कर्नाटक में गिरी भाजपा की बिना बहुमत वाली सरकार, शक्ति परीक्षण से पहले ही ढाई दिन के सीएम बी.एस. येदियुरप्पा ने दिया इस्तीफा
सत्ता विमर्श ब्यूरो
बेंगलुरु : बहुमत के आंकड़े का जुगाड़ नहीं होने की वजह से कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी के ढाई दिन के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने शनिवार को शक्ति परीक्षण से पहले ही इस्तीफा दे दिया। येदियुरप्पा ने बहुमत का प्रस्ताव पेश तो किया, लेकिन फ्लोर टेस्ट के लिए नहीं गए। इससे पहले येदियुरप्पा ने विधानसभा में करीब 20 मिनट तक भावुक भाषण दिया। उन्होंने कहा कि राज्य में जनादेश कांग्रेस और जेडीएस के खिलाफ है। अगर हमें 113 सीटें मिली होती तो आज स्थिति कुछ और होती।
येदियुरप्पा ने कहा- मेरा पूरा जीवन कर्नाटक के लोगों के लिए है। अगर मैं सत्ता गंवा देता हूं तो यकीन मानिए मैं कुछ भी नहीं गंवा रहा हूं। क्योंकि अब मैं जनता के पास फिर जाऊंगा। हो सकता है राज्य में पांच साल बाद चुनाव हों या बीच में भी हो सकते हैं। येदियुरप्पा के पास 104 विधायकों का समर्थन था जबकि बहुमत साबित करने के लिए उसे 111 विधायकों की जरूरत थी। बहुमत साबित करने के पहले प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति को लेकर कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की अपील को खारिज कर दिया था। इस भावुक भाषण में उन्होंने किसानों का ज्यादा जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जब तक जीवन है तब तक वो राज्य के लोगों की सेवा करते रहेगें। वो किसानों के लिए अपनी जिंदगी समर्पित कर देंगे। येदियुरप्पा ने बीते 17 मई को अकेले ही शपथ ली थी।
तीसरी बार भी येदियुरप्पा के लिए सीएम की कुर्सी हुई बेवफा
येदियुरप्पा के लिए तीसरी बार भी कर्नाटक में मुख्यमंत्री की कुर्सी बेवफा ही साबित हुई। शनिवार को उन्होंने तीसरी बार मुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया। इस बार उनका कार्यकाल सिर्फ ढाई दिन का रहा। इससे पहले के उनके दो कार्यकालों की कुल अवधि तीन साल 71 दिन रही थी। वे अपना कोई भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। येदियुरप्पा पहली बार 12 नवंबर, 2007 को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने थे। सीएम बनने के बाद आठवें ही दिन 19 नवंबर, 2007 को उन्हें पद छोड़ना पड़ा था। गठबंधन सरकार में हुए समझौते के अनुसार मुख्यमंत्री पद पर दोनों दलों के नेताओं को बराबर-बराबर वक्त तक सीएम पद पर रहना था। येदियुरप्पा ने जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी को फरवरी 2006 में मुख्यमंत्री बनवा दिया था, लेकिन जब अक्टूबर, 2007 में येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री बनने का वक्त आया तो कुमारस्वामी समझौते से मुकर गए। येदियुरप्पा के दल ने समर्थन वापस ले लिया और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। नवंबर, 2007 में राष्ट्रपति शासन तब खत्म हुआ जब कुमारस्वामी ने समझौते का सम्मान करने का वचन दिया और 12 नवंबर, 2007 को येदियुरप्पा पहली बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद पर विराजमान हुए, लेकिन कुछ ही दिन बाद मंत्रालयों में बंटवारे को लेकर मतभेदों के चलते येदियुरप्पा को 19 नवंबर, 2007 को ही इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को शानदार जीत मिली और येदियुरप्पा 30 मई 2008 को दूसरी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने। इस कार्यकाल के दौरान राज्य के लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार के मामलों में उनका नाम लिया और पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के दबाव की वजह से उन्होंने 31 जुलाई 2011 को पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद बीएस येदियुरप्पा ने गुरुवार को तीसरी बार कर्नाटक के 25वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। विधानसभा चुनाव में 104 सीटें जीतकर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी और कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार को पराजय का सामना करना पड़ा। लेकिन कांग्रेस ने 78 सीटें जीतकर 38 सीटों वाले जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) को बिना शर्त गठबंधन कर उसे समर्थन देने की घोषणा कर दी। इसके बाद राज्यपाल वजूभाई वाला ने सरकार बनाने का न्योता सबसे बड़ी पार्टी भाजपा को दिया। राज्यपाल ने उन्हें विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया। इस पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई और आधी रात में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामले में रातभर बहस चली और तीन जजों की बेंच ने शपथग्रहण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। शुक्रवार की सुबह अगली सुनवाई तय की गई। