जेएनयू के बहाने दक्षिणपंथ बनाम वामपंथ
इसमें कोई दो राय नहीं कि देशद्रोह के मामले में जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को गिरफ्तार कर केंद्र की दक्षिणपंथी सरकार ने बड़ी गलती की और इससे निकलने का मार्ग ढूंढ रहे हैं, लेकिन कन्हैया और उमर खालिद के गठजोड़ वाला वीडियो दिखा वामपंथी उससे भी बड़ी गलती कर रहे हैं।
कौन बदले? जेएनयू या सरकार
एक आम नजरिए से देखा जाए तो जेएनयू या किसी भी संस्था में देश विरोधी और सजा पाए आतंकी के समर्थन में नारे लगाना गलत हो सकता है। पर जब हम इसे एक प्रबुद्ध नागरिक और नजरिए का विस्तार करके देखने की कोशिश करते हैं तो यह गलत और अटपटा तो लग सकता है पर देशद्रोह तो कतई नहीं हो सकता।
भारतीय राजनीति में विकल्पहीनता का संकट
विकल्पहीनता का संकट भारतीय राजनीति में हमेशा से हावी रहा है और यह सिलसिला आज भी जारी है। बड़ा सवाल यह है कि मोदी सरकार अगर देश के भरोसे पर खड़ी नहीं उतर पाई तो तीन-साढ़े तीन साल बाद आप कौन सा विकल्प चुनेंगे। क्या कांग्रेस और उसके सहयोगी दल या कोई तीसरा मोर्चा?
चुनाव से पहले मालदा हिंसा के मायने
चुनाव के चौखट पर खड़े बंगाल में मालदा हिंसा के बाद से राजनीतिक गहमागहमी बढ़ गई है। हर घटना की तरह इस बार भी अराजकता की आंच पर स्वार्थ की रोटियां सेंकी जा रही हैं। समय रहते हमें पिछली घटनाओं से सबक लेते हुए धन-बल और जाति व धर्म के मुद्दे को किनारे करना होगा।
सांप्रदायिक चुनौतियां और धर्मनिरपेक्षता की असलियत
नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के साथ ही RSS की ताकत लगातार बढ़ती जा रही है। देश की प्रमुख संस्थाओं के भगवाकरण की तैयारियों को अंजाम दिया जा रहा है। बड़ा सवाल यह कि संघ की घोषित विचारधारा हिंदू राष्ट्रवाद है, तो क्या मोदी के सत्ता में आ जाने के बाद भारत की पहचान हिंदुत्व से होगी?
अर्थव्यवस्था के लिए ‘ब्रह्मास्त्र’ है जीएसटी
वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल पुथल और मांग में गिरावट के बीच संसद के मौजूदा सत्र में जीएसटी बिल का पारित होना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ‘ब्रह्मास्त्र’ साबित हो सकता है। एक अनुमान के मुताबिक, जीएसटी के लागू होने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में दो प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।
बिहार चुनाव में भाजपा नीत एनडीए क्यों हारी?
बिहार चुनाव में महागठबंधन की भाजपा नीत एनडीए पर भारी जीत के साथ ही भाजपा के अंदर इस बात पर मंथन शुरू हो गया है कि जिस पार्टी में पीएम मोदी जैसा प्रखर वक्ता हो, अमित शाह जैसा रणनीति बनाने वाला चाणक्य हो और संघ कार्यकर्ताओं की फौज हो, उसकी इतनी बड़ी हार कैसे हो गई।
‘बिहार के भले’ की सरकार बननी जरूरी
बिहार चुनाव में जातीय भावना को उभारने की लड़ाई चरम पर है। रोजगार, स्वास्थ्य, कानून-व्यवस्था कोई मुद्दा दिख नहीं रहा। लेकिन, बिहार में रह रहे बिहारी और बाहरी बिहारियों के लिए ये मुद्दा जरूर होगा। उम्मीद तो यही है कि 8 नवंबर को जिसकी भी सरकार बनेगी इन्हीं मुद्दों के इर्द गिर्द बनेगी।
NJAC पर SC का निर्णय - एक वैकल्पिक दृष्टिकोण
भारत की सर्वोच्च अदालत ने बहुमत से उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय न्यायिक आयोग की स्थापना हेतु किये गए 99वें संविधान संशोधन को खारिज कर दिया। इस मुद्दे पर देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने विचार व्यक्त किए हैं।
सीमांचल में ओवैसी की दस्तक के मायने
असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार के सीमांचल इलाके में विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार उतारने की घोषणा के साथ दस्तक दे दी है। ओवैसी की एंट्री काफी अहम मानी जा रही है। ओवैसी की इस दस्तक के बाद पटना और दिल्ली में सियासी हलचल बढ़ गई है।