देश कैशलेस होने को तैयार, लेकिन कैसे करेंगे लिजियन जैसों का सामना?
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को कैशलेस बनाने की मुहिम छेड़ रखी है। सरकार ने अपील की है कि कालाधन के खात्मे के लिए लोग डिजिटाइज हो जाएं। ई-वॉलेट या ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को बढ़ावा दें। लेकिन इन सबके बीच हैकिंग का डर भी लोगों को सता रहा है। लिजियन ग्रुप ने इस डर को और बढ़ाया है।
इस ग्रुप के हैकर्स ने डिजिटल इंडिया की तरफ बढ़ रही मोदी सरकार की तैयारियों की पोल खोलकर रख दी है। ये एक चेतावनी है कि डिजिटल इंडिया मुहिम के लिए जब ई-वॉलेट, इंटरनेट बैंकिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है तो वहीं विभिन्न बड़े और छोटे वेब होस्ट्स को पता ही नहीं चल पा रहा है कि उनके नाम और सर्वर का किस तरह से दुरुपयोग किया जा रहा है।
सुर्खियों में लिजियन
लिजियन ग्रुप इन दिनों सुर्खियों में है। ये वही समूह है जो कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पत्रकार बरखा दत्त, शराब कारोबारी विजय माल्या जैसे नामचीन लोगों की साइट को हैक कर दावा कर रहा है कि वो भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करेगा। यह हैकर्स ग्रुप ट्विटर पर सक्रिय है और हर बड़े शख्स के लिए खतरे का सबब बन गया है। ताजा ट्वीट में लिजियन ने कहा है- तो भाइयों हम लौट आए हैं। #legion.जो हमारी व्यवस्था के चूहे हैं, आइए उन्हें बेनकाब करें। ग्रुप के आम लोगों से भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के लिए इन्होंने ईमेल आईडी भी ट्विट की है। लोगों से गुजारिश करते हुए ग्रुप ने अपनी इस तथाकथित मुहिम को और धार देने के लिए भ्रष्टाचारियों का विवरण, उनकी काली करतूत के बारे में मेल के जरिए जानकारी मांगी है।
अभी तक की तफ्तीश और खबरों के मुताबिक, ये ग्रुप किन लोगों ने मिलकर बनाया है इसके बारे में कोई भी कुछ भी पुख्ता तौर पर कहने की स्थिति में नहीं है। कैसे अपनी हैकिंग को अंजाम दे रहा है यह ग्रुप इसको लेकर भी अभी सस्पेंस बना हुआ है। हालांकि इनके पैटर्न में कुछ समानताएं भी हैं। इतना तो तय है कि ये ना तो इंजिनयरिंग के छात्र हैं और ना ही बग-बाउंटी हंटर्स, जिन्हें फेसबुक जैसी साइट्स कुछ वायरस का इलाज ढूंढने के लिए रखती है। इनके तरीके से तो यही लगता है कि ये किराये के हैकर्स हैं जिन्हें इस तरह के काम के लिए पैसे मिल रहे हैं और इनका दिमाग किसी आम कम्प्यूटर इंजिनयर की मुकाबले ज्यादा खुराफाती है।
जहां तक राहुल गांधी के ट्विटर हैंडल की हैकिंग का सवाल है तो उसके बाद की गई तफ्तीश में दिल्ली पुलिस बार-बार कह रही है कि हैकर्स दुनिया के पांच मुल्कों से संचालन कर रहे थे, क्योंकि इनका आईपी एड्रेस वहीं का था। हालांकि यह सर्वविदित है कि इस तरह की हैकिंग करने वाले हैकर्स अलग-अलग सर्वर के ट्रैफिक को अपने हिसाब से मोड़ने या छिपाने में माहिर होते हैं। कई प्रॉक्सी साइट और द अनियन रुटिंग ब्राउसर (टोर) इसी तरीके से काम करती है। ताकि सही सर्वर की जानकारी और इंटरनेट ट्रैफिक के बारे में कुछ पता न लग सके।
अब तक लिजियन ग्रुप अपने बारे में कुछ खास नहीं बता रहा है। लेकिन उनके तरीके बता रहे हैं कि वो काफी चालाक और कुशाग्र हैं। न तो वो किसी सरकारी सेक्रेट एजेंसी के लिए काम कर रहें हैं और न ही वो उनमें से हैं जो हैकिंग के बदले अपने शिकार से लम्बी-चौड़ी रकम की मांग कर रहे हैं। बल्कि ये सार्वजनिक तौर पर सब कुछ जाहिर कर दे रहे हैं।
कैसे ये काम कर रहे हैं, इसके बारे में जो थोड़ी बहुत जानकारी मिली है वो हैरत भरी है। इस ग्रुप का कोई अपना ट्विटर हैंडल नहीं है। ऊपर लिखे तीन नामचीन शख्सियतों के ट्विटर हैंडल को हैक करते वक्त इन्होंने Net4India के सर्वर का इस्तेमाल किया है। इससे Net4India खुद हैरान है और उसने इससे इनकार किया है। एनडीटीवी ने भी कुछ ऐसा ही कहा है। सवाल यह उठता है कि इनके पास ट्विटर हैंडल नहीं होने के बावजूद कैसे किया ये सब? जानकारों का कहना है कि इसका मतलब साफ है कि इन्होंने राहुल और अन्य के इमेल खाते को खंगाल कर पासवर्ड का पता लगाया और फिर अपनी हैकिंग को अंजाम तक पहुंचाया
एक और बात यह है कि लिजियन टोर और प्रॉक्सी के अलावा आईपी स्पूफिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीक के जरिए अपनी पहचान और ट्रैफिक को छिपाने की कोशिश कर रहा है और अब तक वह इसमें सफल होता दिख रहा है। लिजियन ऐसा नाम है जो 80 और 90 के दशक में काफी सुर्खियों में था। तब वह लिजियन ऑफ डूम नाम से हैकिंग का काम करता था। लेकिन बाद में ये समूह बिखर गया। उस समय ये नाम हैकर्स की दुनिया का सबसे लोकप्रिय नाम बन गया।