'मैं जहां भी रहूं, तेरी याद तो आती है'
प्रवीण कुमार
नई दिल्ली : 'मैं जहां भी रहूं, तेरी याद आती है', एक भारतीय के दिल में यह पंक्ति कूट-कूट कर भरी होती है। भले ही वह अपना शरीर लेकर किसी अन्य देश में बस गए हों, लेकिन आज भी उनका दिल भारत के लिए धड़कता है। वह आज भी होली, दिवाली और ईद मनाते हैं। टीम इंडिया के विजय की कामना करते हैं और हर पल भारत वापस आने की सोचते हैं। प्रवासी भारतीय दिवस को मनाने की शुरुआत पहली बार सन् 2003 में हुई थी। प्रतिवर्ष इस दिवस के अवसर पर भारत में तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिसमें उन भारतीयों को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने विदेश में जाकर भारत का नाम ऊंचा किया है।
प्रवासी भारतीय मामले मंत्रालय (एमओआईए) सभी अनिवासी भारतीयों (एनआरआई), भारतीय मूल के व्यक्तियों (पीआईओ) और भारत के विदेशी नागरिकों (ओसीआई) से संबंधित मामलों के लिए नोडल मंत्रालय है। इसका उद्देश्य भारत और विदेशी भारतीयों के बीच पारस्परिक रूप से लाभप्रद और प्रतीकात्मक संबंध बनाए रखना और बढ़ावा देना है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एमओआईए चार प्रमुख सिद्धांतों द्वारा निर्देशित है। पहला विदेशों में भारतीय समुदाय के विभिन्न अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए समाधान प्रस्ताव, दूसरा प्रवासी भारतीयों के साथ भारत के संबंधों को एक सामरिक आयाम, तीसरा ज्ञान और संसाधन के मामले में प्रवासी निवेश समुदाय से संपर्क राज्य में सभी प्रवासियों की पहल के लिए आमंत्रण।
प्रवासी भारतीय दिवस कहें या अनिवासी भारतीय दिवस हर साल भारत में 9 जनवरी को मनाया जाता है। दरअसल 9 जनवरी 1915 को प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में मान्यता दी गई है क्योंकि इसी दिन महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे और अंततः दुनिया भर में प्रवासी भारतीयों और औपनिवेशिक शासन के तहत लोगों के लिए और भारत के सफल स्वतंत्रता संघर्ष के लिए प्रेरणा बने। यह दिन हर साल प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) सम्मेलन के रूप में मनाया जाता है। प्रवासी भारतीय दिवस 'प्रवासी भारतीय मामले मंत्रालय' का प्रमुख कार्यक्रम है।
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा डायस्पोरा है। पूरी दुनिया में प्रवासी भारतीय समुदाय अनुमानतः 2.5 करोड़ से अधिक हैं। प्रवासी भारतीय समुदाय सैंकड़ों वर्षों में हुए उत्प्रवास का परिणाम हैं और इसके पीछे कई कारण रहे हैं, मसलन वाणिज्यवाद, उपनिवेशवाद और वैश्वीकरण। 20वीं शताब्दी के पिछले तीन दशकों के उत्प्रवास का स्वरूप बदलने लगा है और 'नया प्रवासी समुदाय' उभरा है जिसमें उच्च कौशल प्राप्त व्यावसायिक पश्चिमी देशों की ओर तथा अकुशल, अर्धकुशल कामगार खाड़ी, पश्चिम और दक्षिण पूर्व एशिया की और ठेके पर काम करने जा रहे हैं।
इस प्रकार, प्रवासी भारतीय समुदाय एक विविध विजातीय और मिलनसार वैश्विक समुदाय है जो विभिन्न धर्मों, भाषाओं, संस्कृतियां और मान्यताओं का प्रतिनिधित्व करता है। एक सूत्र जो इन्हें आपस में बांधे हुए है, वह है भारत और इसके आंतरिक मूल्यों का विचार। प्रवासी भारतीयों में भारतीय मूल के लोग और अप्रवासी भारतीय शामिल हैं और ये विश्व में सबसे शिक्षित और सफल समुदायों में आते हैं। विश्व के हर कोने में, प्रवासी भारतीय समुदाय को इसकी कड़ी मेहनत, अनुशासन, हस्तक्षेप न करने और स्थानीय समुदाय के साथ सफलतापूर्वक तालमेल बनाए रखने के कारण जाना जाता है। प्रवासी भारतीयों ने अपने आवास के देश की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान किया है और स्वयं में ज्ञान और नवीनता के अनेक उपायों का समावेश किया है। 9 जनवरी 2003 से लेकर अब तक हर साल भारत के अलग-अलग शहरों में प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता रहा है। अब तक मनाए गए सभी प्रवासी भारतीय दिवस निम्नलिखित हैं -
(1.) 2003 पहला प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली
(2.) 2004 दूसरा प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली
(3.) 2005 तीसरा प्रवासी भारतीय दिवस, मुंबई
(4.) 2006 चौथा प्रवासी भारतीय दिवस, हैदराबाद
(5.) 2007 पांचवा प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली
(6.) 2008 छठां प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली
(7.) 2009 सातवां प्रवासी भारतीय दिवस, चेन्नई
(8.) 2010 आठवां प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली
(9.) 2011 नवां प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली
(10.) 2012 दसवां प्रवासी भारतीय दिवस, जयपुर
(11.) 2013 ग्यारहवां प्रवासी भारतीय दिवस, कोच्चि
(12.) 2014 बारहवां प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली