...और कैश क्रंच ने ले ली बीमार नूरजहां की जान
सत्ता विमर्श ब्यूरो
पटना: नोटबंदी का दौर कईयों के परिवार पर कहर बन कर बरपा था। डेढ़ साल बाद कैश क्रंच ने एक बार फिर एटीएम और बैंकों के बाहर लम्बी लाइनों में खड़ी जनता की तस्वीर पेश कर दी। खबर आई है कि कैश क्रंच की मार बिहार की एक बीमार महिला पर ऐसी पड़ी की उसे अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा। नूरजहां अपने इलाज के लिए अपने ही पैसे निकालने की जुगत में तीन दिन से बैंक के चक्कर लगा रही थी। लेकिन नकदी की किल्लत के कारण उसे बैरंग लौटाया जा रहा था। चौथे दिन उसने बैंक के सामने ही दम तोड़ दिया।
नूरजहां खातून का खाता सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया की रूपौली शाखा में था। नूरजहां खातून की बहू बीबी रोशन ने बताया कि उसकी सास की तबियत पिछले कई दिनों से खराब थी। इलाके के डॉक्टरों के इलाज से वह ठीक नहीं हुई। नूरजहां के बेटे लाल मोहम्मद ने उसे बड़े डॉक्टर के पास पूर्णिया ले जाने का फैसला किया। अपने खाते से पैसे निकालने के लिए सोमवार को नूरजहां बैंक गई थी। लेकिन बैंककर्मियों ने पूरे दिन लाइन में लगवाने के बाद बैंक में पैसे न होने की बात कहकर उसे खाली हाथ लौटा दिया।इस घटना से इलाके में बैंककर्मियों के अमानवीय रवैये पर आक्रोश है। मामला पूर्णिया जिले के रूपौली प्रखण्ड का है।
बेटे ने बताया कि तीन दिनों के इंतजार के बाद कैशियर कृष्ण मुरारी सिन्हा ने कुल पांच हजार रुपये लाल मोहम्मद को दिए। जबकि मांग 17 हजार रुपये के लिए की गई थी। इस पर लाल मोहम्मद ने पैसे लेने से इंकार कर दिया। गुरुवार को भी नूरजहां खातून बैंक के बाहर ऑटो में बैठकर अपनी बारी का इंतजार कर रही थी। बैंककर्मियों के इंकार की बात सुनते ही नूरजहां की हालत बिगड़ने लगी और बैंक के बाहर ही उसने दम तोड़ दिया।
महिला की मौत से गुस्साए लोगों ने शव को बैंक के सामने रखकर विरोध प्रदर्शन किया। करीब डेढ़ घंटे बाद रुपौली थानाध्यक्ष मौके पर पहुंचे और उन्होंने लोगों को समझा बुझाकर मामले को शांत किया। मृतका के बेटे लाल मोहम्मद ने बताया कि उन्हे अपनी मां का इलाज करवाना था लेकिन उन्हे कैश समय पर नहीं दिया गया। उन्हे पिछले चार दिनों से यह कहकर वापस लौटा दिया जाता था कि कैश नहीं है बैंक की लापरवाही से उनकी मां की मौत हो गई।