मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलने को लेकर संसद में संग्राम
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर जनसंघ के नेता दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर करने को लेकर राज्यसभा में शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ। समाजवादी पार्टी के सांसदों ने सरकार के इस फैसले का घोर विरोध किया। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के फैसले को गृह मंत्रालय ने हरी झंडी दिखा दी है। अब रेल मंत्रालय को इस पर फैसला करना है।
इस मुद्दे पर सदन में सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने कहा कि सरकार सारे पुराने शहरों और जगहों के नाम बदल रही है। इस पर चर्चा होनी चाहिए। वहीं सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री नकवी ने जवाब देते हुए कहा कि विपक्ष को मुग़लों के नाम पर नहीं, दीनदयाल उपाध्याय जी के नाम पर आपत्ति है। विपक्ष ने सवाल खड़ा किया कि जिस व्यक्ति को देश में कोई योगदान नहीं उसके नाम पर जगहों के नाम क्यों रखे जा रहे हैं?
दरअसल, सरकारी नियमों के मुताबिक किसी स्टेशन, गांव या शहर का नाम बदलने के लिए राज्य सरकार को गृह मंत्रालय से एनओसी लेना जरूरी होता है। भाजपा इस साल पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म शताब्दी वर्ष मना रही है। योगी सरकार ने कैबिनेट की बैठक में मुगलसराय के मुख्य मार्ग का नाम दीनदयाल के नाम पर करने, प्रमुख चौराहों पर उनकी प्रतिमा लगाने और उसका नाम दीनदयाल चौक करने का भी निर्णय लिया था।
योगी कैबिनेट बैठक में कहा गया था कि दीनदयाल उपाध्याय का निष्प्राण शरीर चूंकि मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर मिला था लिहाजा इस स्टेशन का नाम बदलकर अब दीनदयाल उपाध्याय किया जाना चाहिए। हालांकि कुछ स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि मुगलसराय लाल बहादुर शास्त्री की जन्मस्थली है इसलिए इसका नाम उनके पर होना चाहिए।