जिन्ना पर सवाल, भाजपा में बवाल
राजीव रंजन तिवारी
लालकृष्ण आडवाणी के पाकिस्तान दौरे और जिन्ना की मजार पर जाने के करीब 13 साल बाद एक बार फिर जिन्ना का जिन्न सामने आ गया है। यह भाजपा के लिए मुसीबत का सबब भी बनता दिख रहा है। क्योंकि जिन्ना के मुद्दे पर भाजपा के भीतर ही इस वक्त अलग-अलग राय देखी जा रही है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में लगी मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को योगी सरकार के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा सांसद सावित्री बाई फुले द्वारा जायज ठहराने को लेकर भाजपा में घमासान मचा है। कहा यह भी जा रहा है कि यूपी में दो सीटों पर उपचुनाव होने हैं, इसलिए एक सोची-समझी रणनीति के तहत भाजपा द्वारा इस मुद्दे को उठाया जा रहा है। लेकिन जिन्ना विवाद भाजपा के लिए ही परेशानी का सबब बन सकता है इस बात का अंदाजा शायद पार्टी को नहीं रहा होगा। फिलहाल, इस मसले पर विवाद लगातार गहराता जा रहा है।
आरोप है कि 1936 में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच मानसिक बंटवारे की लकीर जिन्ना ने खींच दी थी। उसके दो साल बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की इस दरोदीवार पर ये तस्वीर लगी। उसके 9 साल बाद ही देश को आजादी मिल गई और तस्वीर वाला ये चेहरा पाकिस्तान बनाकर वहां का गवर्नर जनरल बनकर चला गया। इसी महीने 2 मई को एएमयू कैंपस में हिंदू संगठनों का प्रदर्शन हुआ। जिन्ना का पुतला भी फूंका गया। पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का कार्यक्रम था, जो रद्द करना पड़ा। इन सबके बीच विरोध में जब छात्र धरने पर बैठे तो आरोप लगा कि उन्होंने एक पत्रकार की पिटाई कर दी। एएमयू का बवाल अलीगढ़ से निकलकर लखनऊ और दिल्ली तक राजनीति के पीछे भागने लगा।
बता दें कि सबसे पहले भाजपा सांसद सतीश गौतम द्वारा एएमयू में जिन्ना की तस्वीर लगाए जाने को लेकर सवाल खड़ा किया गया था। गौतम ने वीसी तारिक मंसूर को खत लिखकर इस मामले में सफाई देने की मांग की थी। गौतम ने अपने खत में लिखा था कि ऐसी क्या मजबूरी हो गई थी कि जिन्ना की तस्वीर लगानी पड़ गई। उनका कहना था कि भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान के संस्थापक की तस्वीर लगाने का कोई औचित्य नहीं है। गौतम के खत के जवाब में विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के अध्यक्ष मशकूर अहमद उस्मानी ने जिन्ना को अविभाजित भारत का हीरो बताया। उन्होंने कहा कि वीसी को न लिखते हुए गौतम को छात्रसंघ के लिए खत लिखना चाहिए था, क्योंकि तस्वीर स्टूडेंट यूनियन हॉल में लगी है।
सतीश गौतम के खत पर यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष फैजल हसन ने कहा है कि विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में जिन्ना के बारे में न तो आज तक पढ़ाया गया है और न ही उनसे संबंधित कोई चैप्टर है। उन्होंने कहा कि अगर तस्वीर की बात है तो जिन्ना की फोटो यूनिवर्सिटी में साल 1938 से यानी विभाजन से पहले से ही लगी हुई है। हसन ने आगे कहा कि अगर संसद की तरफ से जिन्ना की तस्वीर को हटाने से संबंधित कोई निर्देश दिया जाता है तो उसका जरूर पालन