बसपा प्रत्याशियों की सूची : जानिए! उत्तर प्रदेश में किसे मिला कहां से टिकट
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में दलित-मुस्लिम-ब्राहमण के समीकरण के बल पर अपनी नैया पार लगाने के प्रति आश्वस्त बहुजन समाज पार्टी ने अपने प्रत्याशियों की सूची जारी करते हुए अभी तक 300 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया। बसपा ने मुख्य रूप से समाजवादी पार्टी का वोट बैंक माने जाने वाले मुसलमानों की करीब 20 प्रतिशत भागीदारी के मद्देनजर इनको अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए तीन सूची में 300 में से 82 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं।
बस एक Click में पढ़े नोटबंदी के बाद PM मोदी का Thank You भाषण
मेरे प्यारे देशवासियों, कुछ ही घंटों के बाद हम सब 2017 के नववर्ष का स्वागत करेंगे। भारत के सवा सौ करोड़ नागरिक नया संकल्प, नई उमंग, नया जोश, नए सपने लेकर स्वागत करेंगे। दिवाली के तुरंत बाद हमारा देश ऐतिहासिक शुद्धि यज्ञ का गवाह बना है। सवा सौ करोड़ देशवासियों के धैर्य और संकल्पशक्ति से चला ये शुद्धि यज्ञ आने वाले अनेक वर्षों तक देश की दिशा निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाएगा।
संसदीय राजनीति का वो दौर जब अटल...
इसमें कोई दो-राय नहीं कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से अपनी राजनीतिक जीवन यात्रा की शुरुआत की थी और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ बनाते वक्त जिन तीन-चार लोगों को संघ से लिया था उनमें से वाजपेयी एक थे। वाजपेयी के बारे में यह भी कहा जाता है कि वे संघ के अनुशासन को भले ही मानते रहे, लेकिन उनके विचारों की दुनिया में हमेशा खुली हवा का खास स्थान रहा। इसलिए वाजपेयी आरएसएस के पसंदीदा नेताओं में से कभी नहीं रहे।
देश कैशलेस होने को तैयार, लेकिन कैसे करेंगे लिजियन जैसों का सामना?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को कैशलेस बनाने की मुहिम छेड़ रखी है। सरकार ने अपील की है कि कालाधन के खात्मे के लिए लोग डिजिटाइज हो जाएं। ई-वॉलेट या ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को बढ़ावा दें। लेकिन इन सबके बीच हैकिंग का डर भी लोगों को सता रहा है। लिजियन ग्रुप ने इस डर को और बढ़ाया है।
70 की सोनिया क्या अब बेटे को सौंपेंगी कमान?
ये 9 दिसंबर 2012 की बात है। सोनिया का जन्मदिन था। तब सोनिया ने पार्टी नेताओं से कहा था कि 70 के बाद वो अध्यक्ष पद पर रहने की इच्छा नहीं रखतीं। सब जानते हैं कि इसके बाद कमान किसके हाथ में जाना तय है। पार्टी जानती थी कि सोनिया का अचानक लिया ये फैसला पार्टी को नुकसान पहुंचा देगा। उससे पहले चीजों को मैनेज करना जरूरी होगा नहीं तो पार्टी का हश्र वही होगा जो नरसिम्हा राव और सीताराम केसरी के वक्त हुआ था।
गुजराती कारोबारी के पीछे 'जनरल डायर' कौन?
गुजरात के कारोबारी महेश शाह ने 13,860 करोड़ रुपये की जिस अघोषित आय का खुलासा किया है, बताया जाता है कि उस संपत्ति के पीछे गुजरात के रसूखदार नेता, नौकरशाह और कारोबारी टाइप के लोग हैं। आयकर विभाग का इस केस में जो रवैया है उससे लगता है कि मामले को दबा दिया जाएगा। लेकिन हार्दिक पटेल और अरविंद केजरीवाल इस केस की आड़ में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का नाम लेने से परहेज नहीं कर रहे हैं।
टूट के कगार पर महागठबंधन! नीतीश और अमित शाह में पक रही है खिचड़ी
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बीच पिछले दिनों हुई गोपनीय मुलाकात के बाद सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि बिहार में महागठबंधन टूट के कगार पर है। यह मुलाकात बिहार की राजनीति में किसी बड़े उठापटक की ओर संकेत दे रही है। संभव है नीतीश कुमार भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं।
इंदिरा के हर फैसले को शिद्दत से जीता था भारत
जीवन को बेहतर बनाने के लिए भरोसे और विश्वास से बढ़ कर कुछ नहीं होता और आजाद भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा प्रियदर्शनी गांधी इसी भरोसे और विश्वास का नाम थी। यही वजह थी कि पूरा देश अपनी पीएम के हर फैसले को महसूस करता था और उसे पूरी शिद्दत से जीता भी था। इंदिरा ने जो कहा, जैसे कहा, जिस वक्त भी कहा भारत ने उस पर मुहर लगाई। साहस और हिम्मत की मूरत को भारत ने स्वीकारा।
राजनाथ जी! हमनी के पाकिस्तान में सन्नाटा ना, आटा आ टाटा ही चाहीं
इसे देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह का बेतुका बयान नहीं तो और क्या कहेंगे। सरकार में एक जिम्मेदार पद पर रहते हुए अगर कोई आमजनों की भावनाओं से इस तरह खेले तो इसे क्या नाम दें। राजनाथ सिंह की कोशिश भोजपुरी अध्ययन शोध केंद्र के एक कार्यक्रम के माहौल को भोजपुरीमय बनाने की थी। मौजूद लोग गदगद भी हुए, लेकिन एक भोजपुरी पट्टी से वास्ता रखने वाले शख्स के दिल पर यकीनन छुरियां चल गई होंगी। सिर्फ जुमलेबाजी के लिए ऐसा बयान वो भी मीठी मानी जाने वाली जुबान में, वाकई हैरानी और क्षोभ का विषय है।
जानिए! कैसे चुना जाता है सबसे ताकतवर लोकतंत्र का मुखिया?
अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचन देश के मतदाताओं द्वारा अप्रत्यक्ष तरीके से होता है यानी मतदाता एक निर्वाचक मंडल का चुनाव करते हैं। यह निर्वाचक मंडल राष्ट्रपति का चुनाव करता है। चुनाव के अलावा इस निर्वाचक मंडल का अन्य कोई कार्य नहीं होता। अमेरिकी कांग्रेस के दो सदन होते हैं- प्रतिनिधि सदन में 435 जबकि दूसरे सदन सीनेट में 100 सदस्य होते हैं। इनका योग होता है 535। चुनाव जीतने के लिए पूर्ण बहुमत की जरूरत होती है यानी जिसे 270 या उससे ज्यादा वोट मिल जाते हैं, उसका राष्ट्रपति बनना तय माना जाता है।