सरदार सरोवर बांध : मोदी के हाथों पूरा हुआ पंडित नेहरू का सपना
सत्ता विमर्श डेस्क
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को गुजरात के केवडिया में सरदार सरोवर बांध राष्ट्र को समर्पित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को इसका श्रेय न दें लेकिन सच यही है कि सरदार सरोवर बांध का सपना तो पंडित नेहरू ने ही देखा था। सरदार सरोवर बांध भारत के इतिहास की शायद सबसे विवादास्पद परियोजना रही है। कई तकनीकी और कानूनी अड़चनों के चलते ये परियोजना लटकती रही और आखिरकार 1979 में इसकी घोषणा हुई। नर्मदा पर बनने वाले इस सबसे बड़े बांध के खिलाफ विरोध की जबर्दस्त लहर भी उठीं। विरोध और लंबी मुकदमेबाजी की वजह से इस परियोजना को वक्त से पूरा करने में काफी वक्त लग गया।
सरदार सरोवर बांध भारत की सबसे बड़ी जल संसाधन परियोजना है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान जैसे बड़े राज्य इससे जुड़े हुए हैं। पानी डिस्चार्ज करने की क्षमता के लिहाज से ये दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध है। प्रोजेक्ट से जुड़ी 532 किलोमीटर लंबी नर्मदा मुख्य नहर दुनिया की सबसे लंबी सिंचाई नहर है।
- सरदार सरोवर बांध की अवधारणा सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 1946 में आजादी से पहले ही रखी थी। हालांकि, इसकी नीव 5 अप्रैल 1961 को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने रखी थी और इसपर काम की शुरुआत 1987 में हुई।
- इस बांध की लंबाई 1.2 कि.मी. है जो इसे देश का सबसे लंबा बांध बनाता है। इस बांध की लागत लगभग 44 हजार करोड़ रूपए है और 16 हजार करोड़ रुपए बांड और ब्याज पर लग गए हैं। इसकी ऊंचाई 138.68 मीटर है जिसमें 4.73 मिलियन क्युबिक मीटर उपयोग के लायक जगह है।
- इस बांध के निर्माण से गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को लाभ होगा। गुजरात को इस योजना से अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा लाभ होगा क्योंकि सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में पाइपलाईन के जरिए पानी पहुंचाया जाएगा जिससे तकरीबन 18 लाख हैक्टेयर भूमि को सिंचाई का लाभ होगा।
- राजस्थान के बाड़मेड़ और जलोर जिलों की तकरीबन 2 लाख 46 हजार हैक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी। इसी कड़ी में महाराष्ट्र के 37 हजार 500 हैक्टेयर जमीन की सिंचाई हो सकेगी।
- तकरीबन 10 लाख किसानों को सीधे इस बांध के जरिए सिंचाई का लाभ मिलेगा जिसमें अगर पीने के पानी की बात की जाए तो तकरीबन 4 करोड़ अलग-अलग गावों और क्षेत्रों के लोगों को लाभ मिलेगा।
- इस बांध में लगे 2 टावरों से 1200 मेगावाट और 250 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा जिसका 57 प्रतिशत हिस्सा महाराष्ट्र को, 27 प्रतिशत मध्यप्रदेश को और 16 प्रतिशत हिस्सा गुजरात को मिलेगा।
- इस बांध के जरिए सालाना तकरीबन 1600 करोड़ रुपए कृषि से, बिजली उत्पादन और पानी की सप्लाई से 175 करोड़ रुपए आएंगे जो तकरीबन 2175 करोड़ रुपए सालाना होता है जिसको अगर एक दिन के हिसाब से अनुमान लगाएं तो 6 करोड़ रुपए हर दिन लाभ मिलेगा।
- इससे तकरीबन 10 लाख ग्रामीण लोगों को रोजगार मिलेगा जो गांव के लोगों का शहरों की तरफ होने वाले पलायन को कम करने में मदद करेगा।
सरदार सरोवर बांध का सफरनामा
सरदार सरोवर बांध परियोजना आजादी के बाद से ही एक महत्वकांक्षी योजना रही है लेकिन तमाम कारणों से इसका काम बार-बार बाधित होता रहा। इस परियोजना की महत्वपूर्ण घटनाक्रम इस प्रकार से रहे...
- लौह पुरूष सरदार वल्लभाई पटेल ने गुजरात में सिंचाई के संकट को देखते हुए नर्मदा पर बांध बनवाने की परिकल्पना की थी तथा आजादी के पहले ही 1946 में उन्होंने अंतरिम सरकार में आने के बाद इस परियोजना के लिए अध्ययन करवाया था।
- 1959 में बांध के लिए औपचारिक प्रस्ताव बना। 5 अप्रैल 1961 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इसकी आधारशिला रखी।
- राज्यों के बीच विवाद होने पर गुजरात एवं मध्य प्रदेश के बीच नवंबर 1963 में समझौता हुआ तथा सितंबर 1964 में डॉ. ए. एन. खोसला ने अपनी रिपोर्ट सौंपी।
- जुलाई 1968 में गुजरात ने अंतर राज्यीय जल विवाद कानून के तहत पंचाट गठित कराने की मांग की। अक्टूबर 1969 में नर्मदा जल विवाद पंचाट बना।
- 12 जुलाई 1974 को गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं गुजरात के बीच बांध को लेकर समझौता हुआ। 12 सितंबर 1979 को पंचाट का अंतिम निर्णय हुआ और अप्रैल 1987 को बांध निर्माण का ठेका दिया गया।
- 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने बांध की ऊंचाई 80.3 मीटर से अधिक करने पर रोक लगाई। 1998—99 में बांध को 85 मीटर तक ऊंचा बनाने की अनुमति दी गई।
- सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2000 में परियोजना के चरणबद्ध तरीके से तेजी से निर्माण की अनुमति दी। वर्ष 2001 में बांध की ऊंचाई 90 मीटर कर दी गई और जून 2004 तक बांध की उंचाई 110.4 मीटर की गई।
- 8 मार्च 2006 को नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (एनसीए) ने बांध की ऊंचाई बढ़ाकर 121.92 मीटर करने की अनुमति दी।
- मार्च 2008 में बांध से निकलने वाली मुख्य नहर राजस्थान तक पहुंची। 12 जून 2014 को नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (एनसीए) ने बांध को पूरी ऊंचाई तक बनाने एवं गेट लगाने की अनुमति दी। 10 जुलाई 2017 को बांध के सभी 30 गेट लगाये गए।
- सुप्रीम कोर्ट ने 8 फरवरी 2017 को परियोजना से प्रभावित लोगों के पुनर्वास एवं पुन:स्थापना के काम को तीन माह में पूरा करने का निर्देश दिया।
- 17 सितंबर 2017 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सरदार सरोवर नर्मदा बांध परियोजना का लोकार्पण किया गया।