संसदीय समिति ने गृह मंत्रालय से पूछा- क्या नोटबंदी से कालाधन रोकने में मदद मिली?
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : नोटबंदी को लेकर सरकार से अब भी सवाल पूछे जा रहें हैं। जैसा कि दावा किया जा रहा था कि इसके लागू होते ही कालेधन और आतंकवाद पर लगाम लग जाएगी, आखिर उस पर हम कहां तक कामयाब हुए। कुल मिलाकर इससे देश को कितना नफा हुआ और कितना नुकसान इसकी जानकारी केन्द्र से मांगी जा रही है। अब संसद की स्थायी समिति ने गृह मंत्रालय से पूछा है कि नोटबंदी का काले धन के सृजन पर कितना असर पड़ा है, जिसका इस्तेमाल आतंकवादियों के वित्तपोषण के लिए किया जा रहा था।
अगस्त में गृह सचिव का कार्यभार संभालने जा रहे राजीव गाबा से कहा गया है कि वह दो सप्ताह के भीतर सरकार की ओर से लिखित प्रतिक्रिया दें। सूत्रों के मुताबिक वित्त मामलों पर संसद की स्थायी समिति गृह मंत्रालय के अधिकारियों से नोटबंदी से काले धन पर रोकथाम पर पडऩे वाले असर के बारे में जानना चाहती है, जिन्होंने सांसदों को डिजिटल अर्थव्यवस्था के बारे में जानकारी दी थी।
यह मामला तब सामने आया जब सरकार ने विवादास्पद नोटबंदी का यह कहकर बचाव किया कि काले धन पर अंकुश लगाने के लिए यह जरूरी था, जिससे आतंकवादियों को वित्तपोषण में मदद की जाती है, साथ ही इससे सीमा पार आतंक को भी मदद मिलती है। सांसदों को जानकारी देते हुए गाबा ने कहा था कि फायरवाल्स, सॉफ्टवेयर व्यवस्था से डिजिटल अर्थव्यवस्था को सुरक्षित बनाया जा रहा है, जिस पर अ कई इंस्टीट्यूशंस अभी भी काम कर रहे हैं, जिससे वित्तीय क्षेत्र व बैंकिंग के आंकड़ों को साइबर हमलों से बचाया जा सके।
सुनवाई के दौरान साइबर अपराधों में आईपीसी की धाराओं की उपयोगिता के मसले पर भी चर्चा हुई थी, जिसके बारे में अधिकारियों ने कहा कि टीके विश्वनाथन समिति आईटी अधिनियम पर पर विचार कर रही है और समिति अगले महीने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। कुछ सदस्यों ने इस बात को लेकर भी चिंता जताई कि साइबर चोरी में बैंक खातों में से पैसे गायब हो जा रहे हैं। और इसे रोकने का कोई तरीका नहीं है। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत, जो संसदीय समिति के समक्ष पेश नहीं हुए थे, से कहा गया है कि वे 20 जुलाई को आएं। सूत्रों ने कहा कि नैसकॉम के अधिकारी भी समिति के सदस्यों को डिजिटल अर्थव्यवस्था की सुरक्षा को लेकर जानकारी देंगे।
क्रिप्टो करेंसी और बिटकॉइन की वैधता का मसला भी कुछ विपक्षी सदस्यों की ओर से उठाया गया, जैसा कि क्रेट-इन के गुलशन राय ने स्थायी समित को साइबर सुरक्षा से जुड़े विभिन्न तकनीकी मसलों की जानकारी दी थी। अधिकारियों ने कहा कि देश की साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए 1,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। कुछ सदस्यों ने गुजरात की एक कंपनी द्वारा अखबार में हाल में दिए गए विज्ञापन का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि डिजिलट लेन देन का आकार बहुत कम 2 अरब रुपये है, जबकि पूरी दुनिया में डिजिटल लेनदेन 54 अरब रुपये का है। उम्मीद जताई जा रही है कि अगले कुछ महीने में डिजिटल लेनदेन बढ़कर 4 अरब रुपये यानी दोगुना हो जाएगा।
सत्र हंगामेदार होने की उम्मीद पूरी
फिलहाल जिस तरह से संसदीय समिति मसले को लेकर सचेत दिख रही है इससे 17 जुलाई से शुरू होने वाले मॉनसून सत्र के हंगामेदार होने के कयास लगाए जाने लगे हैं। विपक्ष इन मुद्दों पर नजर बनाए हुए है और सरकार के जवाब के इर्दगिर्द अपनी रणनीति को जामा पहनाने की कोशिश कर सकता है। गौरतलब है कि स्थायी समिति के अध्यक्ष कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एम वीरप्पा मोइली हैं और ये समिति सत्र के दौरान नोटबंदी पर अपनी रिपोर्ट देगी। सत्र 11 अगस्त को संपन्न होगा।
वहीं भाजपा की ओर से भी कांग्रेस को घेरने के लिए बोफोर्स के जिन्न को बाहर निकालने की कवायद जारी है। लोकलेखा समिति (पीएसी) से संबद्ध रक्षा मामलों की उपसमिति के ज्यादातर सदस्यों ने सीबीआई से दिल्ली हार्इकोर्ट के 2005 के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने को कहा है, जिसमें बोफोर्स मामले में कार्यवाही निरस्त कर दी गयी थी। समिति के प्रमुख और बीजू जनता दल के सांसद भतृहरि माहताब के समक्ष अन्य अधिकारियों के अलावा सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और रक्षा सचिव संजय मित्रा भी उपस्थित हुए। बैठक के दौरान माहताब और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे समेत कई सदस्यों ने कहा कि सीबीआई को यह मामला ‘फिर से खोलना’ चाहिए और शीर्ष अदालत में नयी दलील पेश करनी चाहिए।