महाराष्ट्र: हजारों किसान पहुंचे मुम्बई, विधानसभा घेर- सरकार तक पहुंचायेंगे अपने मन की बात
सत्ता विमर्श ब्यूरो
मुम्बई: वो 7 मार्च 2018 का ही दिन था जब हजारों की तादाद में किसान एक बैनर तले जुटे और महाराष्ट्र सरकार से लोहा लेने निकल पड़े। नासिक जिले से टुकड़ियों में जुटे किसान अब 50,000 के पार पहुंच गए हैं। किसानों की सरकार से कर्ज माफी से लेकर उचित समर्थन मूल्य और जमीन के मालिकाना हक जैसी कई और मांगें हैं। योजना प्रदेश के विधानसभा भवन को घेरने की है। लेफ्ट से जुड़े संगठन भारतीय किसान सभा ने इस विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया है। सात दिन तक चलने वाले इस मार्च में हिस्सा लेने पूरे राज्य से किसान आए हैं। रविवार सुबह मुंबई के दर पर दस्तक दे चुके हैं और शासन-प्रशासन व्यवस्थाओं को लेकर पशोपेश में है।
हजारों की संख्या में जुटे ये गरीब किसान बेहद शालीन और संयम का परिचय दे रहें हैं। पैरों में छाले हैं लेकिन इन्हें मुम्बईकर्स का पूरा ख्याल है। कह रहें हैं कि हमारे प्रदर्शन के कारण इन्हें परेशानी नहीं होने देंगे... हम तो बस राजनीतिक बिरादरी तक अपनी बात पहुंचाना चाहते हैं। किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धावले ने कहा कि हमें पता है कि बच्चों के बोर्ड के इम्तेहान सिर पर हैं इसलिए हमारी रैली सुबह 11 बजे के बाद शुरू होगी। मंगलवार से पद यात्रा पर निकले ये किसान बेहद कम खाते हैं। आराम के लिए थोड़ा सा वक्त निकालते हैं, सुबह सूरज निकले से पहले मार्च पर निकल पड़ते हैं और शाम तक यूं ही खामोश अपनी मंजिल की ओर बढ़ते जाते हैं।
इस मेगा विरोध प्रदर्शन का अहम हिस्सा आदिवासी किसान भी हैं, जो मानते हैं कि उनके लिए ये जीवन मरन का प्रश्न है। किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धावले ने किसानों की मांगों से महाराष्ट्र के मंत्री गिरीश महाजन को अवगत करा दिया है। जिन्होंने किसानों के हक की बात को राज्य के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस तक पहुंचाने का वायदा किया है। किसानों का कहना है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए और गरीब और मझौले किसानों का कर्ज़ माफ़ किया जाए। सिफारिशों के अनुसार C2+50% यानी कॉस्ट ऑफ कल्टिवेशन (यानी खेती में होने वाले खर्चे) के साथ-साथ उसका पचास फीसदी और दाम समर्थन मूल्य के तौर पर मिलना चाहिए।
बताया जा रहा है कि मराठवाड़ा में कर्ज़ माफ़ी के संबंध में जो आंकड़े दिए गए हैं को बढ़ा-चढ़ा कर बताए गए हैं। जिला स्तर पर बैंक खस्ताहाल हैं और इस कारण कर्ज़ माफ़ी का काम अधूरा रह गया है। कर्ज़ माफ़ी की प्रक्रिया इंटरनेट के ज़रिए हो रही है लेकिन डिजिटल साक्षरता किसानों को दी ही नहीं गई है, तो वो इसका लाभ कैसे ले पाएंगे? क्या उन्होंने इसके संबंध में आंकड़ों की पड़ताल की है?
वहीं किसानों के इस खामोश आंदोलन ने राजनेताओं को भी नींद से जगाया है। शिवसेना, से लेकर एनसीपी तक सभी इनका हाल जानने इनके पास पहुंच रहें हैं। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे शुक्रवार को प्रदर्शनरत किसानों से मिले लेकिन स्पष्ट किया कि वो यहां बहैसियत राज्य सरकार के मंत्री नहीं बल्कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नुमाइंदे के तौर पर आए हैं। नवनिर्माण सेना समेत इन दलों ने भी किसानों को समर्थन देने की बात कही है।