मनोहर पर्रिकर ने चौथी बार संभाली गोवा के मुख्यमंत्री पद की कमान, शपथ में हुई चूक
सत्ता विमर्श ब्यूरो
पणजी : देश के पूर्व रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। इस हिसाब में वे शपथ लेने के मामले में नए नहीं हैं, लेकिन फिर भी उनसे चूक हो गई। दरअसल, गलती से पर्रिकर ने मुख्यमंत्री पद की जगह मंत्री पद की शपथ ले ली। पर्रिकर जब शपथग्रहण कर लौटने लगे तो भाजपा नेता नितिन गडकरी ने उन्हें इस गलती से अवगत कराया तो पर्रिकर दोबारा राज्यपाल के पास लौटे और मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
मनोहर पर्रिकर के अलावा 9 मंत्रियों ने भी शपथ ली। पर्रिकर के मंत्रिमंडल में दो भाजपा के, तीन गोवा फॉरवर्ड पार्टी के तथा दो महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के विधायक शामिल हैं। दो निर्दलीयों को भी मंत्री बनाया गया है। महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के तीनों विधायक मंत्री बनने में सफल रहे जबकि गोवा फॉरवर्ड पार्टी के भी तीन में से दो विधायक मंत्री बने। दोनों निर्दलीयों को मंत्री बनाने से साफ है कि पर्रिकर ने अपनी सरकार को समर्थन के बदले में विधायकों को उपकृत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
पर्रिकर के साथ शपथ लेने वालों में महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के सुदिन धवलीकर और मनोहर अजगांवकर भी शामिल हैं। साथ ही गोवा फॉरवर्ड पार्टी के विजय सरदेसाई, विनोद पलिनकर और जयेश सालगांवकर भी मंत्री बने हैं। बीजेपी के फ्रांसिस डिसूजा, पांडुरंग मडकैकर भी मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं। निर्दलीय विधायक गोविंद गावडे और रोहन खउंटे भी को भी मंत्री बनाया गया है।
इससे पहले कांग्रेस ने गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा के मनोहर पर्रिकर को मुख्यमंत्री नियुक्त करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन मंगलवार सुबह शीर्ष अदालत ने उल्टे कांग्रेस से ही कई सवाल पूछ डाले। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस से पूछा है कि अगर आपके पास संख्या है तो उस संख्याबल के साथ राज्यपाल के पास क्यों नहीं गए? सुप्रीम कोर्ट ने गोवा में भाजपा सरकार को जल्द से जल्द बहुमत साबित करने को कहा है। अदालत ने कहा कि प्रोटेम स्पीकर के सामने भाजपा बहुमत साबित करे।
सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर आप पहले राज्यपाल के पास अपने संख्याबल के साथ जाते और फिर सुप्रीम कोर्ट आते तो हमारे लिए फैसला लेना आसान होता। सुनवाई के दौरान कांग्रेस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हम गोवा में सरकार बना सकते हैं। कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी है। राज्यपाल को इस मामले में सबसे बड़ी पार्टी से चर्चा करनी चाहिए थी। कांग्रेस का आरोप है कि गोवा की राज्यपाल को सबसे बड़े दल को पहले मौका देना चाहिए था। भाजपा को सरकार बनाने का मौका देने से विधायकों की खरीद-फरोख्त को बढ़ावा मिलेगा।
इससे पहले प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर के आवास पर शनिवार शाम याचिका दायर की गई थी। न्यायमूर्ति जेएस खेहर ने मंगलवार को सुनवाई करने पर सहमति जताई। इस सिलसिले में विशेष पीठ का गठन किया गया है क्योंकि शीर्ष अदालत होली पर एक सप्ताह के अवकाश पर है। गोवा कांग्रेस विधायक दल के नेता चंद्रकांत कवलेकर की ओर से दायर इस याचिका में मांग की गई है कि पर्रिकर के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर रोक लगाई जाए और पर्रिकर को मुख्यमंत्री नियुक्त करने के राज्यपाल के फैसले को रद्द किया जाए। वकील देवदत्त कामथ की ओर से दायर याचिका पर वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी दलील पेश कर सकते हैं। इसमें केंद्र और गोवा को पक्षकार बनाया गया है।
गौरतलब है कि पर्रिकर ने सोमवार को रक्षा मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना इस्तीफा सौंपा। पीएमओ ने उनके इस्तीफे को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा। राष्ट्रपति की इस्तीफे पर मुहर लगने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली को रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया है। उल्लेखनीय है कि जेटली के पास पहले भी इस मंत्रालय का प्रभार था लेकिन बाद में मनोहर पर्रिकर के रक्षा मंत्री बनने के बाद उन्होंने इस प्रभार को छोड़ दिया था।
अभी तक के घटनाक्रम के मुताबिक, 14 मार्च को शाम 5.00 बजे मनोहर पर्रिकर एक बार फिर गोवा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। भाजपा को समर्थन देने वाली एमजीपी के नेता सुधीर ढवलीकर को उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा। गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने भाजपा नेता और केंद्रीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को सरकार बनाने का न्योता दिया था। पर्रिकर ने रविवार को ही राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया था। राज्यपाल ने शपथ ग्रहण के बाद 15 दिनों के भीतर पर्रिकर को बहुमत साबित करने को कहा है।