TRS सरकार ने तेलंगाना विधानसभा किया भंग, समय से पहले चुनाव कराने का रास्ता साफ
सत्ता विमर्श ब्यूरो
हैदराबाद : मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव द्वारा गुरुवार को तेलंगाना सरकार के विधानसभा भंग करने के प्रस्ताव को राज्यपाल ईएसएल नरसिंहन ने मंजूरी दे दी है। इस प्रकार से अब राज्य में समय से पहले विधानसभा चुनाव का रास्ता साफ हो गया है जो अभी तक लोकसभा चुनाव के साथ ही होने थे। इससे पहले कैबिनेट मीटिंग के दौरान तेलंगाना विधानसभा भंग करने का प्रस्ताव पास किया गया था। चुनाव होने तक के. चंद्रशेखर राव प्रदेश के कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहेंगे।
टीआरएस सरकार की इस कैबिनेट बैठक के लिए बुधवार से ही अटकलें लगाई जा रही थीं। इस बैठक के लिए सभी मंत्रियों को हैदराबाद में मौजूद रहने के लिए कहा गया है। तेलंगाना सरकार के राज्य में विधानसभा चुनाव तय वक्त से पहले कराने की कई वजहें मानी जा रही हैं। पहली वजह यह है कि लोकसभा में अविश्वास मत और राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव में टीडीपी और कांग्रेस एक कैंप में थे। टीआरएस को लग रहा है कि लोकसभा चुनाव के वक्त इन दोनों में सपा-बसपा जैसा गठबंधन हो सकता है। तेलंगाना में विधानसभा की कुल 119 सीटें हैं। इसमें सत्ताधारी टीआरएस के पास विधानसभा में अभी 90 सीटें हैं जबकि विपक्षी कांग्रेस के पास 13 और भाजपा के पास 5 सीटें हैं।
दूसरी वजह यह मानी जा रही है कि केसीआर लोकसभा के बजाय राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के साथ इसलिए चुनाव कराना चाह रहे हैं कि उन्हें डर है कि अगर इन उत्तरी राज्यों में कांग्रेस को जीत मिलती है जिसकी संभावना प्रबल है तो इससे सुस्त पड़ी तेलंगाना कांग्रेस में जान लौट सकती है और वह लोकसभा चुनाव के वक्त कड़ी टक्कर देने की हालत में होगी। एक और वजह यह गिनाई जा रही है कि लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव नहीं होने पर असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के साथ प्रत्यक्ष या परोक्ष गठबंधन के जरिए टीआरएस राज्य के 12 प्रतिशत अल्पसंख्यक वोटरों को लुभाने में सफल हो सकती है। वहीं, अगर चुनाव साथ होते हैं तो केसीआर के केंद्र के साथ करीबी रिश्ते की वजह से इस वोट बैंक पर असर पड़ सकता है।