नेतृत्व से नाराज पीडीपी सांसद ने पार्टी और लोकसभा से दिया इस्तीफा
सत्ता विमर्श ब्यूरो
श्रीनगर: पिछले काफी दिनों से पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बोल रहे पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के वरिष्ठ सांसद तारिक कर्रा ने गुरुवार को पार्टी और लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देने की घोषणा की। कर्रा ने पार्टी पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से मिलीभगत का आरोप लगाया। जम्मू एवं कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन से नाराज कर्रा ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'पीडीपी फासीवादी आरएसएस की सहयोगी बन चुकी है।'
कर्रा ने अपने आवास पर पत्रकारों को बताया कि उन्होंने पीडीपी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। कश्मीर में जारी हिंसा को लेकर केन्द्र और राज्य सरकार की कोशिशों को उन्होंने नाकाफी बताया। वरिष्ठ सांसद ने सरकार पर विरोध प्रदर्शन को काबू में करने के लिए अधिक बलप्रयोग करने पर भी आपत्ति। उन्होंने कहा कि सरकार जमीनी हालात को नजरअंदाज कर रही है और असंवेदनशील रवैया अपना रही है। इसलिए वे अपनी लोकसभा सदस्यता और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं। कर्रा ने कहा कि उनकी आत्मा कश्मीर के हालात को देख कर रो रही है। इसलिए वह अपनी अंतरआत्मा की आवाज पर यह कदम उठा रहे हैं।
कर्रा ने पीडीपी के अन्य विधानसभा, विधान परिषद और संसद सदस्यों से अपनी अंतरआत्मा की आवाज के मुताबिक कदम उठाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि अन्य पदाधिकारियों पर छोड़ते हैं कि वे अपनी अंतर आत्मा की आवाज सुनकर लोगों की हो रही मौत पर शांत रहते हैं या पीडीपी के समर्थन से भाजपा को अपनी नीति लागू करने का विरोध करते हैं। गौरतलब है कि इससे पहले पार्टी के ओक और बड़े नेता मजफ्फर बेग ने महबूबा मुफ्ती से बतौर सीएम इस्तीफा देने के लिए कहा था। उन्होंने कहा था कि पीडीपी-भाजपा गठबंधन ठीक से सरकार नहीं चला पा रहा और पीडीपी कैडर पीडीपी से नाराज है।
दिवंगत मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के करीबी माने जाने वाले कर्रा पीडीपी के संस्थापकों में से एक हैं। वह हमेशा से भाजपा-पीडीपी गठबंधन के विरुद्ध थे और अपनी नाराजगी पहले भी जाहिर कर चुके थे। कर्रा वही नेता हैं जो इस साल महबूबा के शपथग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए थे और बार-बार आरोप लगाते रहें हैं कि वर्तमान मंत्री अनुभवहीन हैं, जिनके पास कश्मीर को लेकर कोई विजन नहीं है।