NRI को मताधिकार : SC ने केंद्र से पूछा- संशोधन विधेयक कब लाएंगे
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : देश की शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से पूछा है कि विदेशों में रह रहे अनिवासी भारतीयों को मताधिकार देने के लिए जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन से संबंधित विधेयक पेश करने में कितना वक्त लगेगा।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.एस. केहर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ वाली पीठ ने महान्यायवादी के.के. वेणुगोपाल से संबंधित संशोधन विधेयक पेश किए जाने को लेकर समयसीमा मांगी। वेणुगोपाल ने अदालत को बताया कि मंत्रियों की एक टीम (टीओएम) ने इस संशोधन विधेयक को लाने की सिफारिश की है।
टीओएम ने गुरुवार को हुई बैठक में फैसला लिया कि अनिवासी भारतीयों को विदेशों में रहते हुए ही मताधिकार और मतदान की सुविधा मुहैया कराने के लिए संसद में एक विधेयक पेश कर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 में संशोधन की जरूरत है।
इस पर सर्वोच्च अदालत ने पूछा कि सरकार अधिनियम में संशोधन का जटिल रास्ता क्यों अपना रही है, जबकि वह कुछ नियमों में संशोधन कर ही इस लक्ष्य को हासिल कर सकती है।
सर्वोच्च न्यायालय ने मामले पर हुई पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से इस बात पर फिर से विचार करने के लिए कहा था कि वह विदेशों में रह रहे अनिवासी भारतीयों को मताधिकार देने के लिए अधिनियम में संशोधन करना चाहती है या नियमों में। पिछली सुनवाई के दौरान एक याचिककर्ता का पक्ष रख रहे पूर्व महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने स्वीकार किया था कि नियमों में संशोधन कर अनिवासी भारतीयों को मताधिकार दिया जा सकता है और इसके लिए अधिनियम में संशोधन की जरूरत नहीं है।
निर्वाचन आयोग की ओर से उपस्थित वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोरा ने अदालत से कहा कि नियमों में संशोधन कर विदेशों में बस गए अनिवासी भारतीयों को मताधिकार दिया जा सकता है, लेकिन अधिनियम में संशोधन कर विदेशों में बस गए भारतीयों द्वारा मतदान में अपवाद का प्रावधान भी रखा जा सकेगा।