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि शनिवार को शाम 4 बजे कर्नाटक विधानसभा में सीएम येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने का आदेश दिया। और फिर शनिवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई जिसमें पूर्व निर्धारित शाम 4.00 बजे के फ्लोर टेस्ट से पहले ही येदियुरप्पा ने अपने भावुक भाषण में इस्तीफा देने की घोषणा कर दी। इस प्रकार से भाजपा सरकार के गिरने के साथ येदियुरप्पा के ढाई दिन के मुख्यमंत्री का सफर भी पूरा हो गया।
इसके पहले कर्नाटक में जोरदार तरीके से बहुमत का ड्रामा चला। दिनभर कभी भाजपा के पास बहुमत होने और कभी बहुमत न होने की खबरें आती रहीं। यहां तक कि कांग्रेस और जेडीएस के दो-दो विधायकों के गायब होने की भी खबरें आईं। आखिर में इस गठबंधन के सभी विधायक (कांग्रेस 78 + जेडीएस 37) सदन में पहुंच गए। इससे पहले कांग्रेस के डीके शिवकुमार ने दावा किया था, हमें पूरा भरोसा है कि येदियुरप्पा बहुमत साबित करने से पहले ही इस्तीफा दे देंगे। कांग्रेस नेता वीएस उग्रप्पा ने कहा कि उन्होंने (भाजपा के बीवाई विजेंद्र) कांग्रेस एमएलए की पत्नी को फोन किया और कहा कि वे अपने पति से कहें कि येदियुरप्पा के फेवर में वोट करें। हम आपके पति को मंत्री पद या 15 करोड़ रुपए देंगे। कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने कहा कि भाजपा को पता है कि उसके पास 104 विधायक हैं, इसके बाद भी वह हरसंभव कोशिश कर रही है और हमारे विधायकों को खरीदने के लिए कुछ भी देने को तैयार है। हमारे एमएलए हमारे साथ हैं। दो अभी हमारे साथ नहीं हैं, लेकिन वे हमें सपोर्ट करेंगे।
विधानसभा में येदियुरप्पा बोले- दोबारा जीतकर आऊंगा
किसानों और दलितों के साथ होने की बात करते हुए येदियुरप्पा ने कहा कि वह राज्य के हर क्षेत्र में जाकर दोबारा जीतकर आएंगे। उन्होंने कहा, कांग्रेस की चाल की वजह से ही राज्य पिछड़ा है और मैं अपने पद से इस्तीफा देते हुए कहना चाहता हूं कि मैं अपनी आखिरी सांस तक लोगों की और कर्नाटक की सेवा करूंगा। येदियुरप्पा ने कहा कि जनता ने हमें 104 सीटें दीं और यह जनादेश कांग्रेस और जेडीएस के लिए नहीं था। उन्होंने कहा, सोचा था कि मैं राज्य के किसानों के लिए काम करूंगा। बीजेपी सरकार ने किसानों की ऋणमाफी का फैसला किया है। पूरे देश में लोग कांग्रेस से और कर्नाटक में सिद्दारमैया से जनता नाराज है। पिछले पांच साल में राज्य में कोई बड़ा बदलाव और विकास कार्य नहीं हुआ है।
बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि कांग्रेस और जेडी(एस) गठबंधन अवसरवादी है और हम अगले चुनाव की तैयारी में लगेंगे। उन्होंने कहा, जनता न्याय के लिए गुहार लगा रही थी, पूरे कैंपेन के दौरान हम गरीब लोगों और किसानों से मिले। हमने हमेशा किसानों के लिए काम किया, हमने पदयात्रा की और कोशिश की कि हर मूलभूत समस्या को खत्म किया जा सके। यही वजह है कि लोगों ने हम पर भरोसा जताया और भाजपा को जनादेश मिला।
उन्होंने कहा, हमने किसानों के लिए काम किया है और ऐसी व्यवस्था बनाने की कोशिश की है जिससे किसान गर्व से जी सकें। पिछली सरकार के दौरान इतने किसानों ने आत्महत्या की और सिद्धारमैया सरकार ने उस स्थिति में कुछ नहीं किया। येदियुरप्पा ने कहा कि मैंने राज्य की लोगों की समस्या को समझा और यही कारण था कि उन्होंने हमें चुना। येदियुरप्पा ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव में भाजपा सभी 28 सीटों पर जीत हासिल करेगी।
भावुक होते हुए येदियुरप्पा ने कहा, हमें ईमानदार नेताओं की जरूरत है और कुछ लोग इसके लिए मदद करने की कोशिश कर रहे थे। अगर आज हमें 113 सीटें मिली होतीं तो तस्वीर कुछ और होती। उन्होंने कहा कि जब तक मुझमें जान है, मैं राज्य के हर क्षेत्र और गांव जाकर सबका दिल जीतकर आऊंगा। उन्होंने कहा, मैं राज्य की जनता का आभारी हूं जिसने हमें इतना बड़ा अवसर दिया और जनादेश दिया।