मनमोहन ने संबोधित कर सांसदों को दी विदाई
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : 15वीं लोकसभा के अंतिम सत्र के आखिरी दिन शुक्रवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पहली बार सदन को संबोधित किया। विदाई की वेला में उन्होंने कहा कि आम चुनाव लोगों को देश को नए पथ पर ले जाने के लिए नया जनमत तैयार करने का अवसर देगा।
लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कि इस सदन के पास आंतरिक शक्ति है, जो इसे चलाती है, लेकिन इसे हम आहत न करे। यह शक्ति सदन के नेताओं को जनता से मिली है। मेरे लिए यह सौभाग्य की बात है कि मुझ देश की प्रथम महिला लोकसभा अध्यक्ष बनने का गौरव मिला। सदन को निष्पक्षता से चलाने का दायित्व मुझ पर था, जिसे मैंने अपनी सामर्थ्य के अनुसार चलाया।
एक दशक से देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सदस्यों के बीच मतभेद के बावजूद भारतीय संसद में महत्वपूर्ण मुद्दों पर दलगत गतिरोध से ऊपर उठने की क्षमता है। प्रधानमंत्री यह घोषणा कर चुके हैं कि यदि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन फिर से सत्ता में लौटता है तब भी वे तीसरी बार प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि तेलंगाना विधेयक पारित करना एक संकेत है कि देश के पास द्वेष रहित होकर और परिणाम की चिंता किए बगैर कड़े फैसले लेने की क्षमता है।
शुक्रवार सुबह लोकसभा की कार्यवाही देखने के लिए प्रधानमंत्री की पत्नी गुरुशरण कौर अध्यक्ष दीर्घा में बैठी नजर आईं। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि संसदीय कार्यवाही में दलों के बीच मतभेद उभरना अनिवार्य है, लेकिन 'थोड़ा सामंजस्य और सहमति तैयार करने की गुंजाइश बनी रहनी चाहिए' ताकि चीजें आगे बढ़ सके।
सदन में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि 15वीं लोकसभा के कामकाज के दौरान भले ही कई बार व्यवधान पैदा हुआ, लेकिन इसने कुछ उल्लेखनीय विधेयक पारित किए। अंतिम सत्र के आखिरी दिन सभी सदस्यों को संसदीय चुनाव के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि विपक्षी दुश्मन नहीं होते हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा, 'विरोध मुद्दों पर आधारित होता है। हम आलोचना करते हैं, लेकिन तीखी आलोचना भी निजी रिश्तों की राह में आड़े नहीं आती। आडवाणी जी मुझे हमेशा सदन की मर्यादा के अनुसार व्यवहार करने की सलाह देते रहे हैं।'
सुषमा स्वराज ने कहा, 'हमारे साथ कुछ खट्टे और मीठे अनुभव जुड़े हैं। जब इतिहास लिखा जाएगा तब इसे दर्ज किया जाएगा..कि 15वीं लोकसभा में सबसे अधिक व्यवधान उत्पन्न हुआ था, लेकिन इसने कई लंबित विधेयकों को पारित किया।' उन्होंने कुछ विधेयकों का उल्लेख करते हुए कहा, 'देश 40 वर्षो से लोकपाल विधेयक का इंतजार कर रहा था, मुझे गर्व है कि लोकसभा ने लोकपाल विधेयक पारित कर दिया। लोग वर्षो से तेलंगाना विधेयक का इंतजार करते रहे..।'
गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज की सराहना की जिसे नेता प्रतिपक्ष ने मुस्कुराकर स्वीकार किया। शिंदे ने कहा, 'सुषमाजी कई बार गुस्से में आ जाती थीं तब मैं चिंतित हो जाता था कि शायद वे मुझसे बात करना बंद कर देंगी। लेकिन जैसे ही वे सदन से निकलती थीं तब उनके शब्दों की मिठास को मिठाई से भी तुलना नहीं की जा सकती। तेलंगाना पर सहयोग देने के लिए मैं उनका शुक्रिया अदा करना चाहता हूं।'
जनता दल यू के नेता शरद यादव ने कहा, अध्यक्ष महोदया! सदन के सदस्यों के आचरण ने दुखी किया है। विकट परिस्थितियों में जो आपने धैर्य दिखाया है, वह तारीफे काबिल है। अभी की घटनाओं का उल्लेख तकलीफदेह लगता है। हम कश्मीर, पंजाब और तमिलनाडु के बारे में फैसला करते हैं, लेकिन यदि फैसला न्याय और बुद्धि से होगा तो कड़ा फैसला भी लोग मानेंगे। आज नेता अपनी पार्टी के मैनिफेस्टो को संविधान मान लेते हैं। आर्थिक और सामाजिक विषमता के बारे में सदन में चर्चा नहीं होती। सदन से देश नहीं बनेगा, जिस समाज से हम आते हैं, उसके परिवर्तन से देश बनेगा। हमारी शुभकामनाएं हैं कि सभी सदस्य पुन: चुनकर आएं। लोकतंत्र में मतभेद हो सकते हैं, मनभेद नहीं चाहिए।
माकपा नेता वासुदेव आचार्य ने कहा कि अध्यक्ष महोदया! हमने कभी आपको गुस्से में नहीं देखा। देश की जनता के प्रति हमारी जिम्मेदारी है। क्या हम गांव, गरीब और किसानों की चिंता करते हैं? हम उनकी समस्याएं सदन में ही उठा सकते हैं, लेकिन जब उनकी समस्या नहीं उठा पाते तो दुख होता है। सदन सरकार और विपक्ष दोनों का है, लेकिन कभी कभी सहयोग के अभाव सदन नहीं चल पाता। इस समस्या का निदान बातचीत से किया जा सकता है।