किया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने सांसद से ही उलटा सवाल कर दिया कि अभी तक पार्लियामेंट से जिन्ना की तस्वीर क्यों नहीं हटाई गई है? छात्रसंघ के वर्तमान अध्यक्ष मशकूर अहमद उस्मानी ने कहा कि साल 1947 से पहले ही जिन्ना को आजीवन सदस्यता दे दी गई थी, इसलिए उनकी तस्वीर अभी तक यूनिवर्सिटी में लगी है। उस्मानी ने सांसद के सवाल से भड़कते हुए कहा कि कल को भाजपा चाहे तो बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की तस्वीर लगाने को लेकर भी सवाल खड़ा कर सकती है।
एएमयू के स्टूडेंट यूनियन हॉल में जिन्ना की तस्वीर साल 1938 से लगी है, जब जिन्ना को आजीवन सदस्यता दी गई थी। ये आजीवन मानद सदस्यता एएमयू स्टूडेंट यूनियन देता है। बताते हैं कि एएमयू इतिहास को मिटाने में यकीन नहीं रखता है। जैसा कि आजकल हो रहा है। जिन्ना की तस्वीर पर विवाद को एएमयू के लोग राजनीति से जोड़कर देखते हैं। एएमयू छात्रसंघ के अध्यक्ष मशकूर अहमद उस्मानी ने लिखा है कि स्टूडेंट यूनियन स्वतंत्र संस्थान है। इस बॉडी के कामों में कोई दख़ल नहीं दे सकता। हम जिन्ना की विचारधारा का विरोध करते हैं लेकिन उनकी तस्वीर होना बस एक ऐतिहासिक तथ्य है। तस्वीर का होना ये साबित नहीं करता कि छात्र जिन्ना से प्रेरणा लेते हैं। इस पूरे विवाद को उस्मानी भी चुनावों से जोड़कर देखते हैं और मीडिया चैनल के प्रति नाराज़गी ज़ाहिर करते हैं। कहते हैं कि ये लोग जिन्ना की तस्वीरों पर तो बात करते हैं लेकिन गांधी की हत्या के अभियुक्त वीर सावरकर को भूल जाते हैं। देश की संसद, जहां संविधान की रक्षा होती है वहां सावरकर की तस्वीर क्यों लगाई हुई है। फिर सावरकर की तस्वीर भी हटाइए। जब आप इतिहास को ख़त्म करना चाहते हैं तो सारी बातें सामने आनी चाहिए।
दूसरी ओर, मोहम्मद अली जिन्ना को लेकर टिप्पणी करने के कारण अब योगी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य पर हमला बोला है। राजभर ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य जिन्ना के रिश्तेदार हैं। भाजपा की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि जब महात्मा गांधी का फोटो पाकिस्तान के किसी विश्वविद्यालय में नहीं है तो जिन्ना का फोटो यहां भी नहीं लगना चाहिए। यदि कहीं तस्वीर लगी है तो वह तत्काल हटनी चाहिए। इससे पहले राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव और भाजपा नेता विनीत अग्रवाल शारदा भी स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान की आलोचना की। विनीत शारदा ने कहा कि जिन्ना को महापुरुष कहने वाले को भारत छोड़ पकिस्तान चले जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद को मंत्री पद से हटाया जाना चाहिए और उन्हें पार्टी से निकाल दिया जाना चाहिए। स्वामी प्रसाद मौर्य ने जिन्ना को महापुरुष बताते हुए अपनी ही पार्टी के सांसद पर निशाना साध दिया। जिन्ना प्रकरण पर भाजपा के लिए हालात प्रतिकूल होने लगे हैं। जानकार बताते हैं कि भाजपा ने सोची-समझी रणनीति के तहत यह मुद्दा उठाया था लेकिन अब यह मुद्दा उसी के गले की हड्डी बन गया है। जिन्ना मुद्दे पर जिस तरह भाजपा के भीतर मतभेद गहरा रहे हैं, उससे तो यही प्रतीत हो रहा है कि पार्टी को इसका नुकसान झेलना पड़ सकता है।