समीक्षा : आम आदमी का पक्षकार है उपन्यास अंधेरे कोने
ओमप्रकाश तिवारी के डिजिटल उपन्यास 'अंधेरे कोने' को पढ़ने के दौरान ये बातें बार-बार सामने आती हैं। समकालीन व्यवस्था मनुष्य को संवेदन शून्य करने का हर संभव प्रयास कर रही है। क्योंकि मनुष्य की संवेदना ही उसे परिवर्तन के लिए प्रेरित करती है।
साजिश? हां, यह साजिश ही तो है
अर्थव्यवस्था के विकास का अर्थशास्त्र बताता है कि इसका फल वर्गों में मिलता है। मसलन विकास का 80 फ़ीसदी धन देश के एक फ़ीसदी लोगों के पास संग्रहित हो जाता है। परिणामस्वरूप हर महीने 30-40 अरबपति उत्पन्न हो जाते हैं। साथ ही जो पहले से अमीर हैं वे और अमीर हो जाते हैं। दूसरी ओर विकास का 20 फीसदी धन देश के 80 फीसदी में बंटता है। इनमें भी किसी को मिलता है किसी को नहीं मिलता है। इससे जो गरीब हैं वह और गरीब हो जाते हैं।