फेक न्यूज पर स्मृति के फरमान को प्रधानमंत्री ने पलटा
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: फेक न्यूज क्या है, इसका पैमाना क्या हो और इसकी जद में किसे रखा जाए इसे लेकर लम्बे समय से बहस जारी है। इसी ऊहापोह और असमंजस के बीच हमारी सूचना एवम् प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी की ओर से एक फरमान आया। दबंगई से कहा कि फेक न्यूज दिखाने वाले पत्रकारों को पकड़ा गया तो उनकी मान्यता हमेशा के लिए खत्म कर दी जाएगी। जब देश के 14 राज्य एससी एसटी के प्रदर्शनों की आग में दहक रहे थे उसी शाम यानी 2 अप्रैल को मीडिया पर लगाम लगाने वाला फरमान जारी हुआ। बाद में मीडिया के बड़े वर्ग ने जब इस पर बेरुखी जाहिर की, हंगामा मचाया...मामला प्रधानमंत्री तक पहुंचा तो उनके निर्देश के बाद संबंधित मंत्रालय ने नोटिस वापिस ले ली। पीएम मोदी ने कहा कि फेक न्यूज मामले में फैसला लेने का हक सिर्फ प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को ही है और यह मुद्दा वहीं पर उठाया जाएगा। इससे पहले मंत्रालय ने कहा था कि फर्जी खबर की जांच प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स असोसिएशन (एनबीए) द्वारा की जाएगी।
फैसला पलटे जाने से मंत्रालय की किरकिरी हुई तो स्पष्टीकरण सामने आया। जिसमें मंत्रालय ने कहा- कि बुधवार 2 अप्रैल को फेक न्यूज पर जारी नोटिस को वापस लिया जाता है। इससे पहले सूचना एवम् प्रसारण मंत्रालय ने अपने रिलीज में कहा था कि अगर ऐसे पत्रकारों के बारे में पता चलता है जो जानबूझकर समाचार फर्जी खबर गढ़ते हैं या फिर दुष्प्रचार करते हैं तो उनकी सरकारी मान्यता रद्द कर दी जाएगी। प्रधानमंत्री के आदेश पर फरमान वापस लेने के बाद मैडम ईरानी ने ट्विटर के जरिए अपनी बात रखी। उन्होंने खुशी जाहिर की- कहा कि इसी बहाने उनसे ऐसे कई संगठनों और पत्रकार बंधुओं ने सम्पर्क साधा जो फेक न्यूज को लेकर फिक्रमंद हैं। अपनी पीठ थपथपाते हुए उन्होंने कहा कि हमारे मंत्रालय की वजह से कम से कम ये बहस का विषय तो बनी। उन्होंने उन पत्रकारों का शुक्रिया अदा किया जिन्होंने इस मुद्दे पर सकारात्मक रूख दिखाया। ईरानी ने आगे कहा कि- इसी बहाने में पत्रकारों के अलग-अलग संगठनों के साथ सम्पर्क साध पा रही हूं और इसे लेकर मैं बेहद खुश हूं। कम से कम इस तरह हम लोग फेक न्यूज रूपी खतरे से मिलकर लड़ पायेंगे और पत्रकारिता के उच्च मानक स्थापित कर पायेंगे। इतना ही नहीं ईरानी ने उन पत्रकारों को अपने कार्यालय आने का खुला आमंत्रण दिया है जो इस विषय को लेकर गंभीर हैं।
ये थी सरकार की नई गाइडलाइन
-पहली बार फर्जी खबर के प्रकाशन या प्रसारण पर पत्रकार की मान्यता छह महीने के लिए निलंबित की जाएगी।
-दूसरी बार ऐसा करते पाए जाने पर उसकी मान्यता एक साल के लिए निलंबित की जाएगी।
-तीसरी बार उल्लंघन करते पाए जाने पर पत्रकार की मान्यता स्थायी रूप से रद्द कर दी जाएगी।
-फर्जी खबर की जांच प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स असोसिएशन (एनबीए) द्वारा की जाएगी। प्रिंट मीडिया से संबंधित मामलों की जांच पीसीआई और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की जांच एनबीए करेगी। मंत्रालय ने कहा था कि इन एजेंसियों को 15 दिन के अंदर खबर के फर्जी होने का निर्धारण करना होगा और पत्रकारों को इन दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा।
कांग्रेस के सवाल
सरकार की ओर से जारी किए गए दिशा-निर्देश पर कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि कहीं फेक न्यूज के नाम पर पत्रकारों को ऐसी खबरें बताने से रोकना नहीं है जिससे सरकार असहज महसूस करे। उन्होंने पूछा कि ये कौन तय करेगा कि खबर फर्जी है? उन्होंने आशंका जताई कि इस नियम का दुरुपयोग पत्रकारों को परेशान करने के लिए किया जा सकता है। जिस पर स्मृति ईरानी ने अहमद पटेल ने जवाब दिया कि प्रेस परिषद और न्यूज ब्रॉडकास्ट एसोसिएशन जो कि सरकार का हिस्सा नहीं हैं, तय करेंगी कौन सी फर्जी है।