अमन को पलीता लगा वोट हथियाने की जुगत!
हिन्दू-मुस्लिम की बातें कर समाज को बांटना कहीं से तर्कसंगत नहीं लगता, लेकिन कुछ लोग इसी पर अमादा हैं। उन्हें लगता है कि समाज को बांटकर वे बड़ी उपलब्धि हासिल कर लेंगे। दुर्भाग्य यह है कि दंगाइयों पर किसी का अंकुश नहीं चलता। अमन और मोहब्बत से खेलना आज के राजनीतिक नेताओं का फैशन बन गया है। वोट के खातिर जातीय व धार्मिक भावनाओं को भड़काकर हिंसा की आग में अवाम को झोंक देना इनकी फितरत बन गई है।
वामपंथी शासन की नियति है तानाशाही
चीन ने शी जिनपिंग को ताउम्र राष्ट्रपति बने रहने का अधिकार दे दिया है। कहने को चीन में भी संविधान है, लोकतंत्र है। लेकिन, वहां के संविधान और लोकतंत्र की परिभाषा अलग है। माओ और डेंग के बाद अब शी जिनपिंग चीन के तानाशाह शासक हैं। भला हो, हिन्दुस्तान की जनता का कि बरसों पहले भारतीय वामपंथियों के चीन और सोवियत संघ की तरह सबको समानता का अधिकार देने के अनोखे फॉर्मूले को यहां लागू करने नहीं दिया। बल्कि, जैसे-जैसे समझ आता गया, वामपंथियों की तानाशाही को लोकतांत्रिक तरीके से खत्म किया गया।
योगी कभी हारता नहीं
गोरखपुर की सियासत को करीब से जानने वाले इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि यहां मठ की राजनीति सर्वोपरि है। दूसरे यहां की सियासत ब्राह्मण बनाम ठाकुर की चलती है। कई दशक पहले शुरू हुई इस तरह की सियासी जंग आज भी बरकरार है। ऐसा माना जाता है और यही सच भी है कि गोरखपुर में भाजपा की हार की आधी स्क्रिप्ट तो उसी तारीख में लिख दी गई थी जब वहां से उपेंद्र दत्त शुक्ला को उपचुनाव का प्रत्याशी बनाया गया था। वह इसलिए क्योंकि एक तो उपेंद्र शुक्ला गोरखनाथ मठ से बाहर के प्रत्याशी थे, दूसरा योगी आदित्यनाथ की पसंद के नहीं थे और तीसरा उनका ब्राह्मण होना था।
नई उद्योग नीति में विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र पर जोर
सरकार ने नई उद्योग नीति जारी करने से पहले विनिर्माण और सेवा क्षेत्र नीति में बदलाव करने शुरू कर दिये है। नयी उद्योग नीति भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई जा रही है। नीति में ऐसे उद्योग क्षेत्रों पर खास ध्यान दिया गया है जो भारतीय अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की क्षमता रखते हैं।
गांधी शरणं गच्छामि
मोदीवाद गांधीवाद के विपरीत है। गांधीवाद यह सिखाता है कि अहिंसा को एक हथियार के रूप में हमें इस्तेमाल करना है। मोदीवाद कहता है कि संविधान से लेकर अन्य तमाम संस्थाओं पर जो गांधीवाद का असर है उसको खत्म कर मोदीवाद का असर कायम किया जाए। चुनना आपको है।
प्रधानसेवक का राजधर्म?
भारत के पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में वामपंथ को हराकर भाजपा को जीत हासिल किए महज 48 घंटे ही बीते थे कि दक्षिणपंथी संगठनों (भाजपा की टोपी पहने लोग) ने जेसीबी मशीन लगाकर लेनिन की मूर्ति को जमींदोज कर जीत का जश्न मनाया और दिखाने की कोशिश की कि वही हिटलर के असली वंशज हैं जो प्रतिमाओं को तोड़कर, किताबों को जलाकर, लेखकों को मारकर प्रतिस्पर्धी विचारों को खत्म कर देंगे।
बजट के हेल्थ स्कीम में छेद-ही-छेद
अब तक वन लाइनर पंच के लिए विख्यात मोदी सरकार के इस साल के आम बजट को यदि वन लाइनर पंच देना हो तो यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं कि इस बजट में वन लाइनर पंच है ही नहीं, यहां तक कि बहुचर्चित फ्लैगशिप स्वास्थ्य योजना 'राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना' की गहराई से जांच करने पर उसमें भी बहुतेरे छेद नजर आ रहे हैं।
गुजरात में 'जीत की हार' के हैं कई मायने
2017 का गुजरात विधानसभा का चुनाव इस अर्थ में बहुत महत्वपूर्ण माना जाएगा कि इस चुनाव ने कई ऐसी संभावनाएं पैदा की हैं जिनपर मतदाताओं को सोचना पड़ेगा। सोचने का असली मुद्दा यह है कि मतदाता अक्सर यह सोचकर वोट देता है कि वह किसी पार्टी को जिताने या हराने के लिए वोट दे रहा है।
भाजपा को गांव का ख्याल रखना ही होगा
असल विकास तब माना जाएगा जब किसान खेत में हंसता और बाजार दरवाजे पर इंतजार करता दिखे। चार लड़कों ने मिलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के लिए उनके घर में ही बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी थी। लेकिन, चार शहरों ने मोदी-शाह की जमीन बचा ली।
आप हैं तो आपका लालू है
बिहार के चर्चित चारा घोटाले में सजा मिलने के चंद मिनट बाद लालू प्रसाद यादव ने माइक्रो ब्लॉगिंग सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर बिहार की जनता के नाम एक पत्र पोस्ट किया। इस पत्र में लालू यादव ने बिहार की जनता से कहा है कि मैंने तानाशाही सत्ता का साथ नहीं दिया इसलिए मुझे सजा भुगतनी पड़ी।