मंदसौर में आंदोलित अन्नदाताओं पर फायरिंग में 6 की मौत, सिंधिया बोले- मप्र के लिए काला दिन
सत्ता विमर्श ब्यूरो
भोपाल : एक तरफ मोदी सरकार पूरे देश में सरकार की उपलब्धियों का जश्न मना रही है तो दूसरी तरफ मध्यप्रदेश में चल रहे किसान आंदोलन को कुचलने के लिए पुलिस और अर्धसैनिक बलों का सहारा लेकर अन्नदाताओं को गोली मारी जा रही है। मंदसौर में धरने पर बैठे किसानों पर पुलिस की फायरिंग में करीब 6 किसानों के मारे जाने की खबर है।
अपनी मांगों के समर्थन में मध्यप्रदेश के कई जिलों में चल रहे किसान आंदोलन ने मंगलवार को हिंसक रूप ले लिया। मंदसौर में धरने पर बैठे किसानों पर पुलिस की फायरिंग में करीब 6 किसानों के मारे जाने की खबर है। एक दर्जन से अधिक किसानों के जख्मी होने की खबर है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों की आपात बैठक बुलाई। हालांकि सरकार ने पुलिस की गोली चलाए जाने की घटना से इनकार किया है। गृह मंत्री का कहना है कि मंदसौर में पुलिस ने कोई गोली नहीं चलाई है। शिवराज सरकार ने गोली चलने की घटना की जांच के आदेश दिये हैं।
राहुल गांधी ने कहा है कि सरकार देश के किसानों के साथ जंग लड़ रही है। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने सवाल किया कि क्या बीजेपी के न्यू इंडिया में अन्नदाताओं को हक मांगने पर गोली मिलती है। कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि मध्य प्रदेश के इतिहास में आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ। हमारे अन्नदाताओं पर गोली चलाना दुखदायी और दिल को दहलाने वाला है। मध्य प्रदेश के लिए ये एक काला दिन है।
BJP के न्यू इंडिया में हक़ मांगने पर हमारे अन्नदाताओं को गोली मिलती है?#Mandsaur #MadhyaPradesh https://t.co/j0OLcVrjsq
— Office of RG (@OfficeOfRG) June 6, 2017
किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों के एक गुट ने मंगलवार को वाहनों में तोड़फोड़ की। प्रदर्शन के हिंसक होने और आग लगाए जाने की घटना के बाद मौके पर पहुंची सीआरपीएफ की टीम ने मोर्चा संभाला। इस दौरान दोनों पक्षों में पथराव के बाद फायरिंग हुई जिसमें 6 किसानों की मौत हो गई। शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया है। सूबे के गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि पुलिस या सीआरपीएफ की तरफ से कोई फायरिंग नहीं हुई।
किसानों की सरकार से ये हैं मुख्य मांगें
किसान सेना के संयोजक केदार पटेल और जगदीश रावलिया के मुताबिक किसानों ने मप्र सरकार को 32 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा था। इन पर सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा भी हुई थी। उन्होंने इसमें से कुछ मांगे मंजूर कर ली थीं। मुख्य मांगे इस प्रकार हैं-
- मप्र सरकार ने एक कानून बनाकर किसानों की जमीन लेने के बदले मुआवजे की धारा 34 को हटा दिया था और किसानों के कोर्ट जाने का अधिकार वापस ले लिया था। इस कानून को हटाना किसानों की पहली मांग है।
- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू की जाएं जिनमें कहा गया है कि किसी फसल पर जितना खर्च आता है, सरकार उसका डेढ़ गुना दाम दिलाए।
- एक जून से शुरू हुए आंदोलन में जिन किसानों के खिलाफ केस दर्ज किए गए हैं, उन्हें वापस लिया जाए। मप्र के किसानों का कर्ज माफी किया जाए।
- सरकारी डेयरी द्वारा दूध खरीदी के दाम बढ़ाए जाएं।
मंदसौर में किसानों पर पुलिस की फायरिंग के बीच प्रशासन ने इलाके में इंटरनेट सेवाओं पर भी बैन लगा दिया है। मंदसौर, रतलाम और उज्जैन में इंटरनेट सेवा पूरी तरीके से बंद कर दी गई है। साथ ही बल्क मैसेज करने पर भी पाबंदी लगा दी गई है। राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ ने आंदोलन को और बड़ा रूप देने की चेतावनी दी है। किसान मजदूर संघ ने बुधवार को प्रदेश व्यापी बंद का ऐलान किया है। किसानों के प्रदर्शन के बीच अलग-अलग इलाकों से भी झड़प की खबरें आ रही हैं। सुवासरा में किसानों और व्यापारियों के बीच झड़प का मामला सामने आया है। व्यापारियों ने विरोध में अनिश्चितकाल के लिए पूरा शहर बंद कर दिया है।
इससे पहले मंदसौर में आक्रोशित किसानों ने दलौदा स्टेशन पर रेलवे फाटक तोड़ दिया था। साथ ही पटरियों की फिश प्लेट निकालने का भी किसानों पर आरोप लगा है। इसके अलावा दूसरी सरकारी संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया गया। पुलिस गोलीबारी के बाद किसान और उग्र हो गए हैं और उन्होंने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया। इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया है, मगर आक्रोशित लोग सड़कों पर हैं। उज्जैन मंडलायुक्त बीएम ओझा ने बताया कि उग्र किसानों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को गोलीबारी करनी पड़ी। घटना मंगलवार दोपहर करीब 2.00 बजे हुई। उज्जैन रेंज के पुलिस महानिरीक्षक वी. मधु कुमार ने बताया है कि मंदसौर शहर और पिपलिया मंडी क्षेत्र में कर्फ्यू लगाया गया है और पुलिस हालात पर नजर रखे हुए है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से धैर्य रखने की अपील की है. शिवराज सरकार ने मृतक के परिजनों के लिए 10 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया है, वहीं गंभीर रूप से घायलों को एक लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी. सीएम शिवराज ने मंदसौर की घटना को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए ट्वीट किया कि घायलों के इलाज की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार उठाएगी. शिवराज ने कहा कि किसान किसी के बहकावे में ना आएं। मंदसौर की घटना पर शिवराज सिंह चौहान ने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दखल के बाद किसानों के एक वर्ग (आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ) ने किसानों की हड़ताल को वापस लेने का ऐलान किया था, लेकिन किसानों के बीच फूट पड़ गई। आंदोलन में अगुवा भारतीय किसान यूनियन और राष्ट्रीय किसान मज़दूर संघ ने संघर्ष का रास्ता नहीं छोड़ने का ऐलान किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बैठक के बाद ट्विटर पर लिखा था कि मुझे खुशी है कि मध्य प्रदेश में किसानों ने अपना आंदोलन समाप्त कर दिया है। मध्यप्रदेश सरकार किसान हितैषी सरकार है तथा सदैव किसानों के कल्याण के लिए कार्य करती रहेगी। चौहान ने ट्वीट किया कि तीन-चार दिनों में 8 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से प्याज की खरीद शुरू हो जाएगी और इस महीने के अंत तक जारी रहेगी। एक अन्य ट्वीट में शिवराज ने कहा कि गर्मियों में सरकार मूंग की दाल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदेगी।