साफ-सफाई से अभी भी कोसों दूर हैं देश के 47 प्रतिशत शहराती
शहरी स्वच्छता के मामले में भारत की स्थिति बहुत ही खराब है। भारत के शहरी इलाकों में साफ-सफाई के बगैर रहने वाले लोगों की संख्या दुनिया में सबसे अधिक है। वैश्विक संस्था वॉटर एड की एक रिपोर्ट को मानें तो देश के शहरी इलाकों में रहने वाले कम से कम 15.7 करोड़ लोग यानी 47 फीसदी भारतीय पर्याप्त साफ-सफाई के साथ नहीं रहते हैं।
प्रधानमंत्री जी! मेरी बेटी के हाथों में मेंहदी तो चढ़ी पर मांग में सिंदूर का रंग नहीं चढ़ पाया
मैं एक गरीब मां हूं। गरीब इसलिए नहीं कि मेरे पास रुपये पैसे की बहुत कमी है लेकिन गरीब इसलिए हूं क्योंकि सब कुछ होते हुए भी मैं अपनी बिटिया का ब्याह नहीं कर पाऊंगी। आप अंदाजा नहीं लगा सकते कि एक बेटी के हाथ में मेंहदी लगी होने के बाद जब वो दुल्हन ना बन पाती है तो एक मां के दिल पर क्या गुजरती है। देव उठान एकादशी का दिन चुना था। सोचा था देवताओं का आशीर्वाद मिलेगा नव-दम्पति को। लेकिन यह हो ना सका क्योंकि नोटबंदी से पहले हम जैसे गरीबों का आपको ख्याल नहीं आया।
एक थे रामकिशन ग्रेवाल
थल सेना से सेवानिवृत लांसनायक रामकिशन ग्रेवाल की एक और पहचान थी। वो अपने गांव के सरपंच थे। सरपंच रहते उन्होंने गांव की सूरत बदल कर रख दी थी। 70 साल के इस सैनिक ने अपने गांव बामला को काफी कुछ दिया। इतना काम किया कि उन्हें काफी सराहना भी मिली। 2004 से डीएससी से रिटायर होने के बाद उन्होंने पूरी लगन से भिवानी के इस गांव के लिए काम किया। धुन के पक्के ग्रेवाल ने फिर अपनी आवाज वन रैंक वन पैंशन के लिए बुलंद की।
‘क्लीन एंड ग्रीन बिंदापुर’ आम लोगों की खास मुहिम
बिंदापुर में चल रही सामाजिक मुहिम किसी खास व्यक्ति द्वारा चलाई जा रही आम सी नहीं हैं, बल्कि इसे तो मुट्ठी भर लोग सिर्फ दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर अंजाम दे रहें हैं। ये कोशिश भी राजनीति की रोटियां सेंकने के आदी नेताओं और उनके पिछल्लगू असामाजिक तत्वों को रास नहीं आ रही है।
महंगाई : 84 करोड़ देशवासियों को नसीब नहीं हो रहा भरपेट खाना, 40 साल की सबसे बड़ी गिरावट
बढ़ती महंगाई का असर जितना शहरों में देखने को मिल रहा है उससे कहीं ज्यादा इसका शिकार भारतीय गांव हो रहा है। ग्रामीण भारत की थाली में पिछले 40 सालों की यह सबसे बड़ी गिरावट कही जा रही है। नेशनल न्यूट्रीशन मॉनीट्रिंग ब्यूरो के एक सर्वे के मुताबिक देश की करीब 70 प्रतिशत आबादी यानी 84 करोड़ लोगों को जरूरत से कम भोजन उपलब्ध है।
रांची के गैर आदिवासियों पर घर से बेदखल होने का संकट गहराया
अगर जनजातीय भूमि जनजातियों (आदिवासियों) को वापस करने का प्रशासनिक आदेश लागू हो जाता है तो झारखंड के रांची जिले में एक लाख से अधिक गैर जनजातीय लोगों को अपने घर से बेदखल होना पड़ेगा। जिला प्रशासन ने इस संबंध में अनुसूचित क्षेत्र विनियमन (एसएआर) अदालत समाधान के जरिए आदिवासी जमीन मालिकों से जमीन खरीदने वालों को यह साबित करने के लिए नोटिस जारी किया है कि उनका सौदा फर्जी या अवैध नहीं है।
अपनी दवा को जानिए : 'नो योर मेडिसिन' कैंपेन शुरू
स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने वाली संस्था 'स्वस्थ भारत ट्रस्ट' ने शुक्रवार को दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान से 'नो योर मेडिसन' कैंपेन की शुरुआत की। स्वस्थ भारत अभियान के संयोजक आशुतोष कुमार सिंह ने कहा कि मरीज को अपनी दवाओं के बारे में जानकारी होनी भी चाहिए। इस संबंध में कड़े कानूनों के बनाए जाने और ठीक से उन्हें लागू किए जाने की जरूरत है।
नमामि गंगे : प्रथम तिमाही में एक रुपया भी खर्च नहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'नमामी गंगे' की रफ्तार धीमी है। हाल यह है कि सरकार वर्तमान वित्त वर्ष 2015-16 की प्रथम तिमाही में इस पर एक भी रुपये खर्च नहीं कर पाई है। यह खुलासा सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई एक जानकारी से हुआ है।
ऑर्गेनिक मसालों के लिए मशहूर गांव में सड़क भी नहीं
अरुणाचल प्रदेश के इस गांव की पहचान उसके जैविक मसाले हैं। इन मसालों की ख्याति दूर सात समंदर पार तक मिली है। विडंबना ये कि एक बेहतर जिंदगी के लिए उन लोगों के पास पर्याप्त मसाले तो हैं लेकिन एक अदद सड़क की दरकार उन्हें अभी भी है जो उन्हें आगे ले जा सके।
आजादी के बाद पहली बार रोशन हुआ गांव 'बेस'
हजारीबाग जिले में स्थित गांव बेस में जश्न का माहौल है। यह जश्न इसलिए नहीं है कि उनके नेता यशवंत सिन्हा जेल से रिहा हो गए हैं, बल्कि जश्न इस बात को लेकर है कि आजादी के बाद पहली बार इस गांव में बिजली पहुंची है। गांव में स्थापित ट्रांसफार्मर का उद्घाटन करने पहुंचे भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा का ग्रामीणों ने जोरदार स्वागत किया। 17 दिन जेल में गुजारने के बाद यशवंत रिहा हुए तो वह कार्यकर्ताओं के साथ सीधे बेस गांव ही पहुंचे और ऐतिहासिक पल के गवाह बने।