महाराष्ट्र : 2017 में कर्जमाफी के बावजूद 4500 किसानों ने की आत्महत्या
सिर्फ महाराष्ट्र की बात करें तो बीते पांच (2014-18) सालों में 14,034 किसानों ने आत्महत्या की है। इस तरह हर दिन औसतन आठ किसानों ने आत्महत्या की है। वास्तव में जून 2017 में राज्य सरकार द्वारा कर्जमाफी के लिए 34,000 करोड़ रुपये के ऐलान के बाद 4,500 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है।
मोदी जी ने किसानों का एक भी पैसा कर्ज माफ नहीं किया : राहुल गांधी
राजस्थान के धौलपुर में एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों का एक भी पैसे का कर्ज माफ नहीं किया। राहुल ने कहा कि कांग्रेस यहां सरकार बनाने जा रही है। एक ऐसी सरकार जो गरीबों, किसानों, छोटे व्यापारियों, युवाओं और पार्टी कार्यकर्ताओं की होगी।
जेटली का दावा; सरकार ने किसी कॉरपोरेट का कर्जा माफ नहीं किया
कॉरपोरेट घरानों का कर्ज माफ करने के कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज लोकसभा में स्पष्ट किया कि सरकार ने किसी भी कॉरपोरेट घराने का एक रूपया ऋण माफ नहीं किया है और बैंकों पर इनकी जो भी एनपीए हैं, वे साल 2014 से पहले की हैं।
जो ठीक नहीं वहां शिवसेना बोलेगी ही : उद्धव ठाकरे
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सामना को प्रदीर्घ लाइव साक्षात्कार दिया है। इस साक्षात्कार को उत्सफूर्त, बेबाक और उफान लाने वाला कहा जा सकता है। उद्धव ठाकरे का साक्षात्कार मतलब अन्याय पर वार और महाराष्ट्र द्वेषियों पर हमला। जीएसटी से लेकर नोटबंदी तक, चीन से लेकर कश्मीर तक और कर्जमुक्ति से लेकर भाजपा के व्यवहार को लेकर किए गए सवालों के उद्धव ठाकरे ने बेबाकी से जवाब दिए।
किसानों की आत्महत्या पर वेंकैया के विवादित बोल; कहा- फैशन बन गया है कर्ज माफी
कर्जमाफी समेत अन्य मांगों के समर्थन में चलाए जा रहे किसान आंदोलन और किसानों की आत्महत्या को लेकर केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने विवादित बयान दिया है। वेंकैयान ने गुरुवार को कहा कि कृषि कर्ज माफी आजकल फैशन बन गया है। कर्ज माफी होनी चाहिए लेकिन सिर्फ विशेष परिस्थितियों में। किसानों की बेहतरी के लिए कर्ज माफी अंतिम समाधान नहीं है।
...ताकि जागें सरकारें इसलिए बदल डाला अंतिम संस्कार का तरीका
पिछले करीब एक महीने से तमिलनाडु के किसान जतंर मंतर पर डेरा डाले हैं। मांग एक की इन्हें इंसाफ मिले। कर्जा मिले, बदहाल व्यवस्था दुरुस्त हो। कई राजनीतिज्ञ इनसे मिल रहें हैं, आश्वासन दे रहें हैं। इनकी फिक्र तमिलनाडु हाईकोर्ट को भी है इसलिए कर्ज माफी का फरमान सरकार को सुना भी दिया है। इस बीच किसी ने ये नहीं सोचा कि अपनी बात हुक्मरानों तक पहुंचाने के लिए इन्होंने अपनी एक परम्परा को ही तिलांजलि दे दी। अंतिम संस्कार की रिवायत को ही बदल डाला। अपने स्वजनों का दाह संस्कार नहीं कर रहे बल्कि उनको दफना रहें हैं।
भिखारी मत बनाइए अन्नदाता को
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा पहली ही कैबिनेट बैठक में किसान कर्ज माफी का चुनावी वायदा (एक लाख रुपये के कृषि ऋण की सीमा में ही सही) वफा कर दिये जाने के बाद हरियाणा, पंजाब और महाराष्ट्र समेत अनेक राज्यों से ऐसी मांग उठना स्वाभाविक है। बेशक प्रकृति और व्यवस्था की मार से बेजार किसानों को हरसंभव राहत मिलनी ही चाहिए। अन्नदाता का आत्महत्या करने को मजबूर होना किसी भी सरकार और समाज के लिए अभिशाप ही है।