वसुंधरा राज में ये क्या हो रहा है? देखिए! OT में कैसे आपस में भिड़े डॉक्टर और नवजात ने तोड़ा दम
सत्ता विमर्श ब्यूरो
जोधपुर : जिस सूबे की कमान एक महिला के हाथ में है कम से कम वहां महिलाओं को लेकर संवेदनशीलता की उम्मीद की जा सकती है। लेकिन ऐसी ही उम्मीद ने यहां कि उम्मेद अस्पताल में दम तोड़ दिया। महिला मां बनने की चाह से आई महिला को खाली हाथ लौटना पड़ेगा। वजह डॉक्टरों की लापरवाही। ऐसी लापरवाही जिस पर अस्पताल प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई तो की है लेकिन सफाई भी दे रहा है। वाकया राजस्थान का है। वो भी उस उम्मेद अस्पताल का जिसे प्रदेश के बड़े जनाना अस्पताल के तौर पर ख्याति प्राप्त है।
चिकित्सकों बेहद गैर जिम्मेदाराना रवैये से ओटी में पेश आए। महिला ओटी टेबल पर थी उसकी सर्जरी जारी थी और दो वरिष्ठ चिकित्सक आपस में भिड़े हुए थे। दोनों का ये गैर-पेशेवराना अंदाज एक वीडियो के जरिए बाहर आया है। इससे जोधपुर के इस नामी गिरामी अस्पताल की साख को बट्टा लगता देख प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई की और दोनों आरोपी चिकित्सकों को उनके पद से हटा दिया गया है। अस्पताल के प्रिंसिपल एएल भट्ट ने कहा है कि वो दोनों के खिलाफ अनुशासनात्मक कदम उठायेंगे।
हालांकि उन्होंने गर्भवती महिला की खराब सेहत का भी हवाला दे डाला। उन्होंने कहा कि जब वो आई तो उसके गर्भस्थ शिशु की धड़कन कमजोर थी और यह कारण हो सकता है उसकी मौत का। फिलहाल ये वीडियो वायरल हो रहा है और मरीजों के भगवान की पोल पट्टी खोल रहा है।
#WATCH Rajasthan: Verbal spat between two doctors in OT during the surgery of a pregnant woman in Jodhpur's Umaid Hospital (29.8.17) pic.twitter.com/eZfHHISQGB
— ANI (@ANI) August 30, 2017
ज्यादा दिन नहीं बीते जब उदयपुर चिकित्सकीय सलाह में बरती गई कोताही के चलते गर्भवती ने पन्नाधाय महिला राजकीय चिकित्सालय के बाहर ही नवजात को जन्म दिया था। सूचना पर चिकित्सालय स्टाफ ने तत्परता दिखाई और प्रसूता को वार्ड में ले जाकर भर्ती करवाया। बाद में अस्पताल ने इसे महिला की लापरवाही करार दिया हालांकि उसके परिजनों का कहना था कि वो कराहती रही, चिल्लाती रही लेकिन उसकी मदद को कोई नहीं आया।
ऐसे वक्त में जब सूबे की महिला मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 2016 में ही राजश्री योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को लाभ पहुंचाने का दावा कर चुकी हों और केन्द्र सरकार द्वारा उनके प्रयासों की प्रशंसा भी हुई हो तो लापरवाही और स्वास्थ्य योजनाओं का सही इस्तेमाल ना किए जाने को लेकर सवाल उठने लाजिमी है। वो भी तब पिछले लगभग एक साल से प्रदेश में मातृ व शिशु मृत्युदर में कमी लाने एवं मातृत्व सेवाओं में सुदृढ़ीकरण हेतु प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस अभियान जोरों शोरों से चलाया जा रहा है। स्पष्ट है कि आम लोगों को केवल सब्जबाग दिखाकर ही नहीं बल्कि जिम्मेदार स्वास्थ्य अधिकारियों को भी शिक्षित करके ही इस अभियान को सफल बनाया जा सकता है।