किसान मुक्ति संसद में उठी आवाज; अब नहीं चलेंगे मोदी के जुमले
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय किसान मुक्ति संसद सम्मेलन में सोमवार को किसानों को कर्ज के बोझ से पूर्ण मुक्ति दिलाने और कृषि उपजों का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के विषय में दो प्रस्ताव पारित किए गए जिन्हें सम्मेलन ने विधेयक का दर्जा दिया है। इस सम्मेलन में देश भर के 184 किसान संगठन शामिल हुए। इस दौरान सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर की अध्यक्षता में महिला किसानों की संसद भी हुई जिसमें आत्महत्या करने वाले किसान परिवारों की 545 महिलाएं और तमाम महिला किसानों ने शिरकत की। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा 19 राज्यों के दस हजार किलोमीटर की किसान मुक्ति यात्रा पूरी करने के बाद 20 नवंबर को दिल्ली में किसान मुक्ति संसद शुरू हुई, जिसमें लाखों किसानों ने भाग लिया।
महिलाएं बोलीं- अब आत्महत्या नहीं, संघर्ष करेंगे
देशभर से आत्महत्या करने वाले परिवारों से आई महिलाओं ने जब अपनी पारिवारिक स्थिति और परेशानियों को संसद के समक्ष रखा तो संसद मार्ग पर जुटी हजारों किसानों की भीड़ गमगीन हो उठी। इस दौरान महिलाओं ने कहा कि पहली बार उन्हें लगा कि कोई उनकी बात सुनने वाला है। किसान अब आत्महत्या नहीं करेंगे, बल्कि संघर्ष करेंगे। महिला संसद को संबोधित करते हुए मेधा पाटकर ने कहा कि आज देश के लिए ऐतिहासिक क्षण है जब महिलाएं अपनी संसद लगाकर अपने सवालों पर न केवल चर्चा कर रही हैं बल्कि महिला संसद के माध्यम से किसान मुक्ति संसद के समक्ष किसानों, खेतिहर मजदूरों, आदिवासियों, भूमिहीनों, बटाईदारों, मछुआरों के जीवन में आमूल-चूल परिवर्तन के लिए बिल पारित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकारों ने नर्मदा घाटी सहित देश भर में 10 करोड़ किसानों को विस्थापित किया है जिनका आज तक संपूर्ण पुनर्वास नहीं हुआ है. वर्तमान सरकार की नीति देश के किसानों और मजदूरों के लिए विनाशकारी है।
इस संसद में अखिल भारतीय किसान सभा के महामंत्री एवं पूर्व सांसद हन्नान मौला द्वारा किसानों की संपूर्ण कर्ज मुक्ति तथा स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के अध्यक्ष एवं सांसद राजू शेट्टी द्वारा कृषि उपज लाभकारी मूल्य गारंटी बिल पेश किया गया। अखिल भारतीय किसान सभा के नेता अशोक धावले ने कहा, आज पारित इन विधेयकों को लोकसभा में सांसद राजू शेट्टी, राष्ट्रीय शेतकरी स्वाभिमान पक्ष और राज्यसभा में मार्क्सवादी पार्टी के के.के. रागेश निजी विधेयक के रूप में पेश करेंगे।
अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव अतुल कुमार अंजान ने कहा, प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई राज्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बोनस नहीं देगा और अब गुजरात के विधानसभा चुनाव से पहले, जबकि कपास की कीमत काफी कम हो गई है, गुजरात सरकार ने कपास पर प्रति गांठ 500 रुपये बोनस देने की घोषणा की है। अंजान ने पूछा, लेकिन अब सवाल है कि कर्नाटक अथवा महाराष्ट्र, पंजाब अथवा तमिलनाडु के किसानों का क्या होगा? उन्होंने कहा कि यह नीति किसानों के भले के लिए नहीं बल्कि उन्हें अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करने का हथकंडा है।
सरकार ने विधेयक पारित नहीं किए तो नहीं देंगे वोट
किसान मुक्ति संसद में किसानों ने धमकी दी कि अगर मोदी सरकार ने इन निजी विधेयकों को पारित नहीं किया तो उन्हें वर्ष 2019 में लोकसभा के चुनावों में पराजय का सामना करना पड़ेगा। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति कि ओर से जारी बयान में कहा गया कि किसान मुक्ति संसद में संपूर्ण कर्जा मुक्ति बिल एवं कृषि उपज लाभकारी मूल्य गारंटी बिल पारित किया गया है।
संसद में आए किसानों का स्वागत करते हुए संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि पहले उत्तम खेती थी, अब खेती घाटे का सौदा हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों से वादा किया था कि खेती का कर्ज माफ करेंगे और किसानों को फसल की लागत का डेढ़ गुना मूल्य दिलाएंगे, सारा पुराना कर्ज माफ किया जाएगा. किसानों ने उनपर विश्वास किया और भाजपा को वोट दिया। इसलिए प्रधानमंत्री को भी अपना वादा निभाना पड़ेगा। वीएम सिंह ने कहा, हम लोग सरकार चुनते हैं कि वे हमारा काम करेंगे। मोदी जी ने किसानों से कहा कि हमारे सांसद चुनो, मैं तुम्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य के रूप में लागत का डेढ़ गुना मूल्य दूंगा। हमने उनके सांसद चुन दिए। बदले में हमें क्या मिला? सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा कि हम लागत का डेढ़ गुना दाम नहीं दे पाएंगे। वे जुमलों की राजनीति करते हैं। इसलिए हमें अपनी संसद चलानी पड़ेगी।
उन्होंने कहा, जिनको हमने चुना है अपनी बात कहने के लिए वे वादा करने के बाद भी हमारी बात नहीं कहेंगे तो हम उन्हें करके दिखाएंगे। हम यहां अपनी संसद में बिल पेश करेंगे और पूरे देश से सलाह मागेंगे। फिर ये बिल हम अपनी संसद से पास करके सरकार को भेजेंगे कि जो काम तुमसे नहीं हुआ, वह हमने करके दिखाया है। अब इसे पास करो। तब भी पास नहीं करोगे तो 2019 सामने है। देश का किसान इकट्ठा है। देश भर का किसान इकट्ठा हो जाएगा तो मोदी जी के जुमले नहीं चलेंगे।
हन्नान मौला ने कहा कि किसानों को कम दाम देकर लगातार सरकारों ने लूटा है, उन्हें कर्जदार बनाया है, जिसके चलते 5 लाख किसान आत्महत्या के लिए मजबूर हुए हैं. अब किसान अपना शोषण नहीं होने देंगे। कॉरपोरेट को छूट देकर किसानों को अब लूटने की छूट अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति नहीं देगी। उन्होंने कहा कि देश के किसान संगठन लंबे अरसे से कर्जा माफी की बात करते थे लेकिन हम कर्जा मुक्ति की न केवल मांग कर रहे हैं बल्कि हमने एक बिल तैयार किया है जिस पर संसद को विचार कर पारित करना चाहिए।
किसानों को धोखा देने वालों को हम छोड़ेंगे नहीं
सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि किसानों को धोखा देने वालों को हम छोड़ेंगे नहीं। हमें धोखा देकर दिल्ली के तख्त को हथियाने वालों को नीचे लाने की हिम्मत किसानों में है। हम इसे लेकर रहेंगे, अब हम चुप नहीं बैठेंगे। उन्होंने कहा कि हमने जब किसान मुक्ति संसद की तारीख तय की थी, तब यह सोच कर की थी कि हम संसद सत्र के दौरान अंदर ही नहीं, बाहर भी अपनी बात रखेंगे। लेकिन प्रधानमंत्री भाग खड़े हुए। वे संसद का सामना करने से घबरा रहे हैं।
जय किसान आंदोलन और स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने किसान मुक्ति संसद को संबोधित करते हुए कहा कि आज की मुक्ति संसद देश के किसान आंदोलन के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगी। पहली बार हरे झंडे और लाल झंडे वाले किसान आंदोलनों का संगम हुआ है। साथ में पीले और नीले झंडे जुड़ने से किसान संघर्ष का इंद्रधनुष बना है। किसान ने सरकारों से और नेताओं से बहुत धोखा खाया, लेकिन अब किसान धोखा नहीं खाएगा।
अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव व पूर्व विधायक राजाराम सिंह ने कहा कि देश में सरकार लगातार किसान विरोधी योजनाएं चला रही हैं। कॉरपोरेट को मुनाफा और किसानों को घाटा दे रही है। देश में भाजपा शासित राज्यों में भूख से मौतों का सिलसिला लगातार बढ़ा है। इसलिए हम किसान मजदूर एक होकर अपना हक लेकर रहेंगे, वरना सरकार को नहीं चलने देंगे।
अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के अध्यक्ष वी. वेंकटरमैया ने कहा कि सरकार ने वायदा किया था कि किसानों की आमदनी दोगुनी होगी लेकिन मूल्य लागत से कम तय किया है। 17 फसलों में से 9 फसलों को जो सीएसीपी में उत्पादन लागत का एस्टीमेट किया है उससे कम दिया। केंद्र सरकार इस दोगुनी वाली पॉलिसी लागू नहीं कर रही है, इससे किसान और कर्ज में डूब जाएगा. इसलिए हम कर्जमाफी की मांग कर रहे हैं। वेंकटरमैया ने कहा, सरकार कहती है कि किसानों की कर्ज माफी करके देश की आर्थिकी कमजोर होगी। ऐसा कहकर सरकार गलत प्रचार कर रही है, जबकि सरकार कॉरपोरेट को लाखों-करोड़ों रुपये सब्सिडी देती है।
लोक संघर्ष मोचे की अध्यक्ष प्रतिभा शिंदे ने कहा कि नरेंद्र मोदी जिस गुजरात से आते हैं उसी गुजरात से हजारों किसान इस संसद में यह बात रखने आये हैं कि गुजरात का किसान सरकार की नीतियों की मार से परेशान है। महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार ने कर्जा मुक्ति का एलान किया, किसानों का कर्जा मुक्ति कार्यक्रम करके प्रमाणपत्र देने के बावजूद एक भी किसान का कर्जा माफ नहीं हुआ। इससे इस सरकार का किसान विरोधी चरित्र उजागर होता है। महाराष्ट्र में अब तक तीन लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं।
कर्नाटक राज्य रैयत संघ के अध्यक्ष कोडीहल्ली चंद्रशेखर ने कहा कि सरकार की नीति कॉरपोरेट के पक्ष में और किसानों के विरोध में है। कॉरपोरेट की लागत के सामान खाद, बीज, कीटनाशक दवा बहुत महंगे हैं। सरकार उनको इनसे दाम कम नहीं करवाती। किसानों से कहती है कि जमीन गिरवी रखकर सामान खरीदो। डीजल भारत में 58 रुपये प्रति लीटर, पाकिस्तान में 49 रुपये प्रति लीटर, श्रीलंका में 41 रुपये प्रति लीटर है। किसानों की फसल सस्ते में खरीदने के लिए एग्रो प्रोसेस में भी विदेशी कंपनियों को बुलाया जा रहा है।