कर्नाटक चुनाव : 600 से अधिक मठों के इर्द-गिर्द ही घूम रही कांग्रेस और भाजपा की राजनीति
सत्ता विमर्श ब्यूरो
बेंगलुरू : साल 2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जनता हाशिये पर है। लोकतंत्र के लिए इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है जब दो प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा राज्य के 30 जिलों में 600 से अधिक मठों और उनके महंतों को जीत-हार का माध्यम मान लिया हो। राजनीति के जानकारों की मानें तो कर्नाटक में हमेशा से ही मठों की राजनीति हावी रही है और लोगों पर मठों का खासा प्रभाव रहा है। लिहाजा राजनीतिक पार्टियां चुनावे के समय में मठों के दर्शन कर वहां के मठाधीशों को अपनी ओर लुभाने की कोशिश करती रही हैं। ऐसे में मतदाताओं पर मठों के प्रभाव को देखते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
कर्नाटक में लिंगायत समुदाय से जुड़े करीब 400 छोटे-बड़े मठ हैं जबकि वोकालिगा समुदाय से जुड़े करीब 150 मठ है। कुरबा समुदाय से जुड़े करीब 80 से अधिक मठ हैं। इन समुदायों का कर्नाटक की राजनीति में खासा प्रभाव है, ऐसे में राजनीतिक दलों में इन मठों का आशीर्वाद लेने की होड़ लगी रहती है। कर्नाटक में मठ सिर्फ आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के केंद्र ही नहीं हैं बल्कि प्रदेश के सामाजिक जीवन में भी इनका काफी प्रभाव माना जाता है। शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में नि:स्वार्थ सेवा के साथ कमजोर वर्ग के लोगों के सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण में योगदान के कारण लोग इन मठों को श्रद्धा भाव से देखते हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस कर्नाटक में इतनी कमजोर नहीं है जितनी विगत में कुछ राज्यों में थी। इसलिए यहां पर भाजपा के लिए चुनौती बड़ी है। हालांकि कांग्रेस के लिए भी यह चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है क्योंकि यहां पर जीत के साथ उसके हार के सिलसिले पर विराम लग सकता है। ऐसे में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया नीत कांग्रेस सरकार द्वारा लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने की पहल से उत्पन्न राजनीतिक स्थिति का फायदा उठाने और भाजपा कर्नाटक में सत्ता हासिल करने के लिये कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है।
अमित शाह समेत भाजपा के कई वरिष्ठ नेता मठों का आशीर्वाद लेने में जुटे हैं। पार्टी को उम्मीद है कि मठों के आशीर्वाद से लिंगायत समुदाय के कद्दावर नेता बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में इस दक्षिणी राज्य में कांग्रेस के चक्रव्यूह को तोड़ने में वह सफल होगी। हर धर्म के लोगों को साधने की कोशिश में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी मंदिरों और मठ के अलावा चर्च और दरगाह जा रहे हैं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने हाल ही में दावा किया था कि राज्य में जितने भी मठ हैं उन सबका समर्थन कांग्रेस को है। वहीं, राज्य में नाथ संप्रदाय को साधने की कवायद के तहत भाजपा ने प्रचार के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उतारा है। त्रिपुरा के चुनाव में भी योगी अपना जलवा दिखा चुके हैं।
जहां तक लिंगायत समुदाय की बात है तो राज्य में करीब 20 प्रतिशत आबादी लिंगायत समुदाय की है और 100 सीटों पर इस समुदाय का प्रभाव माना जाता है। इस समुदाय को भाजपा का पारंपरिक वोट बैंक माना जाता रहा है लेकिन इस बार के चुनाव में सिद्धरमैया सरकार के ‘लिंगायत कार्ड’ ने भाजपा के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। केंद्रीय मंत्री तथा कर्नाटक से भाजपा के वरिष्ठ नेता अनंत कुमार का कहना है कि कर्नाटक की जनता सब जानती है। वह जानती है कि कौन ‘दिल में श्रद्धा’ रखते हैं और कौन ‘चुनावी श्रद्धा’ रखते हैं। हम पूरे जीवन के लिए भगत हैं, पूरे जीवन के लिए श्रद्धा भाव रखते हैं।’
कर्नाटक दौरे में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने तुमकुर के सिद्धगंगा मठ में लिंगायत समुदाय के संत शिवकुमार स्वामी से मिलकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया है। इस दौरान बीएस येदियुरप्पा, अनंत कुमार समेत भाजपा के कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। इस मठ का बावणगेरे, शिमोगा और चित्रदुर्ग जैसे मध्य कर्नाटक क्षेत्र में खासा प्रभाव माना जाता है। साल 2013 के चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। वोकालिगा समुदाय के बड़े नेता पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा माने जाते हैं और उनकी पार्टी जनता दल (सेकुलर) का चुनचुनगिरी मठ पर खासा प्रभाव माना जाता है। भाजपा और अमित शाह भी इस बार वोकालिगा समुदाय में पैठ बनाने का प्रयास कर रहे हैं। जनसंख्या के लिहाज से कर्नाटक के दूसरे प्रभावी समुदाय वोकालिगा की आबादी 12 फीसदी है। राज्य में वोकालिगा समुदाय के 150 मठ हैं, जिनमें ज्यादातर दक्षिण कर्नाटक में हैं।
तीसरा प्रमुख मठ कुरबा समुदाय से जुड़ा हुआ है. प्रदेश में इस समुदाय से 80 से अधिक मठ जुड़े हैं। मुख्य मठ दावणगेरे में श्रीगैरे मठ है। मौजूदा मुख्यमंत्री सिद्धरमैया इसी समुदाय से आते हैं। राज्य में कुरबा आबादी 8 फीसदी है। लिंगायत समुदाय पर कांग्रेस के राजनीतक कार्ड की काट के रूप में सिद्धारमैया के वोट बैंक कहे जाने वाले अहिंदा (अल्पसंख्यक, पिछड़ा वर्ग, दलित का कन्नड़ में शॉर्ट फॉर्म) को तोड़ने की कवायद के तहत अमित शाह ने हाल ही में चित्रदुर्ग में प्रभावशाली दलित मठ शरना मधरा गुरु पीठ के महंत मधरा चेन्नैया स्वामीजी से मुलाकात की थी। अमित शाह इस क्षेत्र में लिंगायत समुदाय के प्रमुख धार्मिक स्थल सुत्तूर मठ का भी दौरा कर रहे हैं। हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस क्षेत्र का दौरा किया था। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया भी मैसूरू में चुनाव प्रचार कर रहे हैं जहां वे कुछ मठों में आशीर्वाद लेने जाएंगे।