SC: चारा घोटाले में लालू पर चलेगा आपराधिक साजिश का मुकदमा
सत्ता विमर्श ब्यूरो
पटना: राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव का बोतल बंद चारा घोटाले का जिन्न फिर से बाहर आ गया है। 950 करोड रुपये के चारा घोटाला मामले में लालू यादव पर केस चलाने की अनुमति सर्वोच्च न्यायालय ने दे दी है। लालू और अन्य पर आपराधिक साजिश और अन्य धाराएं हटाये जाने के खिलाफ CBI ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी।
सुप्रीम कोर्ट अभी ये भी तय करेगा कि चारा घोटाले से जुड़े अलग अलग मामले चलते रहेंगे या नहीं। दरअसल, झारखंड हाईकोर्ट ने नवंबर 2014 में लालू को राहत देते हुए उन पर लगे घोटाले की साजिश रचने और IPC 420ठगी, 409 क्रिमिनल ब्रीच आफ ट्रस्ट और प्रिवेंशन आफ करप्शन के आरोप हटा दिए थे। हाईकोर्ट ने फैसले में कहा था कि एक ही अपराध के लिए किसी व्यक्ति को दो बार सजा नहीं दी जा सकती है। हालांकि हाईकोर्ट के फैसले में यह भी कहा गया कि लालू यादव के खिलाफ आईपीसी की दो अन्य धाराओं के तहत मुकदमा जारी रहेगा। इस फैसले के आठ महीने बाद सीबीआई ने झारखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ जुलाई में सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की थी। सुनवाई के दौरान लालू प्रसाद यादव की तरफ राम जेठमलानी ने कहा कि सभी मामलों में आरोप एक जैसे है इसलिए मामले को लेकर दर्ज किये गए अलग अलग केसों को सुनने की जरूरत नहीं।
वहीं सीबीआई की तरफ से सोलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि लालू प्रसाद के खिलाफ 6 अलग अलग मामले दर्ज हैं जिनमें से 1 मामले में वो दोषी करार दिए गए है और मामला हाई कोर्ट में लंबित है। सीबीआई की तरफ से रंजीत कुमार ने ये भी कहा कि सभी मामलों में साल, रिश्वत की रकम और ट्रांजेक्शन अलग अलग है इस लिए सभी मामलों को एक जैसा नहीं देखा जा सकता।
चारा घोटाला मामले में आरजेडी प्रमुख लालू यादव और अन्य पर से कुछ धाराएं हटाये जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई कर 20 अप्रैल को आदेश सुरक्षित रख लिया था। करीब 950 करोड़ के चारा घोटाले के आरसी/20ए/96केस में लालू प्रसाद यादव के अलावा बिहार के पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्र, जेडीयू सांसद जगदीश शर्मा समेत 45 आरोपी हैं। इस सभी पर चाईबासा कोषागार से 37.7 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का आरोप है। चारा घोटाला 1990 से लेकर 1997 के बीच बिहार के पशुपालन विभाग में अलग-अलग जिलों में लगभग 1,000 करोड़ रुपये के गबन से जुड़ा है. इस दौरान लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे।
सीबीआई ने अपनी हालिया अपील में हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें लालू प्रसाद यादव के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में केवल दो धाराओं के तहत सुनवाई को मंजूरी दी गई थी, जबकि अन्य आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि एक अपराध के लिए किसी व्यक्ति का दो बार ट्रायल नहीं हो सकता। झारखंड हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि भारतीय दंड संहिता की धारा-201(अपराध के साक्ष्य मिटाना और गलत सूचना देना ) और धारा-511 (ऐसा अपराध करने की कोशिश करना, जिसमें आजीवन कारावास या कारावास की सजा सकती है ) के तहत लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मामले की सुनवाई चलती रहेगी।
क्या है चारा घोटाला?
चारा घोटाला 1990 के बीच में बिहार के पशुपालन विभाग से जुड़ा हुआ मामला है। इस दौरान लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे। चारा घोटाले का खुलासा साल 1996 में सामने आया था। यह बिहार पशुपालन विभाग में से करोड़ों रुपए के गबन से जुड़ा मामला है। 90 के दशक की शुरुआत में बिहार के चाईबासा (अब झारखंड में) में सरकारी खजाने से फर्जी बिल लगाकर 37.7 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की गई। चारा घोटाले में कुल 950 करोड़ रुपये के गबन किए जाने का आरोप है। चारा घोटाला मामले में कुल 56 आरोपियों के नाम शामिल हैं, जिनमें राजनेता, अफसर और चारा सप्लायर तक जुड़े हुए हैं। इस घोटाले से जुड़े 7 आरोपियों की मौत हो चुकी है जबकि 2 सरकारी गवाह बन चुके हैं तथा 1 ने अपना गुनाह कबूल कर लिया और एक आरोपी को कोर्ट से बरी किया जा चुका है।
लालू खा चुके हैं जेल की हवा
चारा घोटाला में लालू यादव पर 6 अलग-अलग मामले लंबित हैं और इनमें से एक में उन्हें 5 साल की सजा हो चुकी है। इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ षड्यंत्र का चार्ज रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि लालू के खिलाफ आईपीसी की धारा 201 और धारा 511 के तहत मामला चलेगा, लेकिन षड्यंत्र का आरोप रद्द कर दिया था।