राज्यसभा से भी पारित हुआ सवर्ण गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाला 124वां संविधान संशोधन बिल, कांग्रेस ने दिया साथ
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : सवर्ण यानी सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 फीसदी आरक्षण देने से जुड़ा 124वां संविधान संशोधन विधेयक बुधवार को राज्यसभा में भी पास हो गया। कांग्रेस, सपा, बसपा आदि दलों के सहयोग से इस आरक्षण बिल को राज्यसभा में हुई वोटिंग के दौरान समर्थन में 165 और विरोध में केवल 7 वोट पड़े। वोटिंग से पहले बिल को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने के लिए कनिमोझी ने प्रस्ताव रखा था। लेकिन वोटिंग के दौरान इसके पक्ष में सिर्फ 18 पड़े जबकि खिलाफ में 155 वोट पड़े। इसके साथ ही बिल को सिलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग भी खारिज हो गई।
मालूम हो कि 124वें संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा ने एक दिन पहले मंगलवार को ही बहुमत के साथ पारित कर दिया था। सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि इस विधेयक को राज्यों की मंजूरी लेने की कोई जरूरत नहीं है। ऐसे में इस विधेयक को मंजूरी के लिए अब सीधे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।
इससे पहले विधेयक पर चली बहस में राजद सांसद मनोज झा ने सरकार की नीति और नीयत दोनों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि देश में जाति व्यवस्था बहुत खतरनाक स्थिति में है। सरकार का यह 10 प्रतिशत आरक्षण का फैसला जातिगत आरक्षण के फैसले को खत्म करने की कोशिश है, इसलिए राजद इस बिल का विरोध करता है। मनोज झा ने कहा कि हम बाबा साहब के मुरीद लोग हैं। उन्होंने कहा था कि आरक्षण आमदनी बढ़ाओ योजना नहीं है, आरक्षण प्रतिनिधित्व का मामला है। लेकिन सरकार ने इसे मनरेगा बना दिया। उन्होंने चर्चा में भाग लेते हुए एक 'झुनझुना' भी दिखाया और दावा किया कि इस विधेयक के जरिये सामान्य वर्ग को महज एक झुनझुना दिखाया जा रहा है। एक झुनझुना निकालकर उन्होंने कहा कि यह झुनझुना हिलता भी है और बजता भी है लेकिन सरकार आरक्षण के नाम पर जो झुनझुना दिखा रही है वह केवल हिलता है, बजता नहीं है।
विपक्षी सांसदों ने चुनाव से ठीक पहले इस बिल को लाने को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए। वहीं, सरकार ने बिल को ऐतिहासिक बताते हुए इसे मैच जिताने वाला छक्का बताया। इस पर बसपा ने दावा किया कि यह छक्का सीमा पार नहीं जा पाएगा। दरअसल विधेयक पर हुई चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दावा किया कि यह विधेयक सरकार के लिए स्लॉग ओवर में मैच जिताने वाला छक्का साबित होगा। बाद में बसपा नेता सतीशचंद्र मिश्रा ने सरकारी क्षेत्र में रोजगार के बेहद कम अवसर होने की ओर ध्यान दिलाया और इस विधेयक को एक छलावा बताया। उन्होंने कहा कि दो दलों (बसपा और सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्षों की नववर्ष पर मुलाकात के बाद से ही सरकार दहशत में आ गई है और रातों-रात यह विधेयक तैयार किया गया।
कांग्रेस ने कहा कि वह सामान्य श्रेणी के तहत आर्थिक रूप से पिछड़े तबके के लिए 10 फीसदी आरक्षण के फैसले को मंजूरी देने का स्वागत करती है। हालांकि, कांग्रेस ने इसके समय को लेकर सवाल उठाया, क्योंकि यह लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आया है। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा, हम इसका विरोध नहीं कर रहे हैं लेकिन सवाल यह है कि इसे क्यों अचानक से लाया जा रहा है। यह संसद का अंतिम सत्र है, इसके बाद चुनाव है। शर्मा ने कहा कि भाजपा साढ़े चार वर्षों के शासन के दौरान विधेयक क्यों नहीं लाई? उन्होंने कहा कि भगवा पार्टी ने हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में हार के बाद इस फैसले पर जोर दिया है। आनंद शर्मा ने सरकार से स्पष्ट करने को कहा कि अगर 10 फीसदी आरक्षण लागू होता है तो किन लोगों को फायदा होगा।
केंद्रीय मंत्री एवं लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान ने कहा कि ऊंची जाति के कई लोगों ने पिछड़ी जाति के लोगों को आरक्षण प्रदान करने में बीज देने का काम किया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद ऊंची जाति के लोगों में भी गरीबी बढ़ी है और उनकी कृषि भूमि का रकबा घटा है। उन्होंने कहा कि आज जब इस वर्ग को आरक्षण देने की बात आई है तो हम सभी को कंधे से कंधा मिलाकर इसके लिए संघर्ष करना चाहिए। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि आज यह सदन एक ऐतिहासिक निर्णय लेने जा रहा है। इससे लाखों गरीब परिवारों को शैक्षणिक संस्थाओं और सरकारी सेवाओं में आरक्षण का लाभ मिलने लगेगा। उन्होंने कहा कि जिसने जिस ढंग से सोचा उस प्रकार से विचार रखे। नरेंद्र मोदी सरकार ने अच्छी नीति और अच्छे इरादे से इस बिल को सामने रखा है। गहलोत ने कहा कि अगर इस बिल को लेकर कोई सुप्रीम कोर्ट जाता है तो विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट भी इसके संवैधानिक पहलू को देखेगा।