वेमुला मुद्दे पर स्मृति और मायावती में तीखी बहस
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र के पहले दिन राज्यसभा में रोहित वेमुला और जेएनयू प्रकरण को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जबरदस्त बहस देखने को मिली। राज्यसभा में रोहित वेमुला खुदकुशी मसले पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी और बसपा सुप्रीमो मायावती में जमकर बहसबाजी हुई।
बैठक शुरू होते ही बसपा प्रमुख मायावती ने रोहित का मुद्दा उठाते हुए सरकार से जवाब की मांग की। उन्होंने इस मुद्दे से कथित रूप से जुड़े केंद्रीय मंत्रियों के इस्तीफे, विश्वविद्यालय के कुलपति को हटाने और घटना की जांच के लिए गठित न्यायिक समिति में दलित सदस्य को शामिल किए जाने पर सरकार से जवाब की मांग की। सरकार ने कहा कि वह इस मुद्दे पर तुरंत चर्चा को तैयार है और चर्चा के बाद संबंधित मंत्री इस पर जवाब देंगे। लेकिन बसपा के सदस्य सरकार के रूख से संतुष्ट नहीं हुए और वे आसन के समक्ष नारेबाजी करने लगे। बसपा सदस्यों ने केंद्र सरकार, भाजपा और आरएसएस के खिलाफ नारेबाजी की।
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती और उनके सांसदों ने रोहित वेमुला के मुद्दे पर भाजपा को निशाने पर लिया। मायावती और स्मृति ईरानी के बीच इस मुद्दे को लेकर तीखी और जोरदार बहस हुई। बसपा सांसदों ने भाजपा के दो मंत्रियों बंडारू दत्तात्रेय और स्मृति ईरानी के इस्तीफे की मांग की। मायावती की मांग थी कि रोहित वेमुला की खुदकुशी की जांच करने के लिए बनी टीम में दलित को शामिल किया जाए, और इसपर सरकार अभी जवाब दे, जबकि सरकार का यह कहना था कि पहले इस मुद्दे पर बहस हो जाए।
भाजपा की तरफ से राज्यसभा सांसद और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने मायावती का जवाब देते हुए कहा कि एक बच्चे का राजनीतिक मोहरे (टूल) के तौर पर किसने उपयोग किया। उन्होंने इस मसले पर सदन में तुरंत बहस कराए जाने की मांग की। उन्होने कहा कि वेमुला और जेएनयू मामले पर एक साथ बहस नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे रोहित वेमुला का मुद्दा दब जाएगा। इस पर सभापति ने कहा कि उन्हें अलग से नोटिस देना होगा। स्मृति ने कहा कि इस मुद्दे पर सदन में बहस होनी है और आपको (मायावती को) उस बहस का इंतजार करना चाहिए।
राज्यसभा में बुधवार को शून्यकाल जैसे ही शुरू हुआ, मायावती ने रोहित वेमुला की खुदकुशी से जुड़ा मसला उठाया। उन्होंने मांग की कि इस मामले की जांच कर रहे पैनल में दलित को भी शामिल किया जाए। मायावती ने आरोप लगाया कि रोहित को खुदकुशी के लिए मजबूर करने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मोदी सरकार समुचित कार्रवाई नहीं कर रही है।
उत्तर प्रदेश में 2017 में विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में मायावती अपने दलित वोटरों को किसी भी तरह से गंवाने के मूड में नहीं हैं। वो जानती हैं कि 2014 के लोकसभा चुनावों में लगभग 21 फीसदी दलित वोटर्स ने भाजपा की जीत में अहम भूमिका अदा की थी और अब वो इस 21 फीसदी के सहारे भाजपा को विधानसभा में अपना परचम लहराने का मौका देना नहीं चाहतीं।