएस के कट्टर समर्थक इसके पीछे बताए जा रहे हैं। मायावती ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जो जांच कमेटी में इकलौते सदस्य हैं, वो दलित जाति के नहीं हैं। एक से ज्यादा भी अधिकारी कमेटी में रखे जा सकते थे, इससे सरकार की दलित विरोधी नीति साफ तौर पर नज़र आती है।
मायावती ने कहा कि रोहित के छोटे भाई को कोई सरकारी नौकरी दे देते तो अच्छा होता। उसकी मां दिल्ली सरकार से अपील कर रही है। इस मामले में सीएमओ और पुलिस प्रशासन की भूमिका से भी मैं संतुष्ट नहीं हूं। मंत्री जी ने कहा था कि अगर मैं संतुष्ट नहीं हुई तो सिर काट के दे दूंगी, तो क्या अब वो अपने वादा पूरा करेंगी।
मालूम हो कि 24 फरवरी को राज्यसभा में बहस के दौरान स्मृति ईरानी ने मायावती के लगातार हंगामा करने के बाद कहा था कि मुझे जवाब देने दें। अगर आपके कार्यकर्ता और नेता मेरे जवाब से असंतुष्ट नहीं हुए तो मैं अपना सिर कलम कर आपके चरणों में रख दूंगी।
वहीं सिर अर्पण वाली बात पर सदन के बाहर भी मायावती ने केंद्रीय मंत्री पर जमकर प्रहार किया। मायावती ने कहा कि गुरुवार को संसद की लॉबी में आकर स्मृति ने उनसे माफी मांगी थी, जिस पर उन्होंने माफ भी कर दिया था। लेकिन दुर्गा और महिषासुर के नाम पर केंद्र सरकार अब देश के दलितों और आदिवासियों को बदनाम कर रही है।
मायावती ने सदन के बाहर कहा, 'कल उन्होंने लॉबी में आकर अपने व्यवहार को लेकर माफी मांगी। हमने तब उनको माफ भी कर दिया। मुझे लगा अभी परिपक्वता नहीं हैं, इसलिए हमने माफ कर दिया है। लेकिन हमने ये भी कहा है की अपने व्यवहार में बदलाव लाओ, नहीं तो आप आगे नहीं बढ़ पाओगी।'
बसपा प्रमुख ने कहा, 'दुर्गा मां और महिषासुर के नाम पर देश के दलितों और आदिवासियों को बदनाम किया गया है। सीता की रक्षा करने वाले दलित और आदिवासी के लोग थे। महिसाषुर मामला इसलिए उठाया गया, क्योंकि सरकार रोहित वेमुला का मामला दबाना चाहती है।'