CBI चार्जशीट पर बोले वीरभद्र- ये धूमल और अनुराग ठाकुर की चाल
सत्ता विमर्श ब्यूरो
शिमला: आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई की चार्जशीट को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अपने खिलाफ भारतीय जनता पार्टी की साजिश करार दिया है। उन्होंने इसका आरोप हिमाचल के दो कद्दावर नेताओं पीके धूमल और अनुराग ठाकुर पर लगाया है। वीरभद्र ने कहा कि उन्हें फंसाने की चाल इन्हीं दो नेताओं ने की है। उन्होंने कहा-सोची समझी साजिश के तहत उन पर ये केस दर्ज किया गया है।हिमाचल के हमीरपुर दौरे पर गए सीएम वीरभद्र सिंह ने कहा कि अभी तो लड़ाई शुरू हुई है।
मीडिया से बातचीत करते हुए सीएम वीरभद्र ने कहा कि- सत्यमेव जयते, सत्य की हमेशा ही जीत हुई है। उन्होंने कहा कि मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। इस मामले में जीत उनकी की होगी। भाजपा पर निशाना साधते हुए सीएम ने कहा कि मेरा इस्तीफा मांगने वाले भाजपा नेता कौन होते हैं। वो खुद ही आरोपी हैं और खुद ही मुझसे इस्तीफा मांग रहे हैं। सोची समझी साजिश के तहत उन पर ये केस दर्ज किया गया है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आय से अधिक संपत्ति मामले में शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और आठ अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। सीबीआई ने आरोप पत्र यहां स्पेशल जज वीरेंद्र कुमार गोयल के सामने दाखिल किया, जिन्होंने मामले की सुनवाई के लिए शनिवार का दिन मुकर्रर किया, जिस दौरान जांच रिपोर्ट पर विचार किया जाएगा।
मामले में वीरभद्र सिंह के अलावा, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह, जीवन बीमा निगम के एजेंट आनंद चौहान, उनके सहयोगी चुन्नी लाल, जोगिंदर सिंह घालटा, प्रेम राज, लावन कुमार रोच, वकामुल्लाह चंद्रशेखर और राम प्रकाश भाटिया के खिलाफ भी आरोपपत्र दाखिल किया गया है। सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के तहत और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।
अपनी रिपोर्ट में सीबीआई ने आरोपों के समर्थन में 220 गवाहों का हवाला दिया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को वीरभद्र सिंह की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने भ्रष्टाचार के एक मामले में अपने और अपनी पत्नी के खिलाफ सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का आग्रह किया था। सीबीआई ने 23 सितंबर, 2016 को भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत मुख्यमंत्री, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह, जीवन बीमा निगम (एलआईसी) एजेंट आनंद चौहान और एक सहयोगी चुन्नीलाल के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
यह मामला प्राथमिक जांच के बाद दर्ज किया गया, जिसमें पाया गया था कि वीरभद्र सिंह ने 2009 से 2012 के बीच बतौर केंद्रीय मंत्री अपने कार्यकाल में 6.03 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति जमा की थी, जो उनकी ज्ञात आय से अधिक थी। मुख्यमंत्री के वकील ने अपने तर्क में कहा था कि मुख्यमंत्री के आवास पर छापा मारने से पूर्व राज्य सरकार और गृह विभाग से अनुमति नहीं ली गई थी।
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एक अक्टूबर, 2015 को एक अंतरिम आदेश में सीबीआई को अदालत की अनुमति के बिना वीरभद्र को गिरफ्तार करने, उनसे पूछताछ करने या उनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने पर रोक लगा दी थी। मामला बाद में दिल्ली हाई कोर्ट को स्थानांतरित कर दिया गया।