फिर से राम मंदिर का मुद्दा
सरसंघचालक मोहन भागवत ने यह मांग कर के कि सरकार अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए शीघ्र कानून बनाए, असल में सरकार की दुखती रग को छेड़ दिया है। राम मंदिर बनाने का मुद्दा बहुत पुराना है और देश के लिए यह एक ऐसा सवाल बन गया है जिस पर हर दृष्टिकोण से विचार करने की जरूरत होती है। यह सिर्फ धार्मिक मामला नहीं है, यह सिर्फ सांप्रदायिक भी नहीं है, लेकिन कुल मिलाकर बातें ऐसे उलझ गई है कि उनको सुलझाने में न्यायपालिका को भी अच्छी खासी कसरत करनी पड़ेगी। यह मुद्दा भावनात्मक बन चुका है।
सरसंघचालक की न्याय से टूटी आस, कहा- राम मंदिर निर्माण को कानून लाए मोदी सरकार
राम मंदिर निर्माण को लेकर आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने केंद्र की मोदी सरकार से अपील की है कि वह कानून बनाकर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करे। राम मंदिर का निर्माण स्वगौरव की दृष्टि से जरूरी है और मंदिर बनने से देश में सद्भावना एवं एकात्मता का वातावरण बनेगा।
सदियों की पीड़ा को खत्म करने के लिए भागवत ने हिन्दुओं से एकजुटता का किया आह्वान
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दुनिया के हिन्दुओं से एकजुटता का आह्वान करते हुए कहा कि हिन्दू न तो किसी का विरोध करते हैं और न ही वर्चस्व की इच्छा रखते हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दू समुदाय को सदियों की पीड़ा को समाप्त करने के लिए संगठित होने की जरूरत है।
सरसंघचालक ने देश को किया आगाह, कहा- राम मंदिर नहीं बना तो हम अपनी जड़ों से कट जाएंगे
डॉ. मोहन भागवत ने देश को आगाह करते हुए अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर एक बार फिर से बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा, अयोध्या में अगर राम मंदिर का निर्माण नहीं हुआ तो हम अपनी संस्कृति की जड़ों से कट जाएंगे। भागवत ने यह बात सोमवार को मुंबई के नजदीक पालघर स्थित दहाणु में विराट हिंदू सम्मेलन में व्यक्त किये।
भागवत ने की PM मोदी की तारीफ, कहा- समाज को मिल गया है एक सक्षम ठेकेदार
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धर्मसत्ता का ध्वजवाहक करार दिया है और कहा है कि मोदी का रास्ता भले ही टेढ़ा-मेढ़ा हो, लेकिन उनका लक्ष्य अडिग है और इसके लिए वह भक्ति भाव से काम कर रहे हैं। आज समाज को नरेंद्र मोदी के रूप में एक ठेकेदार मिल गया है, वह फैसले ले रहा है जो देश के लिए जरूरी है।
सरसंघचालक मोहन भागवत को राष्ट्रपति बनना मंजूर नहीं
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बुधवार को उन खबरों को खारिज किया, जिसमें कहा गया कि देश के अगले राष्ट्रपति पद की दौड़ में उनका नाम भी शामिल है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अगर उन्हें इस पद के लिए नामित भी किया गया तो भी वह इसे स्वीकार नहीं करेंगे।
आरक्षण पर भागवत के बयान से फिर बवाल
हरियाणा में आरक्षण को लेकर जाटों द्वारा जारी आंदोलन के बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि आरक्षण की पात्रता पर फैसला करने के लिए एक गैर-राजनीति समिति का गठन किया जाना चाहिए। भागवत के इस बयान के कुछ घंटे बाद ही कांग्रेस ने कहा कि उन्हें विवादास्पद बातें बोलने की आदत है।
आरक्षण की जरूरत पर संघ ने उठाए सवाल
बिहार चुनाव से ठीक पहले आरक्षण पर राजनीति और उसके दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने सुझाव दिया है कि एक समिति बनाई जानी चाहिए जो यह तय करे कि कितने लोगों को और कितने दिनों तक आरक्षण की आवश्यकता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी समिति में राजनीतिकों से ज्यादा ‘सेवाभावियों’ का महत्व होना चाहिए। संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अपने संगठन के मुखपत्रों पांचजन्य और आर्गेनाइजर में दिए साक्षात्कार में यह सुझाव दिया है।
'धर्मांतरण पसंद नहीं है तो कानून लाए विपक्ष'
धर्म परिवर्तन विरोधी विधेयक की वकालत करते हुए सरसंघचालक मोहन भागवत ने विपक्षी दलों से कहा कि अगर वे धर्म परिवर्तन पसंद नहीं करते हैं तो संसद में कानून बनाने में सहयोग करें। अगर कोई हिंदू नहीं बनना चाहता है तो इसी तरह हिंदुओं का भी धर्म परिवर्तन नहीं किया जाना चाहिए।
किसी एक शख्स की नहीं बल्कि ये जनता की जीत है: भागवत
इसे भाजपा की राष्ट्रीय परिषद का आफ्टर इफेक्ट ही कहेंगे कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने भाजपा को स्पष्ट संकेत दे दिया कि पार्टी की जीत किसी एक की नहीं बल्कि जनता की जीत है। शनिवार को राष्ट्रीय परिषद की बैठक में मोदी ने एनडीए की जीत में अमित शाह को 'मैन ऑफ द मैच' बताया था। रविवार को ओडिशा में एक कार्यक्रम में भागवत ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि लोकसभा चुनाव में किसी शख्स नहीं बल्कि जनता की वजह से एनडीए को जीत मिली है।