सूखा पीड़ित किसानों के समर्थन में तमिलनाडु बंद, सरकार ने कहा राजनीति से प्रेरित कदम
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली/चेन्नई: 41 दिन तक अपनी मांगों को लेकर जंतर मंतर पर बैठे रहे तमिलनाडु के किसानों के समर्थन में प्रदेश की राजनीतिक बिरादरी एक ही मंच पर आ गई है। मुख्यमंत्री पलानीसामी के आश्वासन के बाद एक महीने तक अनोखे प्रदर्शन को विराम देकर अपने प्रदेश लौटे किसानों के समर्थन में तमिलनाडु मंगलवार को एक दिन के लिए बंद किया गया है। ऐसा विरोधी दल डीएमके के आह्वान पर हुआ है। प्रदेश भर के व्यावसायिक उपक्रमों का शटर गिरा हुआ है, जबकि सरकार का दावा था कि हालात सामान्य बने रहेंगे। वहीं सुरक्षा व्यवस्था में खलल ना पैदा हो इसे लेकर पुलिस ने पुख्ता इंतजाम किए जाने का दावा किया है। विपक्षी दलों द्वारा बुलाए गए इस बंद की मुख्य मांग है कि केंद्र तमिलनाडु में सूखे की स्थिति को राष्ट्रीय आपदा घोषित करें और कानून के मुताबिक पर्याप्त राहत मुहैया करवाई जाए।
डीएमके द्वारा बुलाए इस बंद को कांग्रेस, सीपीआई, सीपीआई(एम), वीसीके समेत कुछ किसान संगठनों, फिल्मी कलाकारों और लॉरी ऑपरेटर्स एसोसिएशन का भी साथ मिला है। इनके अलावा कुछ किराना संगठनों, सब्जी विक्रेता संगठनों और कई ट्रेड यूनियनों का भी समर्थन हासिल है। वहीं सरकार का कहना है कि इस बंद का कोई खास असर नहीं दिखेगा। कुछ जरूरी सेवाओं जैसे दूध, बिजली आपूर्ति और लंबी दूरी की बसों तथा ट्रेनों से आवाजाही में कोई दिक्कत नहीं होगी। सत्ताधारी एआईएडीएमके और भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश ईकाई ने इसे राजनीति से प्रेरित बंद बताया है और इसका विरोध किया है।
गौरतलब है कि 16 अप्रैल को डीएमके प्रमुख स्टालिन की अध्यक्षता में कांग्रेस,सीपीआई(एम), सीपीआई, वीसीके, आईयूएमएल की बैठक हुई थी जिसमें बंद पर आम सहमति बनी थी। डीएमके का कहना है कि बंद के जरिए वो प्रदेश और केन्द्र सरकार को किसानों और मजदूरों के कष्ट से परिचित कराना चाहते हैं और इनकी मांगों को तुरंत पूरा कराने की अपील करते हैं। इसमें कावेरी जल विवाद को लेकर बनाए कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड का मुद्दा भी शामिल है। इनकी ये भी मांग है कि धान और गन्ने का लाभकारी मूल्य बढ़ाया जाए, किसानों को तुरंत उनकी बकाया राशि का भुगतान किया जाए और मुलापेरियार बांध के जलस्तर को 152 फीट ऊपर तक लाया जाए।
विपक्षी दलों ने तमिलनाडु सरकार से किसानों के सभी लोन माफ करने और किसानों के मुद्दों पर चर्चा के लिए विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाने का भी आग्रह किया है।