इस आरक्षण से बदलेगा देश!
हर्षवर्धन त्रिपाठी
लोकसभा में आर्थिक आधार पर आरक्षण बिल पारित होने के बाद मीडिया में और राजनीति तौर पर इसे सवर्ण आरक्षण बिल भी कहा जा रहा है, क्योंकि इसका लाभ आर्थिक आधार पर पिछड़े सवर्णों को मिलने की बात कही जा रही है। मैं निजी तौर पर जातिगत आरक्षण का घोर विरोधी हूं और इसीलिए सवर्ण आरक्षण का भी, लेकिन इस आरक्षण का फैसला लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह जरूर साबित करने की कोशिश की है कि सबका साथ सबका विकास सिर्फ चुनावी जुमला नहीं है।
सबका साथ सबका विकास सही मायने में इसी आरक्षण कानून की बुनियाद पर आने वाले वक्त में देश में बड़ी इमारत की तरह चमकता नजर आएगा। आरक्षण लागू करने के पीछे संविधान की जो मूल भावना थी, राजनीतिक लाभ लेने के लिए राजनीतिक दलों ने उस मूल भावना को ही अभी तक के लागू हो रहे आरक्षण में लगभग खत्म कर दिया था। जातिगत आरक्षण से एक और बड़ी समस्या खड़ी हो रही थी कि हर जाति के लोगों को ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करके देश के सीमित होते संसाधनों पर और भार डालने को भी उकसाया जा रहा था। आरक्षण के नाम पर जातियों को उकसाकर राजनीति करने वाले नेता और विचारक, दरअसल फर्जी विमर्श के जरिये देश में एक अलगाव का मौहाल निरन्तर पैदा कर रहे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं था, बरसों से जिस समान नागरिक संहिता की मांग आम नागरिक करता रहा है, पहले उसे धर्म के नाम पर और बाद में जाति के नाम पर नकारने की कोशिश की जाती रही है।
आज भले ही आर्थिक आधार पर सवर्णों को आरक्षण देने को नरेंद्र मोदी की राजनीतिक मजबूरी कहा जा रहा हो, लेकिन इससे एक बेहतर शुरुआत हुई है और इसे आगे ले जाकर पूरी तरह से जातिगत आरक्षण खत्म करते हुए, देश के सभी लोगों (धर्म, जाति) में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 20 प्रतिशत आरक्षण देकर 80 प्रतिशत में देश के सभी लोगों को स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना चाहिए। इससे देश के सर्वोच्च संसाधनों का सर्वोच्च इस्तेमाल होगा। अभी की आरक्षण प्रक्रिया की वजह से देश के सर्वोच्च संसाधनों के निकृष्टतम इस्तेमाल की लगभग आधी गारंटी तो होती ही है।
आर्थिक आधार पर आए इस आरक्षण बिल को कानून बनने के लिए अभी कठिन रास्ता तय करना है, लेकिन सरकार की जिस तरह की इच्छाशक्ति दिख रही है, इससे लगता है कि इसे जल्दी ही कानूनी जामा पहना दिया जाएगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक टिप्पणीकार हैं। यह आलेक लेखक के ब्लॉग http://harshvardhantripathi.in से साभार प्रकाशित किया गया है।)