पत्रकार जेडे हत्याकांड: छोटा राजन समेत नौ दोषी करार, जिग्ना वोरा और जोसेफ पाल्सन रिहा
सत्ता विमर्श ब्यूरो
मुंबई: मकोका की विशेष अदालत ने पत्रकार ज्योतिर्मय डे की हत्या मामले में करीब सात साल बाद बुधवार को अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन समेत नौ को दोषी करार दिया है और पत्रकार जिग्ना वोरा और जोसेफ पाल्सन को रिहा कर दिया है। इस मामले में दायर चार्जशीट में पुलिस ने 34 लोगों की गवाही दर्ज की थी। पुलिस, अदालत में जिगना वोरा को अपराधी साबित नहीं कर पाई। इंडोनेशिया से भारत लाये जाने के बाद पहली बार छोटा राजन किसी मामले में अपराधी साबित हुआ है।
ज्योर्तिमय डे मिड-डे अखबार के लिए इंवेस्टिगेटिव और क्राइम रिपोर्टिंग करते थे। 11 जून 2011 की दोपहर मुंबई के पवई इलाके में अंडरवर्ल्ड के शूटरों ने उनकी हत्या कर दी थी। जेडे के सीने पर 5 गोलियां मारी गई थी। घटना के वक्त जेडे बाइक से कहीं जा रहे थे। उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। मुंबई पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की और दो शूटरों को गिरफ्तार कर लिया।
इस मामले में पिछले सात साल से सुनवाई चल रही थी। इस बीच साल 2015 में छोटा राजन को इंडोनेशिया से गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद इस केस में सुनवाई तेज हुई। दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद छोटा राजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मकोका कोर्ट में पेश होता रहा था। जांचकर्ताओं के अनुसार, छोटा राजन ने जे डे को मारने के निर्देश दिए थे।
जेडे हत्या से पहले अपनी तीसरी किताब 'चिंदी : राग्स टू रिचेस' लिख रहे थे। अभियोजन पक्ष के मुताबिक, छोटा राजन को यह लगता था कि जेडे उसके खिलाफ लिखते थे, जबकि मोस्ट वॉन्टेड अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का महिमामंडन करते थे। जांच के अनुसार पत्रकार डे अपनी पुस्तक लिखने के लिए राजन के प्रतिद्वंद्वियों सहित सभी क्वार्टरों से जानकारी एकत्र कर रहा था। उनकी बैठकों और प्रतिद्वंद्वियों के साथ बातचीत ने राजन और उनके सहयोगियों के दिमाग में संदेह पैदा किया। जब डे ने फिलीपींस और लंदन में एक बैठक के लिए राजन को बुलाया तो राजन का संदेह और भी गहरा हो गया। इसी वजह से छोटा राजन ने जेडे की हत्या करवाई।
बता दें कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर अडकर ने 3 अप्रैल को फैसले की तारीख 2 मई तय की थी। इस मामले में डॉन राजेंद्र एस. निखलजे ऊर्फ छोटा राजन और मुंबई की पत्रकार जिग्ना वोरा आरोपी थे। मामले की जांच पहले पुलिस कर रही थी, लेकिन बाद में इसकी जटिलता को देखते हुए इसे अपराध शाखा को सौंप दिया गया। महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) से संबंधित विशेष अदालत ने इस मामले की अंतिम सुनवाई फरवरी में शुरू की थी।