जागो सरकार जागो : किसान पिता के कर्ज का बोझ नहीं सह पाई लातूर की बेटी और...
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : सुनने में अजीब सा तो लगता है लेकिन यह सच है कि एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लातूर की एक 20 साल की बेटी को डिजिटल ट्रांजैक्शन के लिए 1 करोड़ का इनाम दिया, वहीं दूसरी ओर जिले की एक 20 साल की बेटी कुएं में कूदकर इसलिए अपनी जान दे दी, क्योंकि उसके किसान पिता पर कर्ज का इतना बोझ था कि उसकी शादी के लिए पैसे नहीं जुटा पा रहे थे। शीतल वायाल नाम की इस युवती ने 3 साल पहले ही स्कूल की पढ़ाई पूरी की थी।
महाराष्ट्र में लातूर के भिसे वाघोली गांव में अपने पिता को कर्ज से बचाने के लिए एक 20 साल की युवती ने कुएं में कूद कर जान दे दी। गांव वालों का कहना है कि गरीबी और फसल चौपट होने से उसके पिता शादी का खर्च उठाने में असमर्थ थे। हताश बेटी ने पिता के हालात के आगे मौत को गले लगाना बेहतर समझा। खुदकुशी से पहले 20 साल की शीतल ने एक खत भी लिखा था जिसमें उसने कहा, मैं अपने पिता को आर्थिक बोझ से बचाने के लिए जान दे रही हूं। इसके साथ ही मैं अपने मराठा-कुनबी समुदाय में दहेज प्रथा का अंत भी कर रही हूं।
शीतल ने आगे लिखा, 'पिछले पांच वर्षों से फसल खराब होने की वजह से परिवार आर्थिक संकट से गुजर रहा है, हालात नाजुक बने हुए हैं। हालांकि, मेरी बहनों की शादी बिना किसी दिखावे के शालीन तरीके से संपन्न हो गई। मेरी शादी के लिए मेरे पिता लगातार कोशिशें कर रहे हैं... लेकिन बैंकों-साहूकारों से लोन न मिल पाने के कारण मेरी शादी दो सालों से टल रही है। इसलिए अपने पिता का बोझ कम करने और मराठा समुदाय में दहेज की प्रथा को खत्म करने के लिए मैं अपना जीवन खत्म कर रही हूं। मुझे और मेरे परिवार को इसके लिए किसी भी प्रकार से दोष नहीं दिया जाना चाहिए।'
लातूर की एक बिटिया को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डिजिटल ट्रांजेक्शन के लिए एक करोड़ रूपये से सम्मानित कर रहे थे, शायद उसी वक्त लातूर की इस बिटिया ने अपना आख़िरी खत लिखा होगा। युवती के सुसाइड नोट के शब्दों से राज्य के राजनीतिक हलकों में हलचल तो मची है, लेकिन कुछ दिनों में लोग इसे भूल जाएंगे। यही हमारे लिए शोक की बात है कि यह सब एक राजनीतिक और सामाजिक त्रासदी बनती जा रही है।
महाराष्ट्र में पिछले कई सालों से सूखे न हालात बद से बदतर कर दिये हैं। खासकर मराठवाड़ा के 8 जिलों में पिछले साल करीब 1023 किसानों ने आत्महत्या की जिसमें अकेले लातूर में ये आंकड़ा 109 था जबकि पूरे राज्य में 2016 में 3052 किसानों ने जान दे दी। सूखे के बाद बेमौसम बरसात से भी मराठवाड़ा में करीब ढाई लाख एकड़ में खड़ी फसल बर्बाद हो गई थी।
2017 में अब तक महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों से तकरीबन 400 किसानों के खुदकुशी की खबर है, विपक्ष चाहता है सरकार यूपी की तर्ज पर महाराष्ट्र में किसानों का कर्ज माफ करे, महाराष्ट्र सरकार फिलहाल इस माफी का अध्ययन करना चाहती है। वैसे भी आर्थिक चिंतकों और वित्तीय संस्थानों की तरह भाजपा नीत सरकार का मानना है कि कर्जमाफी किसानों को उबारने का कोई स्थाई विकल्प नहीं है।