देश को आर्थिक मंदी से उबारने के लिए आरबीआई ने सरकार को दिए रिकॉर्ड 1.76 लाख करोड़ रुपये
अर्थव्यवस्था में छाई सुस्ती के बीच आबीआई ने केंद्र सरकार को लाभांश और सरप्लस फंड के मद से रिकॉर्ड 1.76 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित करने का निर्णय किया है। माना जा रहा है कि इस फंड से सरकार को लोककल्याणकारी योजनाओं की फंडिंग में मदद मिलेगी।
Slowdown से निपटने के लिए वित्त मंत्री ने किया ऐलान, बैंकों को 70,000 करोड़ रुपये देगी सरकार
आर्थिक मंदी से निपटने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में शुरुआती दौर में ही 70 हजार करोड़ रुपये की पूंजी डालेगी ताकि बैंक बाजार में पांच लाख करोड़ रुपये तक की नकदी जारी करने में सक्षम हो सकें।
देश का कुल व्यापार घाटा 11 महीने में 13 प्रतिशत बढ़कर 93.32 अरब डॉलर पर जा पहुंचा
देश का माल और सेवाओं का कुल व्यापार घाटा पिछले 11 महीने के दौरान 13 प्रतिशत बढ़कर 93.32 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। एक साल पहले इसी अवधि में यह 82.46 अरब डॉलर पर था। सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। हालांकि, इसमें स्पष्ट किया गया है कि आंकड़े अस्थाई हैं।
पूंजी भंडार कम करना बैंकों और अर्थव्यवस्था के लिए घातक : RBI
भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी ताजा रिपोर्ट में इस बात का दावा किया है कि एनपीए यानी बैंकों का फंसा कर्जा और उसे कवर करने के लिए अपर्याप्त प्रावधान होने के साथ पूंजी संबंधी जरूरतों अथवा जोखिम पूंजी नियमों में किसी भी तरह की रियायत दिया जाना बैंकों के साथ ही समूची अर्थव्यवस्था के लिए घातक हो सकता है।
अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा, बैंकों के दिवालिया होने पर जमाकर्ताओं की सुरक्षा कैसे होगी?
एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि अगर कोई बैंक दिवालिया होता है तो ऐसी स्थिति में बैंक में एक लाख रुपये से अधिक जमा रखने वाले ग्राहकों की सुरक्षा के लिए क्या उपाय हैं।
नोटबंदी पर RBI ने जारी किए आंकड़े, 99.3 प्रतिशत पुराने नोट बैंकिंग सिस्टम में वापस
8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी के बाद बंद किए गए 500 और 1,000 रुपये के नोटों का 99.3 प्रतिशत हिस्सा बैंकिंग सिस्टम में वापस आ गया है। रिजर्व बैंक की 2017-18 की सालाना रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। तात्पर्य यह है कि बंद नोटों का काफी छोटा हिस्सा ही बैंकिंग सिस्टम में वापस नहीं आया।
अर्थ की व्यवस्था : धोखा या नियति?
अघोषित संपत्ति या दूसरे शब्दों में कहें तो बेनामी धन-दौलत को सिस्टम से बाहर करने की कोशिश में भारत पूरी तरह से नाकामी हाथ लगी है। ऐसे में एक बड़ा सवाल यह उठता है कि नोटबंदी कामयाब रही या नाकाम? आरबीआई के आंकड़ों की मानें तो नोटबंदी बड़े पैमाने पर नाकाम हुई है। और इसी वजह से मोदीनॉमिक्स की लाख कोशिशों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी पर आने का नाम नहीं ले रही है। कड़वी दवा से लेकर बिजनेस डिप्लोमेसी तक, सभी तरह के नुस्खे आजमाने के बावजूद भारत की मुद्रा अमेरिकी डॉलर के समक्ष घुटने टेकी हुई है।
मोदी राज में RBI ने रेपो रेट में पहली बार किया इजाफा, होम लोन समेत सभी तरह के कर्ज महंगे
भारतीय रिजर्व बैंक ने मोदी राज में पहली बार नीतिगत दरों में 0.25 फीसदी की वृद्धि की है। मौद्रिक नीति समिति की दूसरी द्विमासिक समीक्षा बैठक के बाद रेपो रेट में और रीवर्स रेपो रेट में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की घोषणा की गई, जबकि सीआरआर में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
21 सरकारी बैंकों के साथ एक साल में 25,775 करोड़ की धोखाधड़ी : RTI
सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत प्राप्त जानकारी से खुलासा हुआ है कि बीते वित्तीय वर्ष में बैंकिंग धोखाधड़ी के अलग-अलग मामलों के कारण बैंकों को कुल मिलाकर लगभग 25,775 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा।
देश के कई राज्यों में साइलेंट डिमोनेटाइजेशन से मचा हड़ंकप, वित्त मंत्री ने दिया बढ़ती मांग का हवाला
विमुद्रीकरण की मार अब तक झेल रहे देश को अचानक आज कैश की किल्लत की खबर ने परेशान कर दिया है। देश के कई एटीएम कैश क्रंच यानी कैश की कमी से जूझ रहें हैं। इनके बाहर नो कैश का बोर्ड टांग दिया गया है। लोगों को 2000 और 500 रुपए के नोट मिल ही नहीं रहें हैं। भोपाल से लेकर वाराणसी तक लोग एक बार फिर लंबी कतार में दिख रहें हैं। इस बीच सरकार ने इसके लिए बढ़ती मांग को जिम्मेदार ठहराया